राजधानी हरियाणा.हरियाणा में विकास, वर्चस्व व विरासत की जंग चल निकली है। इसमें एक ओर हैं विकास का राग अलाप रहे मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा हैं तो दूसरी ओर वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहे हैं प्रमुख विपक्षी दल के ओमप्रकाश चौटाला हैं। हजकां सुप्रीमो कुलदीप बिश्नोई भी विरासत के बल पर मैदान में हैं।
अपनी ही पार्टी में विरोधी खेमे से जूझ रहे मुख्यमंत्री हुड्डा समूचे हरियाणा के 90 हलकों में रैलियां कर विकास से अपना रुतबा हरियाणा के मैदान से 10 जनपथ तक जमाने में जुटे हैं। चौतरफा विकास राशि का वितरण भी है। 12 हजार करोड़ की बड़ी परियोजनाएं उन्होंने राज्य में चला दी हैं। पिछले छह महीनों में करीब नौ केन्द्रीय मंत्री हरियाणा आकर कुछ ना कुछ देकर भी गए।
केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने तो सर्वाधिक 10 हजार करोड़ राज्य के लिए घोषित किए हैं। सिरसा बांगर, बांगड़ हो या राठ चौतरफा रैलियां हैं, मानो चुनाव आ गया। इस मुहिम में उनको अपनी ही पार्टी के सांसद राव इंद्रजीत सिंह, राज्यसभा सदस्य बीरेन्द्र सिंह जैसे बड़े नेताओं से दो-दो हाथ भी करने पड़ते हैं।
मजेदार बात यह है कि विपक्ष के नेता ओमप्रकाश चौटाला जहां से विधायक हैं एवं बीरेन्द्र सिंह का प्रमुख क्षेत्र है, उस जिले की रैली में वे नहीं गए। भले ही उनको जरूरी काम हो लेकिन लोगों ने इसे खटापट ही माना। खैर, जींद को अब तक का सबसे ज्यादा बजट करीब 14 सौ करोड़ मिल गया। इससे पूर्व महेन्द्रगढ़, नांगल चौधरी जैसे पिछले इलाकों में विकास के वादे हुए। ऐसे में अब देखना यह है कि विकास की यह धारा कांग्रेस का कितना सहारा बनती है।
दूसरी कड़ी में मैदान में हैं इनेलो सुप्रीमो एवं विपक्ष के नेता ओमप्रकाश चौटाला। जनजागरण अभियान चलाए हुए हैं। इनके निशाने पर कांग्रेस से ज्यादा मुख्यमंत्री हुड्डा हैं। कोई मौका नहीं चूकते। आजकल मध्यावधि चुनाव की संभावनाओं के बल पर रैलियां, नुक्कड़ सभाएं कर रहे हैं। विकास के नाम पर झूठ, लूट, भ्रष्टाचार, बिगड़ी कानून व्यवस्था जैसे कई मुद्दे सामने हैं।
समय-समय पर राज्यपाल को ज्ञापन देकर मुख्यमंत्री से त्यागपत्र भी मांग लेते हैं। अब 10 जून को महेन्द्रगढ़ में परिवर्तन रैली से सरकार को हिलाने का दावा हैं। विशेषज्ञों की मानें तो इनेलो खोया वर्चस्व पाना चाहती है। 2005 के बात सत्ता की राजनीति से अज्ञातवास भोग रहा यह दल बड़े दल के रूप में तो सदन में आया लेकिन सत्ता से दूर रहा। ऐसे में वर्चस्व की जंग अब मैदान में साफ है।
तीसरा रूप मैदान में हरियाणा जनहित कांग्रेस का है। भाजपा से गठबंधन के बाद हजकां सुप्रीमो कुलदीप बिश्नोई अपने पिता चौधरी भजनलाल की राजनीतिक विरासत को संवारने में जुटे हैं। हाल ही उनसे खफा उनके भाई चंद्रमोहन भी आ मिले हैं।
चौधरी भजनलाल एक सुलझे राजनीतिज्ञ रहे लेकिन उनके जाने के बाद हजकां का क्या होगा, यह पहली बार होने वाले आम चुनाव से पता चलेगा। फिलहाल लोकसभा उपचुनाव में जीत बड़ा संदेश दे गई। ऐसे में बिश्नोई ने अभी से जिलों में कार्यकर्ता सम्मेलनों के रूप में अभियान चला रखा है।
साथ में हैं भाजपा के नेता। भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष कृष्णपाल गुर्जर व विधायक दल के नेता अनिल विज के बीच विवाद किसी से छिपा नहीं है। हजकां को बढ़ावा देने की मुहिम में रामविलास शर्मा जैसे भाजपा के बड़े नेता भी लोगों के बीच जा रहे हैं।
ऐसे में पंजाब में अकाली-भाजपा सरकार दोबारा आने के बाद एवं हाल ही उपराष्ट्रपति रहे भैरोंसिंह शेखावत को श्रद्धांजलि देने पहुंचे प्रकाश सिंह बादल व ओमप्रकाश चौटाला के साथ आडवाणी का होना खतरे का संकेत बनता जा रहा है। खैर,प्रांतीय भाजपा नेता हजकां-भाजपा का अटूट गठबंधन बताते हैं। ऐसे अब देखना यह है कि विरासत बचाने में जुटे बिश्नोई का पसीना उनके कितना काम आता है।
हरियाणा में असुरक्षा बढ़ी : भाजपा राजधानी हरियाणा त्नइनेलो के दिल्ली में विधायक भरत सिंह पर हमले की हरियाणा में तीखी प्रतिक्रिया हुई है। भाजपा ने कहा है कि यह कांग्रेस सरकारों में आम बात है। भाजपा के वरिष्ठ नेता राव अभिमन्यु ने बयान में कहा है कि दिल्ली हो या हरियाणा कोई सुरक्षित नहीं है। विधायक को सरेआम गोली मारना बड़ी बात है। हरियाणा में भी कानून व्यवस्था का ढर्रा बिगड़ चुका है। जहां-जहां भी कांग्रेस सरकारें हैं वहां यही हाल है।