नई दिल्ली। नई दिल्ली सीट से शीला दीक्षित की शर्मनाक हार सबसे चौंकाने वाला नतीजा रहा। आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल ने 15 सालों से मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित को 22 हजार वोटों के विशाल अंतर से हराया। हमारे एक्सपर्ट अनिरुद्ध शर्मा ने बता रहे हैं केजरीवाल की चमत्कारिक जीत के कारण
अन्ना के आंदोलन का फायदा – अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलनों का भी फायदा केजरीवाल को मिला। अन्ना के सभी आंदोलन नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर हुए थे। निर्भया आंदोलन में आम जनता के साथ पार्टी का खड़ा होना 'आप' के लिए सार्थक साबित हुआ। युवाओं में खास असर रहा
खुद की साफ सुथरी व ईमानदार छवि – आयकर विभाग के ज्वाइंट कमिश्नर के पद से इस्तीफा देकर राजनीति में आए और उनके ऊपर एक भी आरोप नहीं रहा। ये ठीक वैसा था जैसे कोई काजल की कोठरी से बेदाग निकल आए
वैकल्पिक राजनीति का रास्ता दिखाया – अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी के रूप में दिल्ली की जनता के सामने नया विकल्प रखा जिसे मतदाताओं ने हाथों-हाथ लिया
चुनाव की रणनीति – कई महीने पहले से ही नई दिल्ली क्षेत्र में शुरू किया चुनावी प्रचार। डोर टू डोर कैंपेन पर रहा जोर। मुख्यमंत्री के तौर पर खुद को पेश करना भी कारगर साबित हुआ
इच्छा शक्ति और दृढ़ता - केजरीवाल के व्यक्तित्व की इच्छा शक्ति और दृढ़ता ने भी उनकी जीत के रास्ते को आसान बना दिया। केजरीवाल ने काफी पहले ही ऐलान किया कि मुख्यमंत्री शीला दीक्षित दिल्ली की जिस विधानसभा सीट से चुनाव लडेंगी वो भी उसी सीट से चुनाव लड़ेंगे
झाडू का चुनाव चिन्ह फायदेमंद हुआ साबित – आप के चुनाव चिन्ह् को सरकारी सफाईकर्मियों ने अपने दैनिक कामकाज में होने वाले झाडू से खुद को जोड लिया और जमकर समर्थन किया। इसके चलते कांग्रेस का पारंपरिक वोट बैंक भी 'आप' की तरफ खिसक गया।
झाडू का चुनाव चिन्ह फायदेमंद हुआ साबित – आप के चुनाव चिन्ह् को सरकारी सफाईकर्मियों ने अपने दैनिक कामकाज में होने वाले झाडू से खुद को जोड लिया और जमकर समर्थन किया। इसके चलते कांग्रेस का पारंपरिक वोट बैंक भी 'आप' की तरफ खिसक गया।