नई दिल्ली
नरेंद्र मोदी आज बीजेपी संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद राष्ट्रपति से मिलकर सरकार बनाने के दावा पेश करेंगे। इस बीच, उनके मंत्रिमंडल के स्वरूप को लेकर मंथन जारी है। बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह के गृह मंत्री और अरुण जेटली के वित्त मंत्री बनाए जाने की संभावना है।
मंत्रिपदों को लेकर जहां सस्पेंस खत्म होता दिख रहा है, वहीं अभी तक पार्टी के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी की भूमिका को लेकर सवाल बना हुआ है। पहले ऐसी खबर आई थी कि राजनाथ से मुलाकात में आडवाणी लोकसभा अध्यक्ष बनने को लेकर राजी हो गए थे, लेकिन पार्टी ने अभी इस पर कुछ भी तय नहीं किया है। पार्टी के शीर्ष नेता अभी भी असमंजस में हैं कि आडवाणी को किस तरह मेंटर की भूमिका में फिट किया जाए।
राजनाथ सिंह और अरुण जेटली ने जहां कैबिनेट के दो टॉप मंत्रालयों पर अपना स्लॉट फिक्स कर लिया है, वहीं नरेंद्र मोदी के लिए दो अन्य स्लॉट विदेश और रक्षा मंत्रालय को भरना बड़ी चुनौती होगी। 15वीं लोकसभा में नेता विपक्ष रहीं सुषमा स्वराज की नजर भी कैबिनेट के इन टॉप मंत्रालयों पर है, लेकिन माना जा रहा है कि उन्हें मोदी कैबिनेट में मानव संसाधन और स्वास्थ्य मंत्रालय का जिम्मा सौंपा जा सकता है।
मोदी को पीएम कैंडिडेट घोषित करने के दौरान सुषमा की नाराजगी सामने आई थी, जो मोदी कैबिनेट में उनके रक्षा या विदेश मंत्रालय के दावे को कमजोर करता है। सुषमा स्वराज ने सोमवार को नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। 16 मई को चुनाव नतीजों के बाद उन्होंने ट्वीट करते हुए जीत का श्रेय पार्टी के कार्यकर्ताओं, आरएसएस और मोदी के लीडरशिप को दिया था।
वाजपेयी सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहे रविशंकर प्रसाद को विदेश मंत्रालय का जिम्मा सौंपा जा सकता है, वहीं पूर्व टेलिकॉम मंत्री अरुण शौरी को फाइनैंस या कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री मिनिस्ट्री का कार्यभार मिल सकता है। इसके अलावा पूर्व बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी को इकॉनमी या ढांचागत (शहरी विकास या भूतल परिवहन) मामलों से जुड़ा मंत्रालय मिल सकता है।
अगर हम बीजेपी के सहयोगियों की बात करें तो एलजेपी अध्यक्ष रामविलास पासवान को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा सकती है। हालांकि, अभी तक यह साफ नहीं है कि पासवान को रेल मंत्रालय की जिम्मेदारी मिलेगी या नहीं। बिहार की राजनीतिक हलचल को देखते हुए माना जा रहा है कि पासवान को इन्फ्रास्ट्रक्चर, नैचरल रिसोर्स या टूरिजम से संबंधित मंत्रालय का जिम्मा सौंपा जा सकता है, जो नरेंद्र मोदी की टॉप प्रायॉरिटी में हैं।
लोकसभा चुनाव में यूपी बीजेपी के प्रभारी अमित शाह सरकार में शामिल नहीं होंगे। माना जा रहा है कि शाह बाहर से ही सरकार के पॉलिटिकल मैनेजमेंट में अहम भूमिका अदा करेंगे। गुजरात भवन में नरेंद्र मोदी की अमित शाह और अरुण जेटली से आगे की रणनीति को लेकर लगातार बात हो रही है।
बीजेपी के दूसरे सीनियर लीडर रविशंकर प्रसाद, अनंत कुमार, गोपीनाथ मुंडे, पीयूष गोयल, राजीव प्रताप रूडी,, रमेश बैस, विद्यासागर राव, हर्षवर्धन, वरुण गांधी, किरीट सोमैया और जुएल उरांव को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। सहयोगियों में रामविलास पासवान के अलावा अकाली नेता हरसिमरत कौर, अनंत गीते, उपेंद्र कुशवाहा और अणुप्रिया पटेल को मंत्रिपद दिए जाने की संभावना है।
नरेंद्र मोदी आज बीजेपी संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद राष्ट्रपति से मिलकर सरकार बनाने के दावा पेश करेंगे। इस बीच, उनके मंत्रिमंडल के स्वरूप को लेकर मंथन जारी है। बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह के गृह मंत्री और अरुण जेटली के वित्त मंत्री बनाए जाने की संभावना है।
मंत्रिपदों को लेकर जहां सस्पेंस खत्म होता दिख रहा है, वहीं अभी तक पार्टी के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी की भूमिका को लेकर सवाल बना हुआ है। पहले ऐसी खबर आई थी कि राजनाथ से मुलाकात में आडवाणी लोकसभा अध्यक्ष बनने को लेकर राजी हो गए थे, लेकिन पार्टी ने अभी इस पर कुछ भी तय नहीं किया है। पार्टी के शीर्ष नेता अभी भी असमंजस में हैं कि आडवाणी को किस तरह मेंटर की भूमिका में फिट किया जाए।
राजनाथ सिंह और अरुण जेटली ने जहां कैबिनेट के दो टॉप मंत्रालयों पर अपना स्लॉट फिक्स कर लिया है, वहीं नरेंद्र मोदी के लिए दो अन्य स्लॉट विदेश और रक्षा मंत्रालय को भरना बड़ी चुनौती होगी। 15वीं लोकसभा में नेता विपक्ष रहीं सुषमा स्वराज की नजर भी कैबिनेट के इन टॉप मंत्रालयों पर है, लेकिन माना जा रहा है कि उन्हें मोदी कैबिनेट में मानव संसाधन और स्वास्थ्य मंत्रालय का जिम्मा सौंपा जा सकता है।
मोदी को पीएम कैंडिडेट घोषित करने के दौरान सुषमा की नाराजगी सामने आई थी, जो मोदी कैबिनेट में उनके रक्षा या विदेश मंत्रालय के दावे को कमजोर करता है। सुषमा स्वराज ने सोमवार को नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। 16 मई को चुनाव नतीजों के बाद उन्होंने ट्वीट करते हुए जीत का श्रेय पार्टी के कार्यकर्ताओं, आरएसएस और मोदी के लीडरशिप को दिया था।
वाजपेयी सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहे रविशंकर प्रसाद को विदेश मंत्रालय का जिम्मा सौंपा जा सकता है, वहीं पूर्व टेलिकॉम मंत्री अरुण शौरी को फाइनैंस या कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री मिनिस्ट्री का कार्यभार मिल सकता है। इसके अलावा पूर्व बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी को इकॉनमी या ढांचागत (शहरी विकास या भूतल परिवहन) मामलों से जुड़ा मंत्रालय मिल सकता है।
अगर हम बीजेपी के सहयोगियों की बात करें तो एलजेपी अध्यक्ष रामविलास पासवान को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा सकती है। हालांकि, अभी तक यह साफ नहीं है कि पासवान को रेल मंत्रालय की जिम्मेदारी मिलेगी या नहीं। बिहार की राजनीतिक हलचल को देखते हुए माना जा रहा है कि पासवान को इन्फ्रास्ट्रक्चर, नैचरल रिसोर्स या टूरिजम से संबंधित मंत्रालय का जिम्मा सौंपा जा सकता है, जो नरेंद्र मोदी की टॉप प्रायॉरिटी में हैं।
लोकसभा चुनाव में यूपी बीजेपी के प्रभारी अमित शाह सरकार में शामिल नहीं होंगे। माना जा रहा है कि शाह बाहर से ही सरकार के पॉलिटिकल मैनेजमेंट में अहम भूमिका अदा करेंगे। गुजरात भवन में नरेंद्र मोदी की अमित शाह और अरुण जेटली से आगे की रणनीति को लेकर लगातार बात हो रही है।
बीजेपी के दूसरे सीनियर लीडर रविशंकर प्रसाद, अनंत कुमार, गोपीनाथ मुंडे, पीयूष गोयल, राजीव प्रताप रूडी,, रमेश बैस, विद्यासागर राव, हर्षवर्धन, वरुण गांधी, किरीट सोमैया और जुएल उरांव को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। सहयोगियों में रामविलास पासवान के अलावा अकाली नेता हरसिमरत कौर, अनंत गीते, उपेंद्र कुशवाहा और अणुप्रिया पटेल को मंत्रिपद दिए जाने की संभावना है।