वॉशगटन। खबर की हेडिंग पढ़ने के बाद आपको हंसी आयी होगी, लेकिन यह सच है और वो भी अजब-गजब। जी हां आइसलैंड के म्यूजियम की यह खबर है, जहां दुनिया के उस व्यक्ति ने अपना लिंग दान करने की हामी भर दी है। सबसे पहले हम आपको बता दें कि मैनहैटन, यूएसए का रहने वाला जोनाह फैल्कन वो आदमी है, जिसका लिंग दुनिया में सबसे लंबा है। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी उसका नाम दर्ज है। उसके लिंग की लंबाई 34 सेंटीमीटर यानी 13.39 इंच है। 43 वर्षीय जोनाह ने आईसलैंड के म्यूजियम को पत्र लिखकर कहा है, "मुझे खुशी होगी यदि मेरे मरने के बाद मेरा लिंग आपके म्यूजियम में संजोकर रखा जाये। इसके लिये जो भी कागजी कार्रवाई करनी है, मैं उसके लिये तैयार हू
बेंगलुरु। वॉशिंगटन से खबर आयी कि मैनहैटन में रहने वाले 43 वर्षीय जोनाह फैल्कन ने आइसलैंड के एक म्यूजियम को अपना लिंग दान किया है। इस अजब गजब खबर के चर्चा में आने के बाद आइसलैंडिक फलोलोजिकल म्यूजियमम भी अचानक चर्चा में आ गया। तमाम सवाल आने शुरू हो गये- ये कैसा म्यूजियम है, किसने ऐसा म्यूजियम खोला, कैसे हुई स्थापना, क्या-क्या है इसके अंदर, वगैरह-वगैरह। तो चलिये हम आपको वो बातें बताते हैं, जिन्हें पढ़ने के बाद आपके भी होश उड़ जायेंगे। फलोलोजिकल म्यूजियक की स्थापना आईसलैंड का एक बच्चा सिगुरोर जार्टरसन आइसलैंड के गांव में रहता था, जहां पशुओं को चराने के लिये उसे रस्सी जैसी दिखने वाली एक वस्तु दी गई। यह बात 1974 की है। वो उस वस्तु को देख चकित था, उसने अपने दोस्त से उसके बारे में पूछा तो पता चला कि वह सांड का लिंग है, जिसे सुखाकर पशुओं को चराने के लिये उसे दिया गया है। सिगुरोर चकित रह गया। उसके दोस्त ने चार अन्य सांडों के लिंग लाकर उसे दिये। सिगुरोर ने वो सारे लिंग घर में संभालकर रख लिये। कुछ महीने बाद उसे समुद्री तट पर स्थित व्हेलिंग स्टेशन पर जाने का मौका मिला, जहां उसे व्हेल के लिंग देखने को मिले। वह वहां से भी एक व्हेल का लिंग लेकर घर आ गया। इस छोटे से कलेक्शन ने सिगुरोर के अंदर लिंग इकठ्ठा करने की प्रेरणा जाग उठी और उसने तभी से अलग-अलग जानवरों के लिंग इकठ्ठा करने शुरू कर दिये। यही बच्चा आगे चलकर इतिहास का टीचर बना। हैमरेल्ड कॉलेज में पढ़ाने लगे। 1997 में 37 वर्ष की उम्र में उन्होंने रिटायरमेंट ले लिया और अपने पुराने शौक की ओर चल पड़े। म्यूजियम और मौत सिगुरोर ने आइसलैंड में एक म्यूजियम की स्थापना की। जिसमें आज 300 से ज्यादा जीवों के लिंग व यौन अंग रखे हुए हैं। जब म्यूजियम में 93 छोटे जीव, 55 व्हेल, 36 सील अैर 118 जमीन पर रहने वाले जानवरों के लिंग एकत्र कर लिये, तब एक मानव लिंग की जरूरत महसूस हुई। जुलाई 2011 में अमेरिका के एक व्यक्ति ने अपने लिंग को डोनेट करने पर हामी भर दी। उस वक्त म्यूजियम के डॉक्टरों की एक टीम फॉरमेलिन के जार में उस पेनिस को एकत्र करने के लिये पहुंची, लेकिन सही कार्य सही ढंग से नहीं हो पाने पर डोनर की मौत हो गई। उसका साइज मध्यम आकार का है। म्यूजियम को अभी भी उससे बड़ी या छोटी पेनिस की तलाश है। बड़ी की तलाश अब अमेरिका के जोनाह ने पूरी कर दी है।
बेंगलुरु। वॉशिंगटन से खबर आयी कि मैनहैटन में रहने वाले 43 वर्षीय जोनाह फैल्कन ने आइसलैंड के एक म्यूजियम को अपना लिंग दान किया है। इस अजब गजब खबर के चर्चा में आने के बाद आइसलैंडिक फलोलोजिकल म्यूजियमम भी अचानक चर्चा में आ गया। तमाम सवाल आने शुरू हो गये- ये कैसा म्यूजियम है, किसने ऐसा म्यूजियम खोला, कैसे हुई स्थापना, क्या-क्या है इसके अंदर, वगैरह-वगैरह। तो चलिये हम आपको वो बातें बताते हैं, जिन्हें पढ़ने के बाद आपके भी होश उड़ जायेंगे। फलोलोजिकल म्यूजियक की स्थापना आईसलैंड का एक बच्चा सिगुरोर जार्टरसन आइसलैंड के गांव में रहता था, जहां पशुओं को चराने के लिये उसे रस्सी जैसी दिखने वाली एक वस्तु दी गई। यह बात 1974 की है। वो उस वस्तु को देख चकित था, उसने अपने दोस्त से उसके बारे में पूछा तो पता चला कि वह सांड का लिंग है, जिसे सुखाकर पशुओं को चराने के लिये उसे दिया गया है। सिगुरोर चकित रह गया। उसके दोस्त ने चार अन्य सांडों के लिंग लाकर उसे दिये। सिगुरोर ने वो सारे लिंग घर में संभालकर रख लिये। कुछ महीने बाद उसे समुद्री तट पर स्थित व्हेलिंग स्टेशन पर जाने का मौका मिला, जहां उसे व्हेल के लिंग देखने को मिले। वह वहां से भी एक व्हेल का लिंग लेकर घर आ गया। इस छोटे से कलेक्शन ने सिगुरोर के अंदर लिंग इकठ्ठा करने की प्रेरणा जाग उठी और उसने तभी से अलग-अलग जानवरों के लिंग इकठ्ठा करने शुरू कर दिये। यही बच्चा आगे चलकर इतिहास का टीचर बना। हैमरेल्ड कॉलेज में पढ़ाने लगे। 1997 में 37 वर्ष की उम्र में उन्होंने रिटायरमेंट ले लिया और अपने पुराने शौक की ओर चल पड़े। म्यूजियम और मौत सिगुरोर ने आइसलैंड में एक म्यूजियम की स्थापना की। जिसमें आज 300 से ज्यादा जीवों के लिंग व यौन अंग रखे हुए हैं। जब म्यूजियम में 93 छोटे जीव, 55 व्हेल, 36 सील अैर 118 जमीन पर रहने वाले जानवरों के लिंग एकत्र कर लिये, तब एक मानव लिंग की जरूरत महसूस हुई। जुलाई 2011 में अमेरिका के एक व्यक्ति ने अपने लिंग को डोनेट करने पर हामी भर दी। उस वक्त म्यूजियम के डॉक्टरों की एक टीम फॉरमेलिन के जार में उस पेनिस को एकत्र करने के लिये पहुंची, लेकिन सही कार्य सही ढंग से नहीं हो पाने पर डोनर की मौत हो गई। उसका साइज मध्यम आकार का है। म्यूजियम को अभी भी उससे बड़ी या छोटी पेनिस की तलाश है। बड़ी की तलाश अब अमेरिका के जोनाह ने पूरी कर दी है।