नई दिल्ली
लोकसभा चुनावों के परिणाम आने में महज कुछ घंटे ही बाकी हैं। बीजेपी जहां एग्जिट पोल्स में दिख रही भारी बढ़त के बाद सरकार बनाने की तैयारी में जुटी है, वहीं कांग्रेस समेत अन्य दल राजनीति की बिसात पर मोदी को सत्ता से बाहर रखने की तैयारी में जुटे हैं। इसी संदर्भ में कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने सभी सेकुलर दलों को एकजुट होकर ममता बनर्जी को नेता चुनने की बात कह राजनीति के पारे को और गर्म कर दिया है।
राशिद अल्वी ने कांग्रेस की कमजोर स्थित को स्वीकार करते हुए कहा, 'सरकार बनाने हमारे लिए कठिन हो सकता है, लेकिन मोदी को सत्ता से बाहर रखने के लिए सभी सेक्युलर दलों को एकजुट होना चाहिए।' कांग्रेस नेता ने सुझाव दिया कि क्षेत्रीय दलों को अपना नेता ममता बनर्जी को चुनना चाहिए, जो कि संदेह के परे धर्मनिरपेक्ष, सक्षम और ईमानदार हैं।
इस बीच थर्ड फ्रंट की सुगबुगाहट भी काफी तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव भारतीय राजनीति के सबसे अहम दिन से ठीक पहले दिल्ली में मौजूद हैं और थर्ड फ्रंट को साकार करने की अपनी योजना पर तेजी से काम कर रहे हैं। मुलायम सिंह ने इस संबंध में कोई बयान तो नहीं जारी किया, लेकिन उन्होंने पार्टी के भीतर एग्जिट पोल्स की विश्वसनियता पर सवाल खड़े किए हैं।
अभी तक मोदी की स्वभाविक सहयोगी समझे जाने वाली एआईएडीएमके सुप्रीमो जयललिता ने भी मोदी के खिलाफ कड़े तेवर दिखा दिए हैं। जयललिता ने अपनी पार्टी के पूर्व सांसद मलयसामी को केवल इसलिए पार्टी से निष्कासित कर दिया, क्योंकि उन्होंने जयललिता को मोदी की दोस्त बता दिया। साफ है, जयललिता नतीजों से पहले किसी तरह का संकेत देने से बच रही हैं और मोदी की तारीफ भी स्वीकार नहीं कर रही हैं।
बीजू जनता दल के नवीन पटनायक भी अभी अपने पत्ते खोलने के मूड में नहीं दिख रहे हैं। मंगलवार को बीजेडी के कुछ नेताओं के बयानों से जैसे ही संकेत मिला कि पार्टी एनडीए के लिए सकारात्मक रुख रख रही है, नवीन पटनायक ने इसका खंडन कर दिया। नवीन पटनायक ने कहा कि अभी पोस्ट इलेक्शन गठबंधन को लेकर किसी से भी कोई बात नहीं हुई है।
मंगलवार को एक और बड़ी खबर एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार की तरफ से भी एक बड़ी खबर आई। एनसीपी सुप्रीमो ने एग्जिट पोल्स पर सवाल खड़े करते हुए मोदी और एनडीए को रोकने के लिए तमाम क्षत्रपों से संपर्क साधा। शरद पवार ने एआईएडीएमके सुप्रीमो जयललिता, तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी, वाईएसआर कांग्रेस के जगन और बीजेडी के नवीन पटनायक से फोन पर संपर्क किया है।
एनसीपी के सीनियर नेता डीपी त्रिपाठी ने आधिकारिक बयान जारी करते हुए यहां तक कह दिया कि एनडीए या मोदी को समर्थन देने का सवाल ही नहीं उठता है। बीजेपी को छोड़ कांग्रेस समेत तमाम क्षेत्रीय दलों ने एग्जिट पोल्स की विश्वसनियता को चैलेंज किया है। यही वजह है कि कांग्रेस की लीडरशिप भी अब थर्ड फ्रंट के विचार को गंभीरता से समर्थन देने का मन बनाती नजर आ रही है। ऐसे में यह देखना काफी रोचक है कि मोदी के खिलाफ यह चक्रव्यूह कितना कारगर साबित होगा।
लोकसभा चुनावों के परिणाम आने में महज कुछ घंटे ही बाकी हैं। बीजेपी जहां एग्जिट पोल्स में दिख रही भारी बढ़त के बाद सरकार बनाने की तैयारी में जुटी है, वहीं कांग्रेस समेत अन्य दल राजनीति की बिसात पर मोदी को सत्ता से बाहर रखने की तैयारी में जुटे हैं। इसी संदर्भ में कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने सभी सेकुलर दलों को एकजुट होकर ममता बनर्जी को नेता चुनने की बात कह राजनीति के पारे को और गर्म कर दिया है।
राशिद अल्वी ने कांग्रेस की कमजोर स्थित को स्वीकार करते हुए कहा, 'सरकार बनाने हमारे लिए कठिन हो सकता है, लेकिन मोदी को सत्ता से बाहर रखने के लिए सभी सेक्युलर दलों को एकजुट होना चाहिए।' कांग्रेस नेता ने सुझाव दिया कि क्षेत्रीय दलों को अपना नेता ममता बनर्जी को चुनना चाहिए, जो कि संदेह के परे धर्मनिरपेक्ष, सक्षम और ईमानदार हैं।
इस बीच थर्ड फ्रंट की सुगबुगाहट भी काफी तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव भारतीय राजनीति के सबसे अहम दिन से ठीक पहले दिल्ली में मौजूद हैं और थर्ड फ्रंट को साकार करने की अपनी योजना पर तेजी से काम कर रहे हैं। मुलायम सिंह ने इस संबंध में कोई बयान तो नहीं जारी किया, लेकिन उन्होंने पार्टी के भीतर एग्जिट पोल्स की विश्वसनियता पर सवाल खड़े किए हैं।
अभी तक मोदी की स्वभाविक सहयोगी समझे जाने वाली एआईएडीएमके सुप्रीमो जयललिता ने भी मोदी के खिलाफ कड़े तेवर दिखा दिए हैं। जयललिता ने अपनी पार्टी के पूर्व सांसद मलयसामी को केवल इसलिए पार्टी से निष्कासित कर दिया, क्योंकि उन्होंने जयललिता को मोदी की दोस्त बता दिया। साफ है, जयललिता नतीजों से पहले किसी तरह का संकेत देने से बच रही हैं और मोदी की तारीफ भी स्वीकार नहीं कर रही हैं।
बीजू जनता दल के नवीन पटनायक भी अभी अपने पत्ते खोलने के मूड में नहीं दिख रहे हैं। मंगलवार को बीजेडी के कुछ नेताओं के बयानों से जैसे ही संकेत मिला कि पार्टी एनडीए के लिए सकारात्मक रुख रख रही है, नवीन पटनायक ने इसका खंडन कर दिया। नवीन पटनायक ने कहा कि अभी पोस्ट इलेक्शन गठबंधन को लेकर किसी से भी कोई बात नहीं हुई है।
मंगलवार को एक और बड़ी खबर एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार की तरफ से भी एक बड़ी खबर आई। एनसीपी सुप्रीमो ने एग्जिट पोल्स पर सवाल खड़े करते हुए मोदी और एनडीए को रोकने के लिए तमाम क्षत्रपों से संपर्क साधा। शरद पवार ने एआईएडीएमके सुप्रीमो जयललिता, तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी, वाईएसआर कांग्रेस के जगन और बीजेडी के नवीन पटनायक से फोन पर संपर्क किया है।
एनसीपी के सीनियर नेता डीपी त्रिपाठी ने आधिकारिक बयान जारी करते हुए यहां तक कह दिया कि एनडीए या मोदी को समर्थन देने का सवाल ही नहीं उठता है। बीजेपी को छोड़ कांग्रेस समेत तमाम क्षेत्रीय दलों ने एग्जिट पोल्स की विश्वसनियता को चैलेंज किया है। यही वजह है कि कांग्रेस की लीडरशिप भी अब थर्ड फ्रंट के विचार को गंभीरता से समर्थन देने का मन बनाती नजर आ रही है। ऐसे में यह देखना काफी रोचक है कि मोदी के खिलाफ यह चक्रव्यूह कितना कारगर साबित होगा।