नई दिल्ली. वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने इस बार का आम बजट पेश करते हुए रक्षा के मद पर खर्च की जाने वाली राशि को बढ़ाकर 1,64,415 करोड़ रुपये करने की घोषणा की। यह राशि पिछले बजट में रक्षा क्षेत्र को आवंटित 1,47,344 करोड़ रुपये से करीब 11 फीसदी अधिक है।
भारत का रक्षा बजट रक्षा पर सबसे अधिक खर्च करने वाले देशों में दसवें स्थान पर आता है लेकिन यह दुनियाभर में रक्षा पर होने वाले खर्च का महज दो फीसदी है। भारत के पड़ोसी चीन और पाकिस्तान हर साल क्रमश: 45 खरब रुपये और पांच खरब रुपये रक्षा पर खर्च करते हैं।
मुखर्जी ने सोमवार को लोकसभा में वित्त वर्ष 2011-12 का आम बजट पेश करते हुए कहा कि रक्षा क्षेत्र के लिए पूंजीगत खर्च को बढ़ाकर 69,199 करोड़ रुपये कर दिया गया है, जो वित्त वर्ष 2010-11 में 60,000 करोड़ रुपये था। यह राशि सेना के आधुनिकीकरण पर खर्च किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर रक्षा क्षेत्र को और अधिक राशि आवंटित की जाएगी।
वित्त मंत्री यह भी घोषणा की कि 100 प्रतिशत विकलांगता का शिकार होने के कारण सेवा से बाहर होने वाले सैन्य बलों के कर्मियों को 9 लाख रूपये की अनुग्रह राशि दी जाएगी। मुखर्जी ने कहा कि माओवादियों से लड़ते हुए पूर्ण विकलांगता का शिकार होने वाले अर्ध सैनिक बलों के कर्मियों को 9 लाख रूपये की अनुग्रह राशि दी जाती है जो अब सैन्य कर्मियों को भी दी जाएगी। वित्त मंत्री ने कहा कि 20 से 99 प्रतिशत तक विकलांगता का शिकार होने वाले कर्मियों को आनुपातिक आधार पर अनुग्रह राशि तय की जाएगी।
रक्षा बजट में साल दर साल लगभग दस प्रतिशत की बढ़ोतरी होती रही है लेकिन इस बार आधुनिकीकरण का दबाव बढ़ जाने और राजस्व मद में भी खर्चे ज्यादा होने से रक्षा बजट में करीब 20 प्रतिशत वृद्धि की संभावना व्यक्त की जा रही थी लेकिन इस बार के बजट में केवल 11 फीसदी की बढ़ोतरी ही की गई। पिछले वर्ष के मुकाबले करीब 20 प्रतिशत की अभूतपूर्व वृद्धि की संभावनाओं को देखते हुए 2011..12 का रक्षा बजट पौने दो लाख करोड़ रूपये के आंकडे़ को पार करने की तैयारी में था। गत दिसंबर में रक्षा मंत्रालय ने अब तक हुए खर्च और आगामी तीन महीनों की योजनाओं को देखते हुए वित्त मंत्रालय से पूंजी और राजस्व दोनों ही मदों में बढी हुई संशोधित राशि की मांग की थी।
रक्षा सूत्रों ने कहा कि 1971 की जंग के बाद रक्षा बजट और उसमें पूंजीगत खर्च अनुमानों के इतना अधिक पार गया है। इस समय देश को फौरन रक्षा खरीदारी करनी पड़ी थी। बडे़ पैमाने पर हुए रक्षा सौदों और सैन्य बलों में आधुनिकीकरण की आंधी, रक्षा मंत्री ए के एंटनी के सख्त वित्तीय अनुशासन और योजनाओं के समय से क्रियान्वयन की इसमें प्रमुख भूमिका मानी जा रही है। अमेरिका. रूस. फ्रांस और ब्रिटेन के नेताओं की भारत यात्रा के दौरान अरबों डालर के रक्षा सौदों को अंतिम रूप दिए जाने से भी पूंजीगत खर्च अनुमानों के पार चला गया