जरूरी नहीं कि केवल कंपनियों, सरकार या स्थानीय प्रशासन को ही संसाधन की बर्बादी की समस्या से दो-चार होना पड़ता हो। दुखद सच्चाई यह है कि संपदा या संसाधन की बर्बादी का नाता आप और मुझ जैसे व्यक्तियों से भी हो सकता है।
इससे भी दुखद यह कि मुमकिन है आप और हम भी ऐसे लोगों की श्रेणी में आते हों, जो व्यर्थ गंवा दिए गए संसाधनों की तरह हों। जरा इस बारे में सोचें।
गर्मियां बीत चुकी हैं। लेकिन मैं उम्मीद करता हूं कि गर्मियों में अक्सर नजर आने वाला यह दृश्य आपने जरूर देखा होगा: खाली पड़े स्कूली मैदानों को अपनी कदमताल की आवाज से गुंजाते एनसीसी (नेशनल कैडेट कोर) के नौजवान कैडेट्स। यह नजारा बहुत आम है।
हर सुबह देशभर के अनेक स्कूलों से विद्यार्थी बसों में सवार होकर एनसीसी के निर्धारित लक्ष्य को हासिल करने के लिए चल पड़ते हैं। आखिर क्या है वह लक्ष्य, जिसके लिए हमारे युवा मुस्तैदी से जुटे हैं? और उस लक्ष्य को वे किस तरह हासिल करना चाहते हैं? वह लक्ष्य है भारत के युवाओं को भविष्य के साहसी, अनुशासित और राष्ट्रभक्त नेताओं के रूप में तैयार करना। अपनी इस मंजिल को वे धूल उड़ाती परेडों के जरिए हासिल करना चाहते हैं। अगर प्रसंग से हटकर देखें तो यह अपने आपमें एक महान और सराहनीय आदर्श मालूम हो सकता है, लेकिन जमीनी सच्चाई की बात करें तो यह बेतुका विचार है। खाकी यूनिफॉर्म और हरी टोपी में चाकचौबंद 13 लाख से ज्यादा युवा और किशोर एनसीसी कैडेट्स क्या हमें यह सोचने पर मजबूर नहीं कर देते कि हम किस तरह अपनी राष्ट्रीय संपत्ति को नाहक जाया कर रहे हैं?
अगर 2001 की जनगणना से मिले आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलेगा कि देशभर में 14 से 18 वर्ष की आयु के माध्यमिक स्कूल विद्यार्थियों की संख्या अनुमानित रूप से 310 लाख है। अनुमान है हर साल तकरीबन 50 से 60 लाख विद्यार्थी हायर सेकंडरी के इम्तिहान पास करते हैं और ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए कॉलेजों का रुख करते हैं। संभव है उन्हें हमारे गुदड़ी के लालों की तरह तैयार नहीं किया गया हो या उन्हें ‘भविष्य के अनुशासित नेताओं’ के रूप में नहीं गढ़ा गया हो। अलबत्ता हम तो यही उम्मीद करेंगे कि ऐसा हो। लेकिन वे नौजवान हैं, चुस्त-दुरुस्त हैं और उनमें कुछ नया सीखने की गहरी ललक है। और किसे पता अगर हम खुशनसीब साबित हुए तो मुमकिन है इन नौजवानों के भीतर हमारा बेहतर कल गढ़ने का सपना भी पल रहा हो।
इनमें से ज्यादातर विद्यार्थी जल्द ही कॉलेज में दाखिला लेने की जद्दोजहद शुरू कर देंगे। शायद वे अपने कॅरियर के चयन को लेकर भ्रमित और अनिश्चित भी हों। यह सवाल हमें सोचने को मजबूर कर सकता है कि इससे पहले कि ये नौजवान अकादमिक जिंदगी की पेचीदगियों और कॉपरेरेट कॅरियर के आकर्षण में उलझ जाएं, क्या उनका इस्तेमाल बेहतर भारत के निर्माण के लिए नहीं किया जा सकता?
कोई भी यह नहीं कह रहा है कि एनसीसी पौधारोपण, कुष्ठ निवारण और एड्स जागरूकता की दिशा में काम नहीं करे। न ही किसी को इस पर एतराज है कि हर साल तकरीबन 20 हजार कैडेट्स को विभिन्न आर्मी कमांड मुख्यालयों में लगा दिया जाता है, जहां उन्हें 15 दिनों का प्रशिक्षण दिया जाता है। न ही विभिन्न सैन्य अस्पतालों में लगा दिए जाने वाले एक हजार सीनियर विंग गर्ल कैडेट्स और जल और वायु सेना में लगा दिए जाने वाले लगभग 700 युवा कैडेट्स पर किसी तरह की आपत्ति है। लेकिन इन सबके बावजूद तकरीबन 12.78 लाख एनसीसी कैडेट्स बचे रह जाते हैं, जिन्हें राष्ट्रसेवा के वास्तविक और जरूरी कार्यो में लगाया जा सकता है। देश और समाज के हित में इन विद्यार्थियों की ऊर्जा और क्षमता को प्रबंधित करने का कोई वास्तविक तरीका हाल फिलहाल तो हमारे पास नहीं है।
मुमकिन है भविष्य में हमें 10+2+1+3 जैसी किसी शिक्षा प्रणाली की जरूरत हो। कॉलेज में दाखिला लेने से पहले विद्यार्थी देश की सेवा के लिए 12 महीनों का समय निकालें। रक्तदान जैसी गतिविधियां अपनी जगह पर ठीक हैं, लेकिन युवाओं को किसानों के सहायक के रूप में भी काम करना चाहिए।
उन्हें बुनियादी ढांचे के प्रोजेक्टों पर काम करना चाहिए। उन्हें प्राथमिक स्कूल के बच्चों के प्रबंधन और उनकी शिक्षा में सहायक की भूमिका भी निभानी चाहिए, ताकि प्राथमिक और माध्यमिक स्तर की पढ़ाई के दौरान स्कूल छोड़ देने वाले बच्चों की संख्या घटाई जा सके। उन्हें स्टाफ की समस्या से जूझ रही कानून व्यवस्था की मशीनरी के साथ काम करना चाहिए। क्या आप अनुमान लगा सकते हैं कि 60 लाख विद्यार्थियों के भीतर छिपी संभावनाओं का पूरी तरह इस्तेमाल करने के मायने क्या होंगे? हमारे ये युवा देश के निर्माण में इंच-दर-इंच और मील-दर-मील अपना योगदान दे सकते हैं। और यह तो जाहिर ही है कि वयस्क होने के बाद वे उस व्यवस्था के प्रति ज्यादा जवाबदेह होंगे, जिसे बनाने में उन्होंने योगदान दिया है।
शायद यह विचार सेना में अनिवार्य भर्ती जैसा लग सकता है। फिर एक साल के लिए हमारी तमाम युवा आबादी को सरकार के नियंत्रण में रखने पर कई तरह की प्रतिक्रियाएं भी होंगी। कुछ लोगों को यह एक महान विचार लगेगा तो कहीं इसका विरोध भी होगा। मुमकिन है इसकी मुखालफत में हिंसक प्रदर्शन भी हों। ऐसा भी नहीं है कि विरोध के कोई कारण नहीं होंगे। आखिर कौन यह चाहेगा कि हमारी आने वाली पीढ़ी ग्रेजुएशन से पहले ही बाबू संस्कृति के प्रभाव में आ जाए? यह भी तो मुमकिन है कि देश पर गर्व करने वाले ६क् लाख विद्यार्थियों के स्थान पर हमें ऐसे ६क् लाख विद्यार्थी हासिल हों, जो नाकारा और भ्रष्ट बाबुओं की राह पर चलने को तैयार हों।
मजे की बात तो यह है कि हमारे पास नेशनल सर्विस स्कीम (एनएसएस) जैसी योजना भी है। वर्ष 1958 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने मंशा जताई थी कि ग्रेजुएशन से पहले विद्यार्थी समाज सेवा की गतिविधियों में मुब्तिला हों। नतीजा यह निकला कि वर्ष 1969 में उनके इसी विचार को थोड़ा बदला स्वरूप देते हुए एनएसएस की स्थापना की गई, जिसका उद्देश्य था समाज सेवा की गतिविधियों के मार्फत विद्यार्थियों के व्यक्तित्व का विकास। देशभर के 200 से अधिक विश्वविद्यालयों सहित कॉलेजों, पोलिटेक्निकों और हायर सेकंडरी स्कूलों में एनएसएस के 26 लाख से ज्यादा स्वयंसेवक हैं। लेकिन यह योजना अब अपने लक्ष्य से भटक चुकी है। आज एनएसएस अस्पष्ट लक्ष्यों के लिए काम कर रही है। उसके सामने कोई ठोस लक्ष्य नहीं रह गया है। असल चुनौती तो यही है कि एनएसएस के पास पहले से ही जो सिस्टम और बुनियादी ढांचा मौजूद है, उसका इस्तेमाल नौजवानों को प्रेरित करने के लिए कैसे किया जाए। क्या यह तस्वीर बदली जा सकती है?
Uploads by drrakeshpunj
Popular Posts
-
कामशक्ति को बढ़ाने वाले उपाय (संभोगशक्ति बढ़ाना) परिचय - कोई भी स्त्री या पुरुष जब दूसरे लिंग के प्रति आर्कषण महसूस करने लगता है तो उस...
-
यूं तो सेक्स करने का कोई निश्चित समय नहीं होता, लेकिन क्या आप जानते हैं सेक्स का सही समय क्या है? बात अजीब जरुर लग रही होगी लेकिन एक अ...
-
भारतीय इतिहास के पन्नो में यह लिखा है कि ताजमहल को शाहजहां ने मुमताज के लिए बनवाया था। वह मुमताज से प्यार करता था। दुनिया भर ...
-
फरीदाबाद: यह एक कहानी नही बल्कि सच्चाई है के एक 12 साल की बच्ची जिसको शादी का झांसा देकर पहले तो एक युवक अपने साथ भगा लाया। फिर उससे आठ साल...
-
surya kameshti maha yagya on dated 15 feb 2013 to 18 feb 2013 Posted on February 7, 2013 at 8:50 PM delete edit com...
-
किस ग्रह के लिए कौन सा रत्न ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों को बल प्रदान करने और उनका अनिष्ट फल रोकने हेतु रत्नों द्वारा ग्रहों का दुष्प्रभाव र...
-
किस ग्रह के लिए कौन सा रत्न ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों को बल प्रदान करने और उनका अनिष्ट फल रोकने हेतु रत्नों द्वारा ग्रहों का दुष्प्रभाव र...
-
महाभारत ऐसा महाकाव्य है, जिसके बारे में जानते तो दुनिया भर के लोग हैं, लेकिन ऐसे लोगों की संख्या बहुत...
-
नई दिल्ली. रोहिणी सेक्टर-18 में एक कलयुगी मौसा द्वारा 12 वर्षीय बच्ची के साथ कई महीनों तक दुष्कर्म किए जाने का मामला सामने आया। मामले का ...
-
लखनऊ: भ्रष्टाचारों के आरोपों से घिरे उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा को बीजेपी में शामिल करने पर पूर्व मुख्यमंत्री और जन क्...
Search This Blog
Popular Posts
-
कामशक्ति को बढ़ाने वाले उपाय (संभोगशक्ति बढ़ाना) परिचय - कोई भी स्त्री या पुरुष जब दूसरे लिंग के प्रति आर्कषण महसूस करने लगता है तो उस...
-
यूं तो सेक्स करने का कोई निश्चित समय नहीं होता, लेकिन क्या आप जानते हैं सेक्स का सही समय क्या है? बात अजीब जरुर लग रही होगी लेकिन एक अ...
-
भारतीय इतिहास के पन्नो में यह लिखा है कि ताजमहल को शाहजहां ने मुमताज के लिए बनवाया था। वह मुमताज से प्यार करता था। दुनिया भर ...
-
फरीदाबाद: यह एक कहानी नही बल्कि सच्चाई है के एक 12 साल की बच्ची जिसको शादी का झांसा देकर पहले तो एक युवक अपने साथ भगा लाया। फिर उससे आठ साल...
-
surya kameshti maha yagya on dated 15 feb 2013 to 18 feb 2013 Posted on February 7, 2013 at 8:50 PM delete edit com...
-
किस ग्रह के लिए कौन सा रत्न ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों को बल प्रदान करने और उनका अनिष्ट फल रोकने हेतु रत्नों द्वारा ग्रहों का दुष्प्रभाव र...
-
किस ग्रह के लिए कौन सा रत्न ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों को बल प्रदान करने और उनका अनिष्ट फल रोकने हेतु रत्नों द्वारा ग्रहों का दुष्प्रभाव र...
-
महाभारत ऐसा महाकाव्य है, जिसके बारे में जानते तो दुनिया भर के लोग हैं, लेकिन ऐसे लोगों की संख्या बहुत...
-
नई दिल्ली. रोहिणी सेक्टर-18 में एक कलयुगी मौसा द्वारा 12 वर्षीय बच्ची के साथ कई महीनों तक दुष्कर्म किए जाने का मामला सामने आया। मामले का ...
-
लखनऊ: भ्रष्टाचारों के आरोपों से घिरे उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा को बीजेपी में शामिल करने पर पूर्व मुख्यमंत्री और जन क्...
followers
style="border:0px;" alt="web tracker"/>