Tuesday, July 20, 2010

भगवान गणोश बुद्धि के देवता

उज्जैन. बिजनेस मैनेजमेंट हो या लाइफ मैनेजमेंट इन दोनों के सबसे बड़े गुरु हैं भगवान गणपति। गणपति का स्वरूप अपने आप में मैनेजमेंट की पूरी किताब है। अगर भगवान गणपति के चित्र को ठीक से समझा जाए तो हम पाएंगे कि उनके पूरे शरीर और अस्त्र, आभूषण में हमारे लिए लाइफ मैनेजमेंट के फंडे छुपे हैं। आइए, जानते हैं कि भगवान गणोश का स्वरूप हमें क्या सिखाता है।
- भगवान गणोश बुद्धि के देवता है, उनका सिर बड़ा है, यह संकेत करता है कि मनुष्य का अपनी सोच विस्तृत रखनी चाहिए। कभी भी मानसिकता छोटी न हो।
- उनकी आंखें भी बड़ी-बड़ी हैं, यह बताती है कि हमें समदर्शी होना चाहिए। हमारी नजर में कोई बड़ा छोटा न हो, अमीर-गरीब या मनुष्यों में किसी प्रकार का भेद न करें। सबसे प्रति समान भाव रखें।
- उनकी सूंड यानी लंबी नाक यह बताती है कि हमारी सूंघने की शंक्ति यानी दूरदर्शिता अच्छी होनी चाहिए। हम परिस्थितियों को पहले से भांप लें और उसके अनुसार तैयारी शुरू करें।
- बड़े कान बताते हैं कि हम ज्यादा सुनें, कम बोलें। ज्यादा लोगों की बातें सुनें। जिससे हमारा ज्ञान भी बढ़े और हम बेहतर निर्णय भी लें सकें।
- गणपति का बड़ा पेट कहता है कि हमारे भीतर हर तरह की बातें पचाने की क्षमता हो। कई लोग कोई भी बात अपने तक नहीं रख पाते।
- गणपति के हाथ में अंकुश है, यह बताता है कि आपका मन भी हाथी की तरह मस्त होकर इधर-उधर फिरता है, इस पर नियंत्रण होना जरूरी है।
- गणपति का वाहन चूहा है, गणपति बुद्धि के देवता हैं और यह चूहा तर्क का प्रतीक है। आपकी बुद्धि तब तक साबित नहीं हो सकती है जब तक कि आपके पास तर्क न हो। इसलिए गणपति कहते हैं तार्किक भी बनिए।
- गणपति के एक हाथ में लड्डू भी है। यह वाणी का प्रतीक है, आपकी वाणी ऐसी मीठी होनी चाहिए कि हर कोई आपके प्रति आकर्षित हो जाए।

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