Wednesday, January 29, 2014

अंडरग्राउंड' इकोनॉमी में हड़कंप: रियल एस्टेट में तेजी से लगेगा काला धन!

नई दिल्ली. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के 2005 से पहले के नोटों को चलन से बाहर करने के एलान से देश की अंडरग्राउंड इकॉनमी में हड़कंप मचा हुआ है। सरकार की नजरों से दूर चलने वाली अर्थव्यवस्था में शामिल कई लोग अब पुराने नोट को नए नोट से बदलने और पुराने नोटों के सुरक्षित निवेश के रास्ते तलाशने की जुगत में भिड़ गए हैं। आर्थिक जानकारों का कहना है कि अब काला धन रियल एस्टेट, हीरा, सोना और चांदी जैसी चीजों को खरीदने में तेजी से लगाया जाएगा। 
 
 
एक हजार करोड़ रोजाना का है धंधा
 
रोजाना एक हजार करोड़ रुपए इधर से उधर पहुंचाने वाले कैश कूरियर (गुजराती भाषा में आंगड़िया) भी परेशान हैं। उनके पास रोजाना इतनी बड़ी मात्रा में रकम आती है कि उनके लिए नए और पुराने को छांटना और पुराने नोटों को नए में बदलना बहुत मुश्किल चुनौती है। उनके लिए रास्ता इसलिए मुश्किल है क्योंकि उनके धंधे का एक बड़ा हिस्सा बैंकों के दायरे से बाहर है। अगर उन्हें अपने पास आने वाली और पहले से इकट्ठा बड़ी रकम को नए नोटों में बदलना है तो उन्हें बैंकों के चक्कर लगाने पड़ेंगे। ऐसा करते हुए उनकी पहचान उजागर होने और उनके धंधे के सरकार की नजरों में सीधे तौर पर आने का खतरा भी है।
 
सोना, हीरा खरीदने में जुटे लोग
 
कैश कूरियर के रूप में काम कर रहे कई लोग नकद पैसे का एक हिस्सा खर्च कर सोना या हीरा खरीदने, कमीशन चुका कर पुराने नोटों के बदले चेक हासिल करने के लिए गैर कानूनी तौर पर ऑपरेट करने वाली कुछ कंपनियों से संपर्क कर रहे हैं।
 
आरबीआई का एलान
आरबीआई के एलान के मुताबिक 1 जुलाई से 500 या 1000 रुपए के 10 पुराने नोट बदलने के लिए पहचान पत्र और पते का सुबूत देना होगा। 
 रियल एस्टेट, गहनों की बिक्री में तेजी के आसार
 
आरबीआई के पुराने नोट बदलने के ऐलान के बाद अर्थव्यवस्था के जानकार मानते हैं कि इस कदम से देश में छुपा काला धन तेजी से बाजार में आएगा। काला धन रखने वाले लोग मार्च से पहले अपनी रकम का इस्तेमाल रियल एस्टेट, हीरा, सोना या चांदी खरीदने में कर सकते हैं। इस वजह से इन चीजों के बाजार में रुपए का फ्लो तेज होगा, जिससे रियल एस्टेट में छाई मंदी भी दूर होने के आसार हैं। रुपए के फ्लो से रियल एस्टेट से जुड़े सीमेंट, सरिए और अन्य बिल्डिंग मैटेरियल के व्यापार में भी तेजी आने के आसार हैं। 
8 सालों में 4.8 लाख करोड़ की काले धन की रकम विदेश भेजी गई!
 
ऐसा माना जाता है कि भारत में बड़ी मात्रा में काला धन छुपा हुआ है। यही नहीं, देश के काले धन का एक बड़ा हिस्सा विदेशी बैंकों में भी जमा है। इनदिनों देश में यह बहुत बड़ा राजनीतिक मुद्दा भी है। कुछ साल पहले आई ग्लोबल फाइनेंशियल इंटीग्रिटी (जीएफआई) की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2000 से 2008 के बीच भारत से 4.8 लाख करोड़ रुपए काले धन के रूप में विदेश भेजे गए। जीएफआई ने दुनिया के टॉप 20 ऐसे देशों की लिस्ट भी बनाई थी, जहां से सबसे ज्यादा काला धन विदेश भेजा जाता है। लिस्ट में भारत 15 वें नंबर पर था। इस मामले में चीन दुनिया में पहले नंबर का देश था। जीएफआई के मुताबिक चीन ने 8 सालों में 2176 अरब अमेरिकी डॉलर का काला धन विदेश भेजा था। वित्तीय मामलों के जानकार अरुण प्रभुदेसाई का कहना है कि वास्तव में देश के भीतर छुपाया गया काला धन और देश से बाहर भेजा गया कालाधन 4.8 लाख करोड़ रुपए से कहीं ज्यादा है
Challenge: बैंकों के डूबे कर्ज ने 6.5 लाख करोड़ का आंकड़ा छुआ 
 
भारतीय अर्थव्यवस्था को न सिर्फ काले धन से तगड़ी चुनौती मिल रही है बल्कि देश के बैंकों के डूब रहे कर्ज ने भी बड़े वित्तीय संकट की ओर इशारा किया है। भारत में सितंबर, 2013 तक पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर के बैंकों की ओर से बतौर कर्ज दी गई 6.5 लाख करोड़ रुपए की रकम फंस चुकी है। क्रिसिल ने अनुमान लगाया है कि इस साल मार्च के अंत तक इसमें 3 लाख करोड़ की रकम और जुड़ जाएगी।  
 
पाकिस्तान के सरकारी छापेखाने में छप रहे भारतीय जाली नोट 
 
भारत के जाली नोट पाकिस्तान के सरकारी छापेखाने में छप रहे हैं। इस बात के पुख्ता सबूत रॉ, एनआईए, आईबी जैसी एजेंसियों ने जुटाए हैं। जाली नोट में इस्तेमाल किए गए कागज और स्याही वही है, जिसका इस्तेमाल पाकिस्तानी छापेखाने करते हैं। जाली नोटों के जरिए भारत की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। खुफिया एजेंसियों ने यह जानकारी गृह मंत्रालय, वित्त मंत्रालय के साथ ही वित्त मामलों की संसदीय स्थायी समिति को भी दी है। इसके मुताबिक जाली नोट में जीएसएम के पेपर वैक्सपिक क्विटेंट और ऑलीविनी पेपर का इस्तेमाल किया जा रहा है। 2010 से 2011 तक 1700 से 1900 करोड़ रुपए के जाली नोट छापे गए। वहीं 2012 से अब तक 3,500 से 4,000 करोड़ रुपए के जाली नोट छापे गए। बांग्लादेश, नेपाल, थाईलैंड, मलेशिया श्रीलंका और चीन के जरिए जाली नोट भारत आ रहे हैं
कैसे काम करते हैं कैश कूरियर 
 
कैश कूरियर के रूप में काम करने वाले लोग कूरियर की जाने वाली हर रकम का आधा फीसदी बतौर कमीशन चार्ज करते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि अगर किसी शख्स को दिल्ली से अहमदाबाद किसी के पास पैसे भिजवाने हैं तो उसे 5 हजार रुपए का कमीशन देना होगा। कैश कूरियर का काम करने वाले एक शख्स ने अपने काम करने के तरीके के बारे में बताया, 'हमें ग्राहक भेजी जाने वाली रकम के साथ कमीशन सौंप देता है। मैं उसे एक पासवर्ड देता हूं। इसके बाद जहां रकम भेजी जानी है, वहां बैठे अपने साथी को टेक्स्ट मैसेज भेजता हूं जो उसके पास आने वाले ग्राहक को रकम चुका देता है
कहां हैं कैश कूरियर के बड़े गढ़
 
कैश कूरियर का धंधा दिल्ली के चांदनी चौक, अहमदाबाद, सूरत और मुंबई में खूब चलता है। दिल्ली में अनाज, कपड़ा और अन्य चीजों के थोक व्यापारी कैश कूरियर का इस्तेमाल करते हैं। मुंबई में यह धंधा हीरे के कारोबार में खूब चलता है। 
 
कैश कूरियर करने वालों का दावा-कानूनी है धंधा
 
मुंबई आंगड़िया (कैश कूरियर) एसोसिएशन के अध्यक्ष अमृतभाई पटेल का कहना है कि उनका धंधा पूरी तरह से कानूनी है। दिल्ली में आंगड़िया के तौर पर काम करने वाले लोग बताते हैं कि वे ग्राहक को पर्ची देते हैं, जिसे सुबूत के तौर पर पेश किया जा सकता है। लेकिन इस धंधे के जानकार बताते हैं कि जितनी रकम भेजी जाती है, उसके बहुत छोटे हिस्से को ग्राहक को दी जाने वाली पर्ची पर दिखाया जाता है

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