सारा पंजाब एक तरफ और गिद्दड़बाहा दूसरी तरफ। असेंबली इलेक्शन का तापमान इस सीट पर इतना ज्यादा है कि वो उम्मीदवारों से लेकर वोटर तक के दिमाग को खौला रहा है। ताब पाना मुश्किल है। बादलों की इस परंपरागत सीट से अन्य चुनावों की तरह लड़ तो इस बार बादल ही रहे हैं लेकिन मामला बिल्कुल अलग है।
पंजाब के मुख्यमंत्री और अपने ताऊ परकाश सिंह बादल से बगावत करने के बाद अपने दम पर पार्टी बनाकर खम ठोंक रहे पीपीपी के हेड मनप्रीत बादल यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। अकाली दल के टिकट पर वे यहां लगातार चार बार से जीतते आ रहे हैं। इस बागी से निपटने के लिए अकाली दल ने कांग्रेस के बागी संत सिंह बराड़ को भिड़ा दिया है।
ये वही बराड़ हैं जिन्होंने मनप्रीत से 2007 में आजाद प्रत्याशी के तौर पर टक्कर ली थी। बाद में वे कांग्रेस में शामिल हो गए और इस वादे पर टिके थे इस बार के चुनाव में उन्हें पार्टी टिकट जरूर देगी। जैसे ही यहां वादा खिलाफी हुई बराड़ ने विद्रोह कर दिया और उन्हें हाथोंहाथ लेते हुए बड़े बादल ने तुरंत अकाली दल का टिकट थमा दिया। मुख्य लड़ाकों के बीच अब एक तीसरा कैंडीडेट आता है अमरिंदर सिंह राजा वडिंग। ये यूथ कांग्रेस के जनरल सेक्रेट्री होने के कारण राहुल गांधी के जरिए सीधे गिद्दड़बाहा में उतर पड़े। दरअसल इन्हीं का पैराशूट से उतरना बराड़ को चुभ गया था। जाहिर है कि यहां मुकाबला तिकोना और बहुत दिलचस्प है। कौन जीतेगा इससे ज्यादा नजर इस बात पर है कि किसे हरा दिया जाएगा।
मनप्रीत इस सीट पर क्योंकि बीस साल से एमएलए हैं तो हर गांव गली में उनके कदमों के निशान मिल जाते हैं। खबर है कि इन्हीं निशानों को मिटाने के लिए एक बार तो अकाली दल हरसिमरत कौर तक को इस सीट पर उतारने के लिए तैयार था। यह टकराव तो टल गया लेकिन संत सिंह बराड़ के लिए समर्थन जुटाने पहुंची हरसिमरत कौर की बातों से मनप्रीत नहीं बच पा रहे। गौरतलब है कि अकाली दल इस सीट पर हमेशा बादल परिवार से ही किसी को टिकट देता रहा है। पहली बार नॉन बादल कैंडीडेट अकाली दल के टिकट पर है और बादल उनकी मुखालफत में। मनप्रीत इस सीट की अहमियत को जानते हैं इसीलिए हर घर तक जाकर अपनी बात कह रहे हैं।
लगातार प्रचार के बाद वे अपनी दूसरी सीट मौड़ और पीपीपी के अन्य उम्मीदवारों को भी वक्त वक्त दे रहे हैं। अमेरिका में पढ़ने वाला उनका पंद्रह वर्षीय बेटा अजरुन इस काम में उनकी मदद के लिए मौजूद दिखा। शहीद भगत सिंह और क्रांति का जज्बा सामने रखकर वे शानदार भाषण देते हुए उस चक्रव्यूह का जिक्र भी करते हैं जो पंजाब में इस वक्त रचा दिख रहा है। मनप्रीत प्रोग्रेसिव मिजाज रखते हैं और अपनी बात वोटर तक पहुंचाने के लिए कोलावरी से लेकर ट्विटर तक का इस्तेमाल करते हैं। राजा वड़िंग क्योंकि यूथ ब्रिगेड का हिस्सा हैं तो पूरे जोश के साथ लड़ने पहुंचे हैं। कांग्रेस की पक्की वोट को बचाने की कवायद के अलावा उनके सामने चैलेंज अकालियों की वोट तोड़ने का भी है। वे कहते हैं कि आज के पंजाब को ऐसी लीडरशिप की जरूरत है जो अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर जनता के लिए काम करे।