Thursday, September 24, 2015

बिना खर्च पाएं सेहत और चुस्ती - स्वामी चिन्मय नन्द जी महाराज


हवा व हरियाली के बीच किए जाने वाले पारंपरिक व्यायामों की कोई तुलना नहीं। बंद कमरे में घंटों पसीना बहाने की तुलना में खुले में दौड़ना या साइकिल चलाना ज्यादा फायदेमंद है।ये शब्द स्वामी चिन्मय नन्द जी महाराज ने पंचकुला में एक योग शिविर में शिरकत करते हुए कहे ! स्वामी चिन्मय नन्द जी महाराज ने कहा के 
योगिक क्रिया व ध्यान सांसों के जरिए तन-मन को साधने की क्रिया है। इससे चिंता, तनाव और मनोरोग दूर होते हैं। स्फूर्ति का एहसास होता है। हावर्ड मेडिकल स्कूल में मनोचिकित्सक जॉन डेनिनर पिछले पांच साल से पारंपरिक योग व ध्यान के जरिए मस्तिष्क क्रियाओं और जींस पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन कर रहे हैं। उनके अनुसार योग व ध्यान निरोगी रहने के लिए कारगर हैं। तन और मन की यह तकनीक शरीर में तनाव और रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करने वाले जींस को प्रभावित करती है।
योग विशेषज्ञों के अनुसार योग से शरीर में वायु तत्व की पूर्ति होती है। आहार संबंधी समस्याएं, हाई बीपी, कोलेस्ट्रॉल और मोटापे से जुड़ी समस्याओं से मुक्ति मिलती है। रोजाना आधा घंटा योगाभ्यास सेहत के लिए उत्तम है। इसके बाद शरीर पर सरसों, तिल या अश्वगंधा तेल की मालिश करके स्नान के पश्चात कुछ देर शांत चित्त ध्यान करना दिन की शुरुआत को बेहतर और तरोताजा बना सकता है। स्वामी चिन्मय नन्द जी महाराज ने कहा के शरीर को चुस्त-दुरुस्त बनाए रखने के लिए साइक्लिंग बेहतरीन उपाय है। साइकिल चलाना आसान भी है और इससे मांसपेशियों का लचीलापन भी बना रहता है। 80 किलोग्राम वजन का कोई व्यक्ति एक घंटे साइकिल चलाने पर 650 से ज्यादा कैलोरी की खपत कर सकता है। इससे पैर व शरीर का निचला हिस्सा मजबूत व सही आकार में बना रहता है। चढ़ाई वाली जगह पर साइक्लिंग करने से शरीर के ऊपरी हिस्से को मजबूती मिलती है। हृदय तंत्र को स्वस्थ रखने के लिए हफ्ते में 150 मिनट साइकिल जरूर चलाएं। इससे हृदय रोग, मधुमेह, मोटापे और बीपी की समस्या को बहुत हद तक कम किया जा सकता है। साइकिल चलाने वालों में  फ्रेक्चर का खतरा कम होता है।

 स्वामी चिन्मय नन्द जी महाराज ने कहा के रक्तचाप, हाईबीपी, मधुमेह और दिल की बीमारियों से बचने के लिए सुबह की दौड़ आवश्यक है। नियमित दौड़ लगाने से याददाश्त तेज होती है और मानसिक रोगों की चपेट में आने की आशंका 30 फीसदी तक कम हो जाती है। एक औसत भार वाले व्यक्ति के एक मील दौड़ लगाने पर 100 कैलोरी की खपत होती है और मेटाबॉलिज्म की दर बढ़ जाती है। दौड़ने से पहले हल्की स्ट्रेचिंग करने से चोटिल होने की आशंका कम हो जाती है। दौड़ते समय गति अचानक बहुत कम या ज्यादा नहीं करनी चाहिए।
बागवानी
प्रकृति के करीब रहने का एक अच्छा तरीका है बागवानी, जिसे हॉर्टीकल्चर थेरेपी का नाम भी दिया गया है। मनपसंद पौधे लगाने और उनकी देखभाल करने से शारीरिक व्यायाम तो होता ही है, थकान और तनाव भी दूर हो जाते हैं। विभिन्न शोध यह बात साबित करते हैं कि फूलों को सूंघना और बगीचे की साफ-सफाई करना रक्तचाप को नियंत्रित करता है। यहां तक कि हरियाली को देखना मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहतर होता है। इससे तनाव और बेचैनी में कमी आती है।
तेज गति से चलें
विशेषज्ञों का मानना है कि सुबह ताजी हवा में टहलने से मस्तिष्क में एंडॉर्फिन हार्मोन उत्पन्न होते हैं, जिससे मूड अच्छा रहता है। मन में सकारात्मक विचार आते हैं। टहलने से हृदय और अन्य अंगों को पोषण देने वाली धमनियों में ब्लॉकेज की आशंका कम हो जाती है। मधुमेह रोगियों के लिए तेज गति से चलना ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने में मदद करता है और स्ट्रोक का खतरा कम हो जाता है। साल 2013 में अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की पत्रिका आर्टरियोस्केल -रॉसिस, थ्रोम्बोसिस एंड वेस्कुलर बायोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार तेज गति से टहलना हाई बीपी, मधुमेह और हृदय रोगों को रोकने में मदद करता है। शुरुआत 10 मिनट आराम से टहलने से करें। धीरे-धीरे गति बढ़ाते हुए समय-सीमा को बढ़ाएं। तेज गति से टहलने पर 30 मिनट में 90 से 200 कैलोरी तक बर्न होती है। रोज आधा घंटा तेज गति से चलना हफ्ते भर में 630-1400 कैलोरी कम कर सकता है। समरण रहे की परम पूजय स्वामी चिन्मयानन्द जी महाराज ने विशव को कैंसर मुक्त करने का लक्ष्य लिया हुआ है

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