Sunday, December 4, 2011

इन महिलाओं ने जीती जंग, किया राज



इन महिलाओं ने जीती जंग, किया राजनई दिल्ली: तरक्की और प्रजातंत्र के तमाम सोपानों को छूने के बावजूद भारतीय राजनीति में महिलाओं को उनके अनुपात में नुमाइंदगी नहीं मिली है। यह संभवत: पहला मौका होगा जब भारतीय राजनीति में हर जगह महिलाएं इतनी प्रभावी रूप से छाई हुई होंगी। महिला राष्ट्रपति, महिला लोक सभाध्यक्ष, देश पर शासन कर रही सबसे बड़ी पार्टी की मुखिया और संसद में विपक्ष की नेता तो महिला हैं ही, और अब जिसने पश्चिम बंगाल में 34 साल से लहरा रहे वाम परचम को उखाड़ फेंका वह भी महिला।

आँकड़ों को देखें तो, देश के विभिन्न राज्यों में स्वतंत्रता के बाद 13 महिलाएं मुख्यमंत्री बन चुकी हैं। इस सूची में एक और नाम जुड़ने जा रहा है. ममता बनर्जी का, जो पश्चिम बंगाल में वामपंथी दलों के 34 साल के शासन के बाद राज्य में मुख्यमंत्री पद की बागडोर सम्भालेंगी।

वर्ष 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश की महिला मुख्यमंत्रियों के नाम इस प्रकार हैं :

सुचेता कृपलानी: सुचेता कृपलानी देश की पहली महिला मुख्यमंत्री थीं। स्वतंत्रता सेनानी कृपलानी कांग्रेस से थीं और उन्होंने अक्टूबर 1963 से मई 1967 के बीच उत्तर प्रदेश की सरकार चलाई।

नंदिनी सत्पथी: नंदिनी सत्पथी भी कांग्रेस से थीं। वह जून 1972 से मार्च 1974 के बीच और फिर मार्च 1974 से दिसम्बर 1976 के बीच उड़ीसा की मुख्यमंत्री रहीं।

शशिकला काकोदकर:
 शशिकला काकोदकर ने अगस्त, 1973 में पिता तथा गोवा के मुख्यमंत्री दयानंद बंदोदकर की मौत के बाद गोवा की दूसरी मुख्यमंत्री के रूप में राज्य की कमान सम्भाली। महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी से सम्बद्ध काकोदकर ने अप्रैल 1979 तक सरकार चलाई।

सैयदा अनवर तैमूर: सैयदा अनवर तैमूर दिसम्बर 1980 से जून 1981 के बीच असम में कांग्रेस की मुख्यमंत्री रहीं।

जानकी रामचंद्रन: 
ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के संस्थापक एम. जी. रामचंद्रन की विधवा जानकी रामचंद्रन 7-30 जनवरी 1988 के बीच एक महीने से भी कम समय के लिए तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं।

जे. जयललिता: फिल्मी दुनिया से राजनीति में कदम रखने वाली जे. जयललिता 1991 में पहली बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनीं। इसके बाद 2001 में वह दोबारा मुख्यमंत्री बनीं। वह एकबार फिर सत्ता में वापसी करने जा रही हैं।

मायावती: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती उत्तर प्रदेश में चौथी बार मुख्यमंत्री का कार्यकाल सम्भाल रही हैं। इससे पहले 1995 से 2003 के बीच वह बहुत कम समय के लिए तीन बार मुख्यमंत्री रहीं। उनका पहला कार्यकाल जून से अक्टूबर 1995, मार्च से सितम्बर 1997 और मई से सितम्बर 2003 के बीच रहा।

राजिंदर कौर भट्टल: कांग्रेस की राजिंदर कौर भट्टल अप्रैल 1996 से फरवरी 1997 के बीच पंजाब की मुख्यमंत्री रहीं।

राबड़ी देवी: लालू यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच राबड़ी देवी जुलाई 1997 से फरवरी 1999 और मार्च 1999 से मार्च 2000 के बीच बिहार में राष्ट्रीय जनता दल की मुख्यमंत्री रहीं।

सुषमा स्वराज: भाजपा की सुषमा स्वराज 13 अक्टूबर से 3 दिसम्बर 1998 के बीच दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं।

शीला दीक्षित: कांग्रेस की शीला दीक्षित 1998 में दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं। इसके बाद 2003 तथा 2008 के लगातार दो चुनाव भी उन्होंने जीते और तीसरे कार्यकाल के लिए दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व कर रही हैं।

उमा भारती: भाजपा की उमा भारती दिसम्बर 2003 से अगस्त 2004 के बीच मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं।

वसुंधरा राजे: सिंधिया राजघराने से सम्बद्ध वसुंधरा राजे 2003 से 2008 के बीच राजस्थान की मुख्यमंत्री रहीं।

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