Sunday, January 8, 2012

कांग्रेस के बागी बन चुनाव लड़ेंगे अटवाल, बेरी, संधू

जालंधर/फिल्लौर. कांग्रेस में बगावत के सुर बुलंद हो गए हैं। पार्टी के तीन नेताओं ने आजाद प्रत्याशी बनकर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। पूर्व विधायक गुरबिंदर सिंह अटवाल जो नकोदर सीट से चुनाव लड़ेंगे। शनिवार को फिल्लौर में अटवाल ने समर्थकों के साथ बैठक के बाद कहा कि पार्टी को सही व्यक्ति की पहचान नहीं है। टिकट को बेच दिया गया है। 

नूरमहल से दो बार विधायक रहे अटवाल का तर्क है कि परिसीमन के बाद नकोदर विधानसभा हलके में नूरमहल के 80 गांव जुड़े हैं। इस कारण उन्हें टिकट मिलना चाहिए था। पार्टी ने ऐसा नहीं किया, इसलिए निर्दलीय प्रत्याशी बनकर चुनाव लड़ेंगे। इस मौके पर मनमोहन शर्मा, विनोद नैय्यर, पवन कुमार, जीता देवी, मेहर सिंह मौजूद रहे।

कैंट हलके में जगबीर बराड़ को टिकट मिलने से खफा शिव शंकर संधू ने कांग्रेस को बाय-बाय करते हुए निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान किया है। संधू ने शनिवार को कैंट में कहा- हाईकमान के गैरजिम्मेदाराना रवैये से कांग्रेसियों में रोष है। बराड़ ने पहले अकाली दल से धोखा किया फिर मनप्रीत सिंह से विश्वासघात किया। शहीद भगत सिंह की मिट्टी की कसम खाकर उससे बेमुख हो गया। पार्टी ने उनके काम को भी नजरअंदाज किया है।

सेंट्रल में राज कुमार गुप्ता के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद करने वाले पार्षद राजिंदर बेरी भी आजाद चुनाव लड़ेंगे, जिसकी घोषणा वह रविवार को करेंगे। बेरी समेत कुछ अन्य पार्षद रविवार को कांग्रेस भवन जाकर अपने इस्तीफे सौंपेंगे। बकौल बेरी, उनका फैसला अटल है।

नॉर्थ हलके में पार्षद दिनेश ढल्ल काली के सुर भी बगावती हो गए लगते हैं। शनिवार को काली के समर्थकों ने बैठक के बाद सोनिया गांधी और राहुल गांधी को ईमेल भेजकर कहा है कि दो दिन में अवतार हैनरी का टिकट काटकर दिनेश ढल्ल को उम्मीदवार नहीं बनाया गया तो सभी यूथ वर्कर पार्टी से इस्तीफा दे देंगे। काली ने भी बताया कि यूथ वर्कर उन्हें आजाद उम्मीदवार बनाने के पक्ष में हैं। युवाओं की मांग माननी पड़ेगी।

पार्टी ने 9 जनवरी तक कोई फैसला न लिया तो सबके सब इस्तीफा दे देंगे। बैठक में भारत भूषण, मिंटा गिल, मनप्रीत सिंह, आशीष शर्मा, गुरजोत सिंह भुल्लर, सचिन गुप्ता, राहुल जोशी, गौरव बलजोत्रा, अजय कुमार, बबलू शर्मा, सुरिंदर कुमार, विन्नी चोपड़ा, करण मेनन, अरुण बस्सी, दीपक शर्मा, काकू पंडित, भूषण उप्पल, शिवराज साहनी, मदन लाल शर्मा, अजय भंडारी, प्रेम प्रकाश, सतीश सोंधी और अमरनाथ मैनी मौजूद थे।

आखिर किसके वोट से मेयर बने थे सुरेश सहगल?

जब मैं सुरेश सहगल के खिलाफ मेयर पद का चुनाव लड़ रहा था तब बेरी, जगदीश राजा समेत कई पार्षदों ने उनको वोट दिया था। मैंने नाराजगी में पार्टी छोड़ी थी, फिर लौट भी आया।बेरी पहले अपनी गिरेबां में झांकें। -राजकुमार गुप्ता, बीजेपी कैंडीडेट, सेंट्रल हलका

मैंने मेयर के चुनाव में सुरेश सहगल को नहीं राजकुमार गुप्ता को ही वोट दिया था। बाकी पार्षदों ने क्या किया था, इसका नहीं पता। मुझे इससे कोई मतलब भी नहीं है। -राजिंदर बेरी, पार्षद

मैं तो कांग्रेसी पार्षदों के वोट से ही मेयर बना था। भाजपा पार्षद तो मेरे खिलाफ ही थे। बेरी या किसी अन्य कांग्रेसी पार्षद ने मुझे वोट नहीं दिया, यह कहना ठीक नहीं है।-सुरेश सहगल, पूर्व मेयर

सेंट्रल से ओबराय भी उम्मीदवार

जालंधर. सेंट्रल से भाजपा उम्मीदवार मनोरंजन कालिया के खिलाफ भी एक पार्षद ने झंडा उठा लिया है। विरोध करने वाले यह पार्षद भाजपा नहीं बल्कि गठबंधन दल अकाली से हैं। मनोरंजन कालिया के खिलाफ पक्का बाजार इलाके से अकाली पार्षद कुलदीप सिंह ओबराय आजाद उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ेंगे। ओबराय को कालिया का खास साथी माना जाता रहा है। 

कालिया को जब मंत्रीपद से ‘मुक्त’ किया गया था, तब ओबराय ने आगे बढ़कर उनका हौसला बढ़ाया था। लगातार 15 साल से वार्ड-25 का प्रतिनिधित्व कर रहे ओबराय का कहना है कि उनका अपनी पार्टी से विश्वास उठ गया है। वरिष्ठ होते हुए भी अब तक जलालत ही दी है। साथियों और वोटरों की अपील पर आजाद चुनाव लड़ेंगे। किसी भी हालत में अपना फैसला नहीं बदलेंगे। यह फैसले जज्बाती होकर नहीं लिया गया है, बल्कि लोगों के समर्थन और इलाके में किए गए काम के आधार पर लिया गया है।

गुरकंवल कौर के बेटे ने ठोंकी ताल

जालंधरत्न कैंट हलके में शनिवार को गुरकंवल कौर ने समर्थकों के साथ बैठक की। बैठक के बाद उनके पुत्र अमनदीप सिंह ने बताया कि वह आजाद प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि अंतिम फैसला समर्थकों की राय पर ही होगा। अभी विचार-विमर्श चल रहा है। खुद गुरकंवल कौर ने कहा कि बराड़ कांग्रेसियों की पसंद नहीं हैं। हाईकमान ने उन्हें थोपा है। वर्ष 2007 में कुछ दिग्गज कांग्रेसियों ने बराड़ का साथ दिया था। इस बार उन्हें टिकट ही दिलवा दिया। उनका टिकट काटकर हाईकमान ने शहादत का अपमान किया है। टिकट देने से तीन साल पहले तक नेताओं को परखने का नियम भी तोड़ दिया गया।

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