Saturday, December 4, 2010

अफीम से मन उचटा, अब उगाएंगे सब्जी


चंडीगढ़. अफीम की खेती के लिए बदनाम अफगानिस्तान का मन अब इस धंधे से उचटने लगा है। जहां कभी अफीम के डोडे दिखते थे, वहां इन दिनों केसर और सब्जियों की खेती पर पूरा जोर है।

यह दावा है अफगानिस्तान के कृषि मंत्री मोहम्मद आसिफ रहीमी का। सीआईआई के एग्रोटेक मेले में शिरकत करने पहुंचे रहीमी ने पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान की अफीम पंजाब तक पहुंचने पर भी अफसोस जताया। वर्षो तक युद्ध की विभीषिका झेल चुके देश को विकास की पटरी पर चढ़ाने के लिए वे प्राइवेट सेक्टर की तरफ भी उम्मीद भरी निगाहों से देखते हैं।

एग्रोटेक मेले में भास्कर के साथ विशेष बातचीत में उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में कई साल तक कानून नाम की कोई चीज नहीं थी। इसी दौरान अफीम की खेती बढ़ी। लेकिन अब सरकार अफीम की बजाय केसर और सब्जियों की काश्त पर ध्यान दे रही है।

रहीमी ने भारत के प्राइवेट सेक्टर को अफगानिस्तान में निवेश का न्यौता भी दिया। उन्होंने कहा, युद्ध में तहस नहस हो चुके अफगानिस्तान में विकास के लिए प्राइवेट सेक्टर का निवेश जरूरी है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि प्राइवेट सेक्टर को 90 साल की लीज पर जमीन दिलाने के साथ- साथ सुरक्षा, बिजली, क्रेडिट भी मुहैया करवाई जाएंगी। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में ज्यादातर लोग हिंदी जानते हैं इसलिए कारोबार में दिक्कत नहीं आएगी।

रहीमी ने कहा कि भारत और अफगानिस्तान के रिश्ते बहुत पुराने और मधुर हैं। यहां के कई लोग आज भी वहां व्यापार करते हैं, जो कि उनकी सहायता कर सकते हैं। अफगानिस्तान के 4000 से ज्यादा बच्चे भारत में पढ़ रहे हैं।

उन्होंने कहा कि युद्ध से उबरने के बाद अफगानिस्तान कृषि सहित तमाम सेक्टरों में अच्छी ग्रोथ कर रहा है। लेकिन कृषि पर ज्यादा ध्यान है। भारी भूखंड का दो तिहाई हिस्सा आज भी सिंचित नहीं है इसलिए प्राइवेट सेक्टर के लिए वहां आपार संभावनाएं हैं। इस मौके पर एग्रोटेक के चेयरमैन सलिल सिंघल ने कहा खेत छोटे होते जाने के कारण किसानों की खरीद क्षमता कम हो रही है। इसलिए केवल तकनीक ही किसानों को किसानों की आउटपुट को बढ़ा सकती है

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