Thursday, May 24, 2012


एक नर्स जो बनी आइएएस..

* एनीज कनमणि जॉय ने पूरा किया पिता का सपना
- मिसाल -
तिरुवनंतपुरम : के रल के एक गांव के किसान ने सपना देखा. सपना ये कि उसकी बेटी आइएएस बने. इसी सपने के साथ उसने अपनी बेटियों को बेहतरीन शिक्षा दी और इस साल उस किसान के सपने को उसकी बेटी ने सच कर दिखाया.
जिस लड़की ने अपने पिता के सपने को सच किया वह है एनीज कनमणि जॉय जो कि सिविल सेवा परीक्षा 2012 पास करने में कामयाब रही हैं. एनीज कनमणि जॉय ने न सिर्फ 2012 में परीक्षा पास की बल्कि 65वीं रैंक भी हासिल की है. ऐसा नहीं हैं कि एनीज ने ये पहली बार किया है.
2011 में भी उन्होंने सिविल सेवा पास की थी. तब उनकी रैंक 580 थी. उसी के आधार पर एनीज फिलहाल भारतीय अकांउट सेवा के तहत ऑफिसर ट्रेनिंग ले रही हैं. आइएएस बनने की प्रेरणा कैसे मिली इस सवाल के जवाब ने एनीज कहती हैं, बचपन से ही पिताजी ने सपना दिखाया था, लेकिन मैंने बचपन से इसकी तैयारी नहीं की थी. वह तो इंटर्नशिप के बाद मैंने इस इम्तिहान की तैयारी की.
- पहली नर्स
एनीज पहली नर्स हैं, जो सिविल सेवा परीक्षा पास करने में कामयाब रही हैं. एनीज कहती हैं, जब मैंने तैयारी शुरू की तो सोचा कि किसी आइएएस नर्स से सलाह लूंगी, लेकिन मैं ऐसी किसी नर्स को नहीं ढूंढ़ पायी.
हालांकि, मुझे इस बारे में पक्का पता इम्तिहान पास कर लेने के बाद ही चला. कहती हैं : ग्रामीण पृष्ठभूमि खास मायने नहीं रखती. मायने रखती है कि आप में कितना दम है. वैसे भी मैं केरल से आती हूं, जहां पढ़ाई को बहुत माना जाता है. ये आपके लिए बड़ी बात होगी कि एक गांव की लड़की ने इतना बड़ा काम किया, मुझे तो सबकुछ साधारण लगता है.
* पिता बहुत खुश हैं
एनीज कहती हैं, जब मैंने पिताजी को फोन पर बताया तो वे कुछ बोल ही नहीं पाये. हालांकि मैं उनकी खुशी समझ सकती हूं. एनीज इस इम्तिहान के पास करने के बाद अपने परिवार से मिलने केरल नहीं जा पायी हैं.
एनीज एक खास बात बताना नहीं भूली, मेरे पिताजी मानते हैं कि पढ़ाई ही वह असल धन है, जो हम अपनी बेटी को दे सकते हैं, भले ही हम किसान परिवार से हैं लेकिन उन्होने मुझे बेहतरीन शिक्षा दिलवायी है. हमारे केरल में एक चलन और हैं कि हमारे यहां हर मां-बाप बच्चों के स्कूल जरूर भेजते हैं.
- नौ-नौ घंटे पढ़ाई
एनीज कहती हैं कि उन्होंने पिछले दो साल में नौ-नौ घंटो पढ़ाई की हैं. पूछा गया कि क्या आपको लगता हैं कि आपने पिछले दो साल में कुछ मिस किया हैं, तो एनीज ने कहा : हो सकता हैं कि मैंने कुछ सामाजिक त्योहार या मुलाकात न की हो लेकिन ऐसा कुछ खास मिस नहीं किया. वह हिंदी की कहावत का हवाला देते हुए कहती हैं, कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है.

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