इन्द्रप्रीत सिंह री
चंडीगढ़. डिप्टी सीएम सुखबीर बादल ने शायद यह कभी सोचा ही नहीं होगा कि उनकी अपनी ही पार्टी का कोई समर्थक उनके फैसलों पर अंगुली उठाकर उन्हें सार्वजनिक तौर पर परेशानी में डाल देगा। लेकिन बुधवार को ऐसा हुआ, मोगा की बार एसोसिएशन के साथ मीटिंग के दौरान एसोसिएशन के सदस्य और पुराने स्थानीय अकाली समर्थक वकील नरिंदर ङ्क्षसह चाहल ने जोगिंदरपाल जैन को पार्टी में शामिल करने के फैसले, मोगा के लोगों को एक बार फिर चुनाव में झोंकने और अकाली दल में इस तरह की राजनीति को बढ़ावा देने जैसे मुद्दों पर लगभग 15 मिनट तक खरी-खरी सुनाकर अपना गुबार निकालकर सुखबीर के पेशानी में बल डाल दिए।
बार एसोसिएशन के प्रधान चूंकि जानते थे कि चाहल यहां सुखबीर के खिलाफ बोल सकते हैं इसलिए उन्होंने बोलने की इजाजत नहीं दी लेकिन एसोसिएशन के ज्यादातर सदस्यों ने जोर दिया कि उन्हें बोलने दिया जाए।
एकबारगी तो उनकी बातें सुनकर सुखबीर बादल तैश में आ गए और उन्होंने कहा, वह जानते हैं कि वह ऐसा क्यों बोल रहे हैं लेकिन तुरंत ही संभलते हुए उन्होंने कहा, वह उनकी भावनाओं को समझते हैं। उनके द्वारा उठाए मुद्दों पर गौर किया जाएगा। काबिले गौर है कि इससे पहले नरिंदर सिंह चाहल ने अपनी इन्हीं भावनाओं को व्यक्त करने वाला चार पेजों का एक पत्र पार्टी को लिखा था। उन्होंने कहा, पार्टी ने उन्हें इस पत्र संबंधी कोई जवाब नहीं दिया है।
एकबारगी तो उनकी बातें सुनकर सुखबीर बादल तैश में आ गए और उन्होंने कहा, वह जानते हैं कि वह ऐसा क्यों बोल रहे हैं लेकिन तुरंत ही संभलते हुए उन्होंने कहा, वह उनकी भावनाओं को समझते हैं। उनके द्वारा उठाए मुद्दों पर गौर किया जाएगा। काबिले गौर है कि इससे पहले नरिंदर सिंह चाहल ने अपनी इन्हीं भावनाओं को व्यक्त करने वाला चार पेजों का एक पत्र पार्टी को लिखा था। उन्होंने कहा, पार्टी ने उन्हें इस पत्र संबंधी कोई जवाब नहीं दिया है।
चाहल ने यहीं बस नहीं की, अमृतसर में एक एएसआई की हत्या की घटना के बाद सुखबीर बादल ने बयान दिया था कि पार्टी में शामिल करने वालों की पृष्ठभूमि को खंगाला जाएगा लेकिन ऐसा जैन के मामले में क्यों नहीं किया गया? चाहल ने कहा, जैन वही शख्स है, जिसने कांग्रेसी रहते हुए मोगा को कार्पोरेशन बनाने और यहां नेचर पार्क बनाने का कड़ा विरोध किया। अब उसी जैन को मोगे के विकास का मसीहा बताया जा रहा है। उन्होंने कहा, जैन ने ही अकालियों पर केस दर्ज करवाकर उन्हें बदनाम किया जबकि बाद में वे अदालतों से बरी होकर निकले।
चाहल ने कहा, सुखबीर ने जैन को पार्टी में शामिल करके जत्थेदार तोता सिंह और पूर्व डीजीपी पीएस गिल जैसे नेताओं की मिट्टी पलीत कर दी है और टकसाली अकाली नेताओं का घोर अपमान किया है। उन्होंने कहा, मोगा संबंधी फैसला लेते हुए सुखबीर बादल ने मोगा के लोगों से क्यों नहीं पूछा?
विकास और लॉ एंड आर्डर पर भी बरसे वकील
चाहल ने लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति को लेकर भी काफी बरसे और उन्होंने फरीदकोट,अमृतसर और लुधियाना की घटनाओं का वर्णन किया। हालांकि बाद में सुखबीर बादल ने इसे हंसी में टालते हुए कहा, ऐसी घटनाएं रुक नहीं सकतीं और रुक गई तो फिर आप लोगों (वकीलों) का क्या होगा?
चाहल ने लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति को लेकर भी काफी बरसे और उन्होंने फरीदकोट,अमृतसर और लुधियाना की घटनाओं का वर्णन किया। हालांकि बाद में सुखबीर बादल ने इसे हंसी में टालते हुए कहा, ऐसी घटनाएं रुक नहीं सकतीं और रुक गई तो फिर आप लोगों (वकीलों) का क्या होगा?
18 रैलियां की सुखबीर ने
सुखबीर बादल ने मोगा उपचुनाव में बुधवार को सारा जोर शहर पर लगाते हुए विभिन्न वार्ड में 18 रैलियां कीं और एक बार फिर उन्होंने जैन के इस्तीफा देकर अकाली दल में आने को सही ठहराते हुए कहा, अकाली दल का विधायक होने पर यहां खुलकर विकास किया जाएगा।
सुखबीर बादल ने मोगा उपचुनाव में बुधवार को सारा जोर शहर पर लगाते हुए विभिन्न वार्ड में 18 रैलियां कीं और एक बार फिर उन्होंने जैन के इस्तीफा देकर अकाली दल में आने को सही ठहराते हुए कहा, अकाली दल का विधायक होने पर यहां खुलकर विकास किया जाएगा।