इलाहाबाद. महाकुंभ में हिस्सा लेने आए स्वामी वासुदेवानंद
की गाड़ी पर लगी लालबत्ती पुलिस ने उतार दी। लालबत्ती उतारे जाने से
स्वामी जी कुपित हो उठे और उनके आक्रोशित शिष्यों ने मौके पर जमकर
हंगामा किया। बाद में डीआईजी ने मौके पर पहुंचकर मान मनौव्वल की, तब जाकर
मामला शांत हुआ।
जार्जटाउन थाना क्षेत्र में सोहबतियाबाग डॉट पुल के पास रविवार शाम
ज्योतिष पीठाधीश्वर स्वामी वासुदेवानंद अपनी कार में लाल बत्ती लगाकर रोब
गालिब करते हुए जा रहे थे। एसपी सिटी ने जब उन्हें रोककर चेकिंग की तो
उन्हें अवैध रूप से लालबत्ती लगाकर घूमते पाया। इस पर उन्होंने उनकी कार
में लगी लाल बत्ती उतरवा दी। इससे हंगामा शुरू हो गया। कुंभनगर में मौजूद
संतों को इस बात का पता चला तो वह आक्रोशित होकर घटनास्थल की ओर कूच कर गए।
बाद में डीआइजी एन रवींद्र ने मौके पर पहुंच माफी मांग कर मामला संभाला।
संतों का कहना था कि वासुदेवानंद की कार से लाल बत्ती उतरवाना संतों
का अपमान है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। शिष्यों का आरोप है कि एसपी
सिटी ने उनसे लालबत्ती लगाने की वजह पूछी तो स्वामी ने कहा कि वह
शंकराचार्य है, इसलिए लालबत्ती लगा रखी है। इस पर एसपी सिटी ने हाईकोर्ट के
आदेश का हवाला देते हुए कार से लालबत्ती उतरवा ली।
स्वामी वासुदेवानंद के शिष्यों ने फोन से इस बात की जानकारी पंच अग्नि
अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद को दी तो वह तत्काल डीआइजी एन
रवींद्र के साथ मौके पर पहुंच गए। स्वामी कैलाशानंद का कहना है कि डीआइजी
ने उनसे माफी भी मांगी व उन्हें उनके आश्रम की ओर रवाना कर दिया।
एसपी सिटी का कहना था कि उन्होंने अपनी डयूटी निभाते हुए लाल बत्ती
उतरवा दी थी। उसके बाद वह वहां से चले गए थे। आगे के घटनाक्रम की जानकारी
उन्हें नहीं है। एसपी सिटी एसके यादव के मुताबिक किसी भी संत या महंत को
लाल बत्ती लगाने का अधिकार नहीं है। कार में अनाधिकृत तरीके से लालबत्ती
लगवाई गई थी। उनके मुताबिक लालबत्ती लगाने का अधिकार सिर्फ केंद्र या राज्य
के कैबिनेट मंत्री, एडीजी और डिस्ट्रक्ट जज को ही हासिल है।