Thursday, January 6, 2011

बुड़ैल से किडनैप खुशप्रीत उर्फ खुशी की हत्या -फेज 10 में मिली बॉडी, पटके से गला घोंटा

चंडीगढ़. बुड़ैल से किडनैप खुशप्रीत उर्फ खुशी की हत्या कर दी गई है। उसकी बॉडी बुधवार दोपहर करीब सवा चार बजे चंडीगढ़ और मोहाली की सीमा पर फेज 10 के पास सड़क किनारे मिली। पुलिस को बॉडी की सूचना वहां से गुजर रहे जसप्रीत ने दी। खुशप्रीत के जिस्म पर स्कूल यूनिफॉर्म थी और सिर का पटका गले में बंधा था। पुलिस का अनुमान है कि पटके से गला घोंटकर हत्या की गई है। उसके मुंह पर चोट के निशान थे।

मौके का मुआयना करने के बाद कड़ी सुरक्षा में पुलिस की ट्रॉमा वैन में बॉडी को जीएमएसएच 16 पहुंचाया गया। जहां डॉक्टरों की टीम ने मुआयने के बाद बॉडी को अस्पताल की मॉर्चरी में रखवा दिया। वीरवार को डॉक्टरों का बोर्ड पोस्टमार्टम करेगा।

चायपत्ती के थैले में डालकर फेंका

नीली धारियों वाली स्कूल की कमीज, नीले रंग की पेंट और पांव में स्कूल के जूते। ऐसी हालत में सड़क किनारे औंधे मुंह खुशी की बॉडी मिली। पास में ही एक थैला पड़ा था। पुलिस का मानना है कि चायपत्ती के खाली थैले में डालकर खुशी की लाश को फेंका गया। सबसे पहले मोहाली पुलिस मौके पर पहुंची, उसके बाद चंडीगढ़ पुलिस को सूचना दी गई। डीएसपी साउथ विजय कुमार और एसएसपी का अतिरिक्त कार्यभार देख रहे एसपी ट्रैफिक व सिक्योरिटी हरदीप सिंह दून पुलिस फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे। सेक्टर 36 स्थित सेट्रल फोरेंसिक लैब से तीन विशेषज्ञों की टीम ने भी मौके का मुआयना किया।

कब हुई हत्या

जांच में जुटे पुलिस अफसरों ने बताया कि लाश के आसपास खून के निशान पाए गए हैं। फोरेंसिक विशेषज्ञों ने खुशी के हाथों और पैरों की अंगुलियों को हिलाकर देखा, वह आसानी से मुड़ रहीं थी। इससे पुलिस अंदाजा लगा रही है कि हत्या हुए 24 घंटों से ज्यादा नहीं हुए।

जीएमएसएच 16 में सुरक्षा कड़ी

सेक्टर 16 स्थित गवर्नमेंट मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल में खुशी की बॉडी पहुंचने से पहले ही करीब 50 पुलिसकर्मियों को इमरजेंसी के बाहर तैनात कर दिया गया। हंगामे की आशंका को देखते हुए सेक्टर 11 थाने के एसएचओ अनोख सिंह भी वहां तैनात रहे।

क्या कहते हैं पुलिस अफसर

फेज 10 में मौके पर मौजूद एसपी एसएच दून ने कहा, पुलिस के हाथ खुशी के हत्यारे का सुराग लग गया है। जल्द ही उसे पकड़ लिया जाएगा। वहीं मोहाली के एसएसपी गुरप्रीत सिंह भुल्लर का कहना है कि लाश को चंडीगढ़ पुलिस के हवाले कर दिया गया है। इस केस की जांच चंडीगढ़ पुलिस कर रही है, यदि चंडीगढ़ पुलिस जांच में मोहाली पुलिस का सहयोग मांगेगी तो मदद की जाएगी।

ओही है, ओही है

बुड़ैल से खुशी के पिता लखबीर सिंह रिश्तेदारों के साथ कार में पहुंचे। पहले तो लाश देखने की उनकी हिम्मत ही नहीं पड़ी। फिर हिम्मत बंधाते हुए रिश्तेदार उन्हें थोड़ा आगे लेकर गए। दूर से देखते ही लखबीर के मुंह से यही शब्द निकले, ओही है.. ए तां ओही है.. मेरा पुत्त। इसके बाद रिश्तेदार लखबीर को एक तरफ ले गए। थोड़ी देर बाद उन्हें फिर लाश की शिनाख्त करने के लिए लाया गया। दिल पर हाथ रखकर वे किसी तरह बेटे की लाश तक पहुंचे और फूट फूट कर रोने लगे।

21 दिसंबर को हुआ था अपहरण

खुशप्रीत का अपहरण 21 दिसंबर को हुआ था। फिरौती के लिए किडनैपर्स ने उसके चाचा को फोन किया। अगले दिन किडनैपर्स ने बार-बार और अलग-अलग जगहों से फोन किए। हर बार अलग जगह पर रकम पहुंचाने को कहा। अंत में खरड़ के देसूमाजरा में दो मोटरसाइकिल सवार पुलिस की आंखों के सामने चाचा से रुपयों का बैग लेकर फरार हो गए थे। इसके बाद चंडीगढ़ पुलिस खुशी व किडनैपर्स का सुराग लगाने में नाकाम रही।

बुड़ैल में धारा 144- पुलिस से भिड़ी पब्लिक, 26 जख्मी

चंडीगढ़. खुशी की लाश मिलने के बाद बुडै़ल के लोगों का गुस्सा पुलिस पर फूटा। भीड़ ने पुलिस चौकी के सामने जमकर हंगामा किया। पत्थर भी चले। इसमें डीएसपी जगबीर सिंह सहित 14 पुलिस मुलाजिम जख्मी हो गए। सभी को प्राथमिक उपचार के लिए जीएमएसएच 16 में भर्ती करवाया गया है। जवाब में पुलिस ने लाठीचार्ज किया जिसमें करीब एक दर्जन लोग जख्मी हुए हैं। पुलिस ने गांव की तंग गलियों में घुसकर लोगों की धुनाई की। गुस्साए लोगों ने डीएसपी जगबीर सिंह की जिप्सी तोड़ डाली। रात तक बुड़ैल में कफ्यरू जैसे हालात रहे। देर रात यहां धारा 144 लगाकर तीन से ज्यादा लोगों के इकट्ठे होने पर पाबंदी लगा दी गई।

दादी पीजीआई में भर्ती

सदमे के कारण खुशी की दादी कुलवंत कौर की तबीयत बिगड़ गई। उन्हें पीजीआई में भर्ती करवाया गया है। फिलहाल उनकी हालत स्थिर बताई गई है। खुशी के माता, पिता सहित अन्य परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है।
पहचाने जाने के डर से की हत्या!

खुशप्रीत की हत्या की गुत्थी सुलझाने में जुटे पुलिस अफसरों का मानना है कि किडनैपर को बच्च पहचानता था। इसीलिए किडनैपर्स ने पकड़े जाने के डर से उसकी हत्या कर दी। पुलिस खुशी के परिवार के नजदीकियों पर नजर टिकाए हुए है। जल्द ही उनसे पूछताछ भी की जा सकती है। डीएसपी क्राइम सतबीर सिंह का कहना है कि फिलहाल इस मामले में किसी को राउंडअप नहीं किया गया है। सीएफएसएल टीम से कुछ सवालों के जवाब मांगे गए हैं, ताकि हत्यारे तक पहुंचा जा सके।

किडनैपर पेशेवर नहीं

खुशप्रीत की किडनैपिंग के दिन से लेकर उसकी लाश मिलने तक के समय को रिव्यू करने पर पुलिस अफसर मान रहे है कि यह काम किसी पेशेवर किडनैपर का नहीं है। इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि किडनैपर ने बुड़ैल के आसपास ही खुशी को छिपा कर रखा और अब पकड़े जाने के डर से उसकी हत्या कर दी। खुशी की लाश मिलने से यह साफ हो गया है कि किडनैपर का मोटिव सिर्फ फिरौती लेना नहीं था। यदि किडनैपर्स को फिरौती ही चाहिए थी तो आज खुशप्रीत अपने परिवार के साथ सही सलामत होता।

पुलिस पर भरोसा कैसे करें?

उस वक्त पुलिस क्या कर रही थी जब खुशप्रीत की हत्या हुई..? ये सवाल एक परिवार का नहीं बल्कि हर मां-बाप का है। चंडीगढ़ पुलिस आज पूरे शहर के प्रति जवाबदेह है कि एक बच्चे की सुरक्षा तक न कर सकने वाली फोर्स पर वे भरोसा कैसे करें? क्यों वे उस स्लोगन को सच मानें जिस पर लिखा है ‘वी केयर फॉर यू’? मुस्तैदी और एक्शन का दावा करने वाली फोर्स एक किडनैपिंग के केस को हल नहीं कर पाती, अपनी मौजूदगी में फिरौती की रकम अदा करवाती है और इस सबके बावजूद बच्चे को वापस नहीं ला पाती.. क्या कहा जाएगा ऐसी पुलिस को? पब्लिक जवाब मांग रही है।

एक बच्चा जो अभी ठीक से जिया भी नहीं था, मौत के घाट उतार दिया गया। ये सच है कि उसे बचाया जा सकता था लेकिन पुलिस न तो इस केस की नजाकत और न ही जरूरत को समझ पाई। एक लगे-बंधे र्ढे पर चल रही तफ्तीश का नतीजा जीरो रहा और किडनैपिंग के ठीक पंद्रह दिन बाद बच्चे की लाश ही बरामद की जा सकी। बुड़ैल से 21 दिसंबर को गायब हुआ था खुशप्रीत। घरवालों ने पुलिस को पहले दिन से हर बातचीत और चिंता में शामिल रखा। यानी यह नहीं कहा जा सकता कि घरवाले पुलिस को दरकिनार रखते हुए अपनी तरह से बच्चे को वापस लाने की कोशिश कर रहे थे और प्लानिंग फेल हो जाने के कारण ऐसा हुआ। सबकुछ पुलिस की निगरानी में हो रहा था, इसके बावजूद पुलिस के हाथ न तो कोई सुराग लगा और न ही वह किडनैपर्स के आसपास भी फटक सकी। क्यों इसे पुलिस फेलियर न कहा जाए.?

सवाल पुलिस की कार्यकप्रणाली ही नहीं बल्कि उसकी मुस्तैदी, कोऑर्डिनेशन और सही प्लानिंग के न होने पर भी उठ रहे हैं। पंद्रह दिन में एक से ज्यादा बार ये साबित हुआ है कि उच्च अधिकारियों और केस को डील कर रहे लोगों के बीच खास तरह की टच्यूनिंग का अभाव है। जिस तेजी और इंटेलीजेंस की जरूरत इस तरह के केस को हल करने के लिए दरकार थी वह मिसिंग रही। किडनैपर्स जब लगातार कॉल कर रहे थे पुलिस उन्हें फॉलो करने में असमर्थ रही। तमाम सुविधाओं से लैस चंडीगढ़ फोर्स के पास क्या कमी थी कि उसे इस तरह के केस को हल करने में उसके पसीने छूट गए..?

खुशप्रीत खत्म हो गया.. ये महज एक खबर नहीं बल्कि दिलो में सेंध लगाती असुरक्षा का वो हादसा है जो कमोबेश हर शहरी को प्रभावित कर रहा है। साफ है कि अगर बुड़ैल के एक परिवार ने अपना बच्चा खोया है तो किसी हद तक पुलिस ने खुद के ऊपर लोगों का विश्वास खो दिया है। सवालों के ढेर में सबसे बड़ी चिंता ये है कि किडनैपिंग, फिरौती और हत्या के इस मामले में अब पुलिस कितनी जल्दी दोषियों तक पहुंच पाती है? इस टास्क के साथ पुलिस के सामने सबबे बड़ा चैलेंज बालबच्चों के साथ सकून की चाह रखने वाले उन परिवारों की चिंता को दूर करना भी है जो अपने बच्चों की हिफाजत को लेकर सशंकित हैं।

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