Monday, January 17, 2011

ईमानदार पारदर्शी एस.एस.पी. के साथ ऐसा क्यों ?

चंडीगढ़ चंडीगढ़ के समाचार पत्रों में रोजाना ही अपराधों के बढ़ते ग्राफ के साथ-साथ एस.एस.पी. नौ निहाल सिंह की लगातार फजीहत के पीछे कौन से ग्रह और नक्षत्र काम कर रहे हैं, ये जानने की जिज्ञासा हर कोई मन में दबाये हुए है कि आखिर पंजाब जैसे सूबे में अपराधों के खात्मे का नाम बन चुके नौ निहाल सिंह अपने ही पसंदीदा शहर चंडीगढ़ में किन कारकों और कारणों से नाकामी का शिकार हो रहे हैं। एक वारदात सुलझती नहीं कि दूसरी घटित हो जाती है और लाख कोशिशों और दावे व वादों के बावजूद पुलिस के हत्थे कुछ नहीं चढ़ता है। कुछ अख़बार इसको अपने ही विभिषनों का कारनामा करार दे रहे है। ऐसा भी नहीं कि कोई डी.एस.पी. या इंस्पैक्टर पुलिस अफसर साहब को को आपरेट नहीं कर रहा है। हर मुजरिम को पकडऩे के लिए सिद्धस्त डी.एस.पी. रात दिन एक किये हुए हैं और इनके चुंगल से अपराधी इनको ही धत्ता दिखा कर आखिर कहाँ और कितने दिन छुपे रहेंगे, ये सवाल भी अखरते हैं। चंडीगढ़ पुलिस की कारगुजारी फि़लहाल नाकाम और ठंडी जरुर है पर उसके चुंगल से बचना अपराधिक तत्वों के लिए मुश्किल रहेगा। पुलिस का खुफिया तन्त्र और क्राइम सैल अपनी मुस्तैदी कई मर्तबा दिखा करके मुजरिमों को सुदूर प्रान्तों तक से गिरफ्तार कर सींखचों के पीछे धकेल चुके हैं। नेहा और कश्मीर सिंह के बाद खुशप्रीत सिंह के अपहरण और फिर बेरहमी से कत्ल के बाद करोड़ों रूपये की डकैती चंडीगढ़ की हाई प्रोफाइल पुईस के लिए चुनौती जरुर है पर ऐसा नहीं की पुलिस के पास इसका तोड़ ना हो। पब्लिक को भी इन अनसुलझे केसों को सुलझाने में मदद कर्णी चाहिए। ये सब का नैतिक और इंसानी फर्ज बनते हैं। आखिर पुलिस भी तो पब्लिक के सुरक्षा और शांति के लिए कार्य करती है। कमाना करते हैं कि पुलिस के दामन पर कोई दाग ला लगे और हर अपराधी जेल में हो और पब्लिक में पुलिस के प्रति कोई संदेह ना जागे

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