Saturday, January 29, 2011

हिमाचल: बौद्ध मठ में करेंसी घोटाला! मिले 1.32 करोड़ रुपये के विदेशी नोट!

धर्मशाला. 17वें करमापा उग्येन त्रिनले दोरजे के ग्यात्सो मठ सिद्धबाड़ी में दबिश के दौरान 1.32 करोड़ रुपये की देसी व विदेशी मुद्रा की बरामदगी से पुलिस हैरान है। इसमें 40 हजार से अधिक अमेरिकी डॉलर व भारी मात्रा में ऑस्ट्रेलियाई डॉलर, जर्मन, हांगकांग व चीनी मुद्रा शामिल है। ऐसे में जांच एजेंसियां लामा के चीन से संबंधों को लेकर भी पड़ताल कर रही है।

हिमाचल प्रदेश के डीजीपी डी एस मन्‍हास ने आज कहा कि हमें पूरा संदेह है कि यह धनराशि गैर कानूनी तरीके से राज्‍य में लाई गई और संभव है कि यह हवाला के जरिये लाई गई हो। उन्‍होंने कहा कि केंद्रीय एजेंसियों की मदद से मामले की जांच की जा रही है। राज्‍य पुलिस की टीम दिल्‍ली, चंडीगढ़, अम्‍बाला और धर्मशाला के लिए रवाना हो गई हैं।

पुलिस ने प्राथमिक जांच में कारमे गार्चन ट्रस्ट के ट्रस्टी रूपगे चौसंग, जिसे शक्ति लामा भी बताया जा रहा है, के अलावा दो अन्य को गिरफ्तार किया है। रूपसे चौसंग को शुक्रवार को कोर्ट में पेश किया गया। मैहतपुर से गिरफ्तार दो अन्य व्‍यक्तियों को पहली फरवरी तक पुलिस रिमांड पर भेजा गया है। पुलिस ने यह छापा ऊना जिला के मैहतपुर में नाके के दौरान निजी वाहन की तलाशी में एक करोड़ रुपये बरामद करने के बाद मारा।

इससे पहले सीआईडी ने धर्मशाला सहित आसपास के क्षेत्रों में 1500 करोड़ रुपए की बेनामी संपत्तियों को चिह्न्ति कर सरकार को अपनी रिपोर्ट भेजी थी। इसी आधार पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मैक्लोडगंज सहित जिला कांगड़ा के विभिन्न स्थानों पर बौद्ध मठों के नाम पर खरीदी जा रही बेनामी भू-संपत्तियों के मामलों पर अपनी जांच शुरू की थी। ईडी के अनुसार इन बेनामी संपत्तियों की खरीद में चीन से आए धन का इस्तेमाल किया गया है। एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत चीन यह राशि पहले बैंकॉक और बैंकॉक से इस धन को अमेरिका हस्तांतरित किया गया है। अमेरिका के माध्यम से इस राशि को भारत में लाया गया है।

फेमा और फेमा के तहत दर्ज होगा मामला!
करमापा के अस्थायी निवास स्थान के कार्यालय (तस्‍वीर में) से करोड़ों रुपए की भारतीय के साथ विदेशी मुद्रा बरामदगी के बाद अब इस मामले में फारन एक्सचेंज मैनेजेंट एक्ट (फेमा) और फारन एक्सचेंज रेग्यूलेशन एक्ट (फेरा) की अवहेलना करने का मामला भी दर्ज हो सकता है। देश में विदेशी मुद्रा अधिनियम में विदेशी मुद्रा को लाने संबंधी नियम निर्धारित हैं, लेकिन इस मामले में भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा मिलने के चलते पुलिस इस पर सीधे तौर पर कार्रवाई करने में सक्षम नहीं है। ऐसे में अब फेरा और फेमा के तहत इस मामले में जांच की जाएगी।

कौन हैं करमापा
पांच नवंबर 2000 को धर्मशाला पहुंचे करमा कग्यू बौद्ध पंथ के 17वें करमापा उग्येन त्रिनले दोरजे 28 दिसंबर 1999 को तिब्बत के तशुरफू बौद्ध मठ से अपने 5 अनुयायियों और बड़ी बहन नगदुप पेल्जोन सहित हिमालय के दुर्गम क्षेत्रों की 1500 किलोमीटर पैदल यात्रा कर छिपते-छिपाते नेपाल होते हुए भारत पहुंचे थे, तब से लेकर वह मीडिया की सुर्खियां बने हुए हैं। उसके बाद से यहीं सिद्धबाड़ी में ग्यात्सो मठ में रह रहे हैं। 1985 में पूर्वी तिब्बत में पैदा हुए करमापा को भारत सरकार ने 2001 में शरणार्थी का दर्जा दिया था। करमापा का मतलब होता है बुद्ध की गतिविधि को आगे बढ़ाने वाला। बचपन में अपो गागा के नाम से जाने जाते उग्येन त्रिनले दोरजे ही 17वें करमापा हैं। करमापा को बौद्ध धर्म मानने वालों का सबसे बड़ा आध्‍यात्मिक गुरू माना जाता है।

काफी पुराना है विवादों से नाता
धर्मशाला में अपनी धनशाला के कारण चर्चा में आए 17वें करमापा का विवादों से नाता पांच जनवरी 2000 से ही है जिस दिन वह भारत यानी धर्मशाला आए थे। यह भी कहा जा सकता है कि वह भारत सरकार का इतना विश्वास कभी भी अर्जित नहीं कर पाए कि उन्हें अपनी मूल गद्दी रूमटेक यानी सिक्किम जाने की अनुमति मिले। इन दस साल में उन्हें विदेश जाने की अनुमति भी महज एक बार मिल पाई है। भारत में वह आ तो गए लेकिन चीन से जुड़ाव के आरोपों की छाया उनका पीछा करती रही। और जिस पैसे को गिनने में पुलिस को घंटों लगे, उसमें चीनी मुद्रा युआन का मिलना भी कई सवाल खड़े करता है।

करमापा के गुरु ताई सीतू रिंपोछे को तो एक बार भारत ने देश भी छुड़वा दिया था यानी डिपोर्ट कर दिया था। इसी प्रकार करमापा के दो सहायकों को भी देश से जाने के लिए कहा गया था। संदिग्ध परिस्थितियों में करीब दस साल पहले भारत पहुंचे 17वें करमापा को राजनीतिक शरणार्थी के दर्जे से लेकर उनकी उम्र को लेकर पहले काफी बवाल मचा रहा और उसके बाद बेनामी संपत्तियों को लेकर खूब अंगुलियां उठीं।

Uploads by drrakeshpunj

Popular Posts

Search This Blog

Popular Posts

followers

style="border:0px;" alt="web tracker"/>