chandigarh 11/5/2012. सोमवार की दोपहर में हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कई शहर भूकंप के झटकों से हिल गए। भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 4.9 आंकी गई। भारतीय मौसम विभाग के सिसमोलॉजी डिपार्टमेंट के निदेशक एस. दत्तात्रेय ने मीडिया को जानकारी दी है कि आफ्टर शॉक का कोई खतरा नहीं है।
लेकिन वैज्ञानिक इतनी तीव्रता के भूकंप को सामान्य मानते हैं। दिल्ली समेत उत्तर भारत के कुछ इलाकों में हाल हाल के समय में आए 4.2 से लेकर 4.9 तीव्रता के भूकंप को नेशनल इन्फॉरमेशन सेंटर ऑफ अर्थक्वेक इंजीनियरिंग के प्रोफेसर सुधीर के. जैन सामान्य मानते हैं।
लेकिन प्रोफेसर जैन का कहना है कि उत्तर भारत में इससे कहीं ज़्यादा तीव्रता का भूकंप आ सकता है, जो बड़े पैमाने पर तबाही मचा सकता है। प्रोफेसर जैन के मुताबिक, 'हिमालय में बड़े पैमाने पर भूगर्भीय गतिविधियां चल रही हैं। हिमालय और उससे सटे इलाकों में हमेशा ही भूकंप का खतरा बना रहेगा। हिमालय के आसपास के इलाकों में दो से तीन ऐसे बड़े इलाके हैं, जहां पिछले सैकड़ों सालों में भूकंप नहीं आया है।
पूर्वोत्तर भारत के बिल्कुल सीमा से सटे इलाके में 1950 में जबर्दस्त भूकंप आया था। उससे पहले वहां पर 1897 में भूकंप आया था। बिहार में 1934 में आखिरी बार बड़े पैमाने पर भूकंप आया था। विशेषज्ञों का मानना है कि बिहार से पश्चिम के इलाकों यानी उत्तर प्रदेश समेत उत्तर भारत के बड़े इलाके में जबर्दस्त भूकंप आने की आशंका है।'
भारत में आ रहे भूकंप की वजह के बारे में सुधीर के. जैन ने बताया, 'इंडो-ऑस्ट्रेलियन टेक्टॉनिक प्लेट और यूरेशियन प्लेट एक-दूसरे की तरफ बढ़ रहे हैं। इन प्लेटों को समय-समय पर खुद को स्थिर करना पड़ता है, जिसका नतीजा हमें भूकंप के तौर पर देखने को मिलता है।'
सोमवार को हरियाणा के हिसार जिले में सोमवार को दोपहर एक बजकर 11 मिनट पर आए भूकंप के चलते हिसार के उकलाना इलाके में मौजूद श्रीकृष्ण गौशाला की बन रही 25 फुट ऊंची एक दीवार गिर गई। हमारे हिसार संवाददाता क्रांति ने जानकारी दी है कि दीवार के मलबे में छह लोग दब गए। इनमें से चार लोगों को हिसार के जिंदल अस्पताल में भर्ती कराया गया, जिसमें उदय (25 साल) की देर शाम मौत हो गई। उदय मूल रूप से पटना का रहने वाला है। हालांकि, हिसार जिला प्रशासन का कहना है कि दीवार भूकंप आने से पहले ही गिर गई थी।
लेकिन वैज्ञानिक इतनी तीव्रता के भूकंप को सामान्य मानते हैं। दिल्ली समेत उत्तर भारत के कुछ इलाकों में हाल हाल के समय में आए 4.2 से लेकर 4.9 तीव्रता के भूकंप को नेशनल इन्फॉरमेशन सेंटर ऑफ अर्थक्वेक इंजीनियरिंग के प्रोफेसर सुधीर के. जैन सामान्य मानते हैं।
लेकिन प्रोफेसर जैन का कहना है कि उत्तर भारत में इससे कहीं ज़्यादा तीव्रता का भूकंप आ सकता है, जो बड़े पैमाने पर तबाही मचा सकता है। प्रोफेसर जैन के मुताबिक, 'हिमालय में बड़े पैमाने पर भूगर्भीय गतिविधियां चल रही हैं। हिमालय और उससे सटे इलाकों में हमेशा ही भूकंप का खतरा बना रहेगा। हिमालय के आसपास के इलाकों में दो से तीन ऐसे बड़े इलाके हैं, जहां पिछले सैकड़ों सालों में भूकंप नहीं आया है।
पूर्वोत्तर भारत के बिल्कुल सीमा से सटे इलाके में 1950 में जबर्दस्त भूकंप आया था। उससे पहले वहां पर 1897 में भूकंप आया था। बिहार में 1934 में आखिरी बार बड़े पैमाने पर भूकंप आया था। विशेषज्ञों का मानना है कि बिहार से पश्चिम के इलाकों यानी उत्तर प्रदेश समेत उत्तर भारत के बड़े इलाके में जबर्दस्त भूकंप आने की आशंका है।'
भारत में आ रहे भूकंप की वजह के बारे में सुधीर के. जैन ने बताया, 'इंडो-ऑस्ट्रेलियन टेक्टॉनिक प्लेट और यूरेशियन प्लेट एक-दूसरे की तरफ बढ़ रहे हैं। इन प्लेटों को समय-समय पर खुद को स्थिर करना पड़ता है, जिसका नतीजा हमें भूकंप के तौर पर देखने को मिलता है।'
सोमवार को हरियाणा के हिसार जिले में सोमवार को दोपहर एक बजकर 11 मिनट पर आए भूकंप के चलते हिसार के उकलाना इलाके में मौजूद श्रीकृष्ण गौशाला की बन रही 25 फुट ऊंची एक दीवार गिर गई। हमारे हिसार संवाददाता क्रांति ने जानकारी दी है कि दीवार के मलबे में छह लोग दब गए। इनमें से चार लोगों को हिसार के जिंदल अस्पताल में भर्ती कराया गया, जिसमें उदय (25 साल) की देर शाम मौत हो गई। उदय मूल रूप से पटना का रहने वाला है। हालांकि, हिसार जिला प्रशासन का कहना है कि दीवार भूकंप आने से पहले ही गिर गई थी।
वहीं, रोहतक के एक स्कूल की छत में भी दरारें पड़ गईं। रोहतक पीजीआई अस्पताल के नए ओपीडी ब्लॉक और नए लघु सचिवालय की इमारत में दरारें पड़ गई हैं। दरारें देखकर लोग इन इमारतों से बाहर आ गए। शहर के किला रोड इलाके में कई घरों में दरारें पड़ गईं। जयपुर के शास्त्री नगर इलाके में एक मकान में दरार पड़ गईं।
भूकंप का केंद्र दिल्ली से कुछ दूर बहादुरगढ़ में धरती की सतह से 19.1 किलोमीटर नीचे रहा। यह इलाका नई दिल्ली से 48 किलोमीटर, उत्तर पश्चिम उत्तर दिशा में और रोहतक से 22 किलोमीटर पूर्व दक्षिण पूर्व दिशा में है। भूकंप के झटके करीब दस सेकंड तक महसूस किए गए। भूकंप से कई इलाकों में लोग दहशत में आ गए थे। झटके महसूस होने के बाद लोग दफ्तरों और घरों के बाहर आ गए।
भूकंप का केंद्र दिल्ली से कुछ दूर बहादुरगढ़ में धरती की सतह से 19.1 किलोमीटर नीचे रहा। यह इलाका नई दिल्ली से 48 किलोमीटर, उत्तर पश्चिम उत्तर दिशा में और रोहतक से 22 किलोमीटर पूर्व दक्षिण पूर्व दिशा में है। भूकंप के झटके करीब दस सेकंड तक महसूस किए गए। भूकंप से कई इलाकों में लोग दहशत में आ गए थे। झटके महसूस होने के बाद लोग दफ्तरों और घरों के बाहर आ गए।