अम्बाला. नारायणगढ़. नारायणगढ़ नगरपालिका के चेयरमैन संजीव वर्मा भले ही इस समय अपनी कुर्सी सेफ करके इस्तीफा देने से मुकर गए हैं लेकिन नगरपालिका के पार्षदों के एक गुट में उनके खिलाफ गुस्सा अभी बरकरार है। यह समझा जा रहा है कि संजीव वर्मा की कुर्सी बचने के पीछे ‘भाई साहब’ (मुख्य संसदीय सचिव रामकिशन गुर्जर) का आशीर्वाद है क्योंकि पहले उन्हीं के कहने पर वर्मा इस्तीफा देने को तैयार हुए थे।
अब वर्मा ने इस्तीफा न देकर पार्षदों को अविश्वास मत लाने की चुनौती दे दी है। सबसे खास बात यह रही कि जब चेयरमैन पद से वर्मा को हटाने की कवायद चली तब तक इस पद के लिए किसी एक पार्षद के नाम पर सहमति नहीं बनी। यही वजह है कि सीपीएस को लगा कि वर्मा के हटाने के बाद खेमेबंदी बढ़ेगी।
बुधवार को पालिका में पार्षदों की हुई मीटिंग में चेयरमैन संजीव वर्मा व उनके साथी पार्षदों ने साफ कर दिया कि वो इस्तीफा देने के कतई मूड में नहीं है। संजीव वर्मा के इस कदम को आम नागरिकों ने भले ही हल्के मे लिया हो परंतु इस मामले से जुड़े लोगों का मानना है कि इस स्थिति को पैदा करने में कहीं न कहीं भाई साहब का आशीर्वाद तो प्राप्त है ही।
वर्मा के साथ सुरजीत सिंह, ओमप्रकाश घासी, नारायणगढ़ पालिका में सबसे अनुभवी पार्षद बैकुंठ नाथ, सरोज कुमारी व सरोज बाला की उपस्थिति और उप प्रधान जितेंद्र अब्दूला के मीटिंग में न होने से साफ है कि वर्मा अपनी कुर्सी की सलामती को लेकर बेफिक्र हैं।
वार्ड नंबर 4 के पार्षद अमित वालिया का कहना है कि सभी 13 पार्षद शहर का विकास चाहते हैं। नगर पालिका अध्यक्ष पद गरिमामयी पद है, जिस पर रहते हुए हर इंसान का फर्ज बनता है कि सभी पार्षदों को साथ लेकर शहर का विकास करे। संजीव वर्मा नगरपालिका चेयरमैन हैं और उनको जबरदस्ती इस पद से इस्तीफा देने के लिए कोई नहीं कह रहा। जब संजीव वर्मा इस पद पर बने थे तो उस समय वादा हुआ था कि पहले कुछ समय के लिए मुझे अध्यक्ष बनाया जाए।
चेयरपर्सन बनने की दौड़ में लगी पार्षद अनिता चौधरी ने कहा कि जो भी महिला पार्षद हैं, उनके साथ उनके पति भी शहर के विकास कार्य में हमेशा सहयोग देते हैं, जो एक अच्छी बात है इसलिए चेयरमैन और पार्षदों को नगरपालिका में कार्य करवाने और मीटिंग में महिला पार्षदों के पति की उपस्थिति पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। हम सबको परिवार की तरह मिलकर शहर के विकास में सहयोग देना चाहिए।
अब वर्मा ने इस्तीफा न देकर पार्षदों को अविश्वास मत लाने की चुनौती दे दी है। सबसे खास बात यह रही कि जब चेयरमैन पद से वर्मा को हटाने की कवायद चली तब तक इस पद के लिए किसी एक पार्षद के नाम पर सहमति नहीं बनी। यही वजह है कि सीपीएस को लगा कि वर्मा के हटाने के बाद खेमेबंदी बढ़ेगी।
बुधवार को पालिका में पार्षदों की हुई मीटिंग में चेयरमैन संजीव वर्मा व उनके साथी पार्षदों ने साफ कर दिया कि वो इस्तीफा देने के कतई मूड में नहीं है। संजीव वर्मा के इस कदम को आम नागरिकों ने भले ही हल्के मे लिया हो परंतु इस मामले से जुड़े लोगों का मानना है कि इस स्थिति को पैदा करने में कहीं न कहीं भाई साहब का आशीर्वाद तो प्राप्त है ही।
वर्मा के साथ सुरजीत सिंह, ओमप्रकाश घासी, नारायणगढ़ पालिका में सबसे अनुभवी पार्षद बैकुंठ नाथ, सरोज कुमारी व सरोज बाला की उपस्थिति और उप प्रधान जितेंद्र अब्दूला के मीटिंग में न होने से साफ है कि वर्मा अपनी कुर्सी की सलामती को लेकर बेफिक्र हैं।
वार्ड नंबर 4 के पार्षद अमित वालिया का कहना है कि सभी 13 पार्षद शहर का विकास चाहते हैं। नगर पालिका अध्यक्ष पद गरिमामयी पद है, जिस पर रहते हुए हर इंसान का फर्ज बनता है कि सभी पार्षदों को साथ लेकर शहर का विकास करे। संजीव वर्मा नगरपालिका चेयरमैन हैं और उनको जबरदस्ती इस पद से इस्तीफा देने के लिए कोई नहीं कह रहा। जब संजीव वर्मा इस पद पर बने थे तो उस समय वादा हुआ था कि पहले कुछ समय के लिए मुझे अध्यक्ष बनाया जाए।
चेयरपर्सन बनने की दौड़ में लगी पार्षद अनिता चौधरी ने कहा कि जो भी महिला पार्षद हैं, उनके साथ उनके पति भी शहर के विकास कार्य में हमेशा सहयोग देते हैं, जो एक अच्छी बात है इसलिए चेयरमैन और पार्षदों को नगरपालिका में कार्य करवाने और मीटिंग में महिला पार्षदों के पति की उपस्थिति पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। हम सबको परिवार की तरह मिलकर शहर के विकास में सहयोग देना चाहिए।