नई दिल्ली। कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने जिस तरह से यूपी चुनाव में कांग्रेस को 22 साल में पहली बार सीरियस प्लेयर बताया, उसे साफ तौर पर राहुल गांधी का बचाव माना जा रहा है। दरअसल, यूपी के चुनाव परिणाम के बाद से कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी को लगातार हो रही आलोचनाओं से उबारने के लिए सोनिया पहली बार खुलकर सामने आईं। हालांकि उन्होंने राहुल का नाम नहीं लिया फिर भी साफ संकेत दिया कि उनका जादू नहीं चलने और दौरों का कोई असर न होने जैसी तमाम आलोचनाओं में कोई दम नहीं है।
दरअसल कांग्रेस अध्यक्ष का इस बैठक में यूपी का खास संदर्भ पार्टी की भावी रणनीति से जुड़ा है। सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी को आगामी कई राज्यों के चुनाव में सक्रिय भूमिका निभानी है। उनकी पार्टी में लगातार भूमिका भी बढऩी है। ऐसे में उन्हें हारे हुए सिपाही की भूमिका से बाहर निकालना पार्टी की मजबूरी है। यही वजह है कि पंजाब और गोवा के चुनाव परिणामों पर घोर निराशा जाहिर करते हुए सोनिया गांधी ने यूपी के परिणाम पर एक तरह से अपना संतोष जाहिर कर दिया।
उन्होंने साफ कहा कि पिछले 22 साल में पहली बार कांग्रेस सूबे में सीरियस प्लेयर की भूमिका में नजर आई। पार्टी का वोट प्रतिशत बढ़ा है। यह ऐसे तर्क हैं जिनकी चर्चा जबरदस्त हार के बाद से सदमें में आई पार्टी का कोई नेता नहीं कर रहा था। 28 सीटों के आंकड़े में सिमटी पार्टी के खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी खुद राहुल गांधी ने ली थी। प्रभारी महासचिव दिग्विजय सिंह और प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी ने अपने पद से इस्तीफे की पेशकश भी कर दी थी।
एंटनी कमेटी बनी ढाल
कांग्रेस अध्यक्ष का यूपी पर दिया गया तर्क इसलिए भी अहम है क्योंकि उन्होंने एंटनी कमेटी को यूपी सहित पंजाब, गोवा और उत्तराखंड के परिणामों की समीक्षा करने की जिम्मेदारी दी थी। माना जा रहा है कि एंटनी कमेटी के सामने पेश हुए ज्यादातर नेताओं ने राहुल की वजह से सूबे में एक सकारात्मक माहौल बनने की बात स्वीकारी थी। लेकिन इसे भुनाया नहीं जा सका। खराब प्रदर्शन का ठीकरा कमजोर संगठन और गलत टिकट वितरण, नेताओं की बयानबाजी जैसी वजहों पर फोड़ा गया था। सूत्रों के मुताबिक खुद कमेटी ने भी राहुल गांधी को हार के लिए जिम्मेदार मानने से इंकार कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि राहुल की अगुवाई में ही पार्टी को यूपी में संगठनात्मक ऑपरेशन का प्लान भी तय करना है। इसलिए इशारों में ही सही उनको मिली क्लीन चिट पार्टी की सोची समझी रणनीति है।
दरअसल कांग्रेस अध्यक्ष का इस बैठक में यूपी का खास संदर्भ पार्टी की भावी रणनीति से जुड़ा है। सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी को आगामी कई राज्यों के चुनाव में सक्रिय भूमिका निभानी है। उनकी पार्टी में लगातार भूमिका भी बढऩी है। ऐसे में उन्हें हारे हुए सिपाही की भूमिका से बाहर निकालना पार्टी की मजबूरी है। यही वजह है कि पंजाब और गोवा के चुनाव परिणामों पर घोर निराशा जाहिर करते हुए सोनिया गांधी ने यूपी के परिणाम पर एक तरह से अपना संतोष जाहिर कर दिया।
उन्होंने साफ कहा कि पिछले 22 साल में पहली बार कांग्रेस सूबे में सीरियस प्लेयर की भूमिका में नजर आई। पार्टी का वोट प्रतिशत बढ़ा है। यह ऐसे तर्क हैं जिनकी चर्चा जबरदस्त हार के बाद से सदमें में आई पार्टी का कोई नेता नहीं कर रहा था। 28 सीटों के आंकड़े में सिमटी पार्टी के खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी खुद राहुल गांधी ने ली थी। प्रभारी महासचिव दिग्विजय सिंह और प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी ने अपने पद से इस्तीफे की पेशकश भी कर दी थी।
एंटनी कमेटी बनी ढाल
कांग्रेस अध्यक्ष का यूपी पर दिया गया तर्क इसलिए भी अहम है क्योंकि उन्होंने एंटनी कमेटी को यूपी सहित पंजाब, गोवा और उत्तराखंड के परिणामों की समीक्षा करने की जिम्मेदारी दी थी। माना जा रहा है कि एंटनी कमेटी के सामने पेश हुए ज्यादातर नेताओं ने राहुल की वजह से सूबे में एक सकारात्मक माहौल बनने की बात स्वीकारी थी। लेकिन इसे भुनाया नहीं जा सका। खराब प्रदर्शन का ठीकरा कमजोर संगठन और गलत टिकट वितरण, नेताओं की बयानबाजी जैसी वजहों पर फोड़ा गया था। सूत्रों के मुताबिक खुद कमेटी ने भी राहुल गांधी को हार के लिए जिम्मेदार मानने से इंकार कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि राहुल की अगुवाई में ही पार्टी को यूपी में संगठनात्मक ऑपरेशन का प्लान भी तय करना है। इसलिए इशारों में ही सही उनको मिली क्लीन चिट पार्टी की सोची समझी रणनीति है।