Sunday, August 7, 2011

देवका का सूर्य मंदिर





   
EC.SBhatiphotosNew-FolderkalakarPicturelanga-002बाड़मेर   पुरातत्व विभाग ने राजस्थान के सीमावर्ती बाड़मेर जिले के देवका गांव में स्थित बारहवीं शताब्दी के जीर्ण-शीर्ण ऐतिहासिक सूर्य मंदिर के संरक्षण के लिए कार्ययोजना बनाई है। बाड़मेर-जैसलमेर मार्ग पर स्थित देवका का सूर्य मंदिर इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसमें शिव, कुबेर और विष्णु के मंदिर विद्यमान हैं। सूर्य पूजा के प्राचीन महत्व को दर्शानेवाले इस मंदिर के संरक्षण के लिए पुरातत्व विभाग ने 2004 में लगभग चार लाख रुपए की राशि खर्च की थी। इससे मंदिर परिसर के चारों ओर चार दीवारी के निर्माण के साथ टूटी दीवारों की मरम्मत कराई गई थी, लेकिन बजट की कमी के कारण संरक्षण का बाकी काम पूरा नहीं हो सका था। इस पूर्वाभिमुख शिखरवाले सूर्य मंदिर के भीतर गर्भगृह और आगे सभामंडप बना हुआ है। सभामंडप के उत्तर और दक्षिण में मकर तोरण हैं, जिनकी बनावट अत्यंत सुंदर है। सभामंडप के एक स्तम्भ पर संवत 1631 फाल्गुन सुदी 7 और बाईं ओर संवत 1674 के लेख उत्कीर्ण हैं।सूर्य मंदिर के शिखर पर छोटे-छोटे छिद्र हैं और इसे लघुपट्टिकाओं के जोड़ से बनाया गया है। शिखर के ऊपर गोलाकार पाषाण है, जिस पर रेखाएं अंकित हैं। इसके पीछे पश्चिम में परशुराम, उत्तर में कुबेर और दक्षिण में ब्रह्माजी की प्रतिमाएं स्थापित हैं। इन मूर्तियों के पास कुछ और मूर्तियां भी हैं, जो जीर्ण-शीर्ण होने के कारण पहचान में नहीं आती हैं।मंदिर के चारों कोनों पर चार छोटी देवकुलिकाएं अंकित हैं। इसके उत्तरी और दक्षिणी हिस्से में दो देवलियां विद्यमान हैं। उत्तराभिमुखी देवली कुबेर की है, जिसके बाहरी भाग पर पूर्व में शिव-पार्वती, पश्चिम में ब्रह्मा और दक्षिणी भाग में सपत्नीक कुबेर की मूर्तियां बनी हैं। अग्रिम भाग में मूल देवली के प्रवेश द्वार पर कुबेर की लघु आकृतियां बनी हुई हैं। इसके सामने बनी शिव देवली के बाहरी भाग पर पूर्व में गणेश और दक्षिण में सूर्य की मूर्तियां हैं। मंदिर के पार्श्व भाग की पट्टी पर नवगृह और मध्यम में शिव की मूर्तियां विद्यमान हैं। टूटी-फूटी सीढिय़ों से नीचे उत्तर की ओर गोवर्धन स्तम्भ पर उमा, महेश, सूर्य, गणेश और गोवर्धन पर्वत धारा किए कृष्ण की मूर्तियां हैं।
         सूर्य मंदिर और विष्णु मंदिर आमने-सामने हैं। विष्णु मंदिर की प्रवेश द्वार पट्टिका पर ब्रह्मा, सूर्य, नवग्रहों, राहु-केतु और विष्णु की मूर्तियां बनी हुई हैं। परिक्रमा स्थल पर भी मूर्तियां बनी हैं, लेकिन उनकी आकृतियां अस्पष्ट हैं। समीप ही प्राचीन शिलालेख विद्यमान है, जो पुरातत्ववेत्ताओं के लिए खोज का विषय है।सूर्य मंदिर के चारों कोनों पर चार अप्रधान मंदिर पालीवालों ने बनवाए थे। इस मंदिर के परिसर में दो और मंदिर हैं, जिनमें एकल पत्थर पर बनी गणेशजी की मूर्तियां बहुत सुंदर लगती हैं।

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