नई दिल्ली. पिछले साल अक्टूबर में हुए १९ वें कॉमनवेल्थ खेलों में हुई फिजूलखर्ची और अनियमितता के लिए शीला दीक्षित की अगुवाई वाली सरकार को दोषी पाने वाली सीएजी की संसद में पेश रिपोर्ट में दिल्ली सरकार को फिजूलखर्ची के अलावा अनियमितताओं के लिए दोषी माना गया है। सीएजी रिपोर्ट में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को सुरेश कलमाड़ी को आयोजन समिति का अध्यक्ष बनाने के लिए दोषी माना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि २००४ में खेल मंत्रालय की आपत्ति के बावजूद पीएमओ ने कलमाडी़ को आयोजन समिति के अध्यक्ष का पद दिया। शीला दीक्षित ने आज कहा कि दिल्ली सरकार सीएजी की रिपोर्ट पर पीएसी के साथ पूरा सहयोग करेगी।
सीएजी की रिपोर्ट में दिल्ली सरकार के अलावा आयोजन से जुड़े कई मंत्रालयों और डीडीए, एमसीडी, एनडीएमसी और पीडब्लूडी जैसी एजेंसियों पर कॉमनवेल्थ खेलों के दौरान फिजूलखर्ची का आरोप लगाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान दिल्ली सरकार ने स्ट्रीट लाइट और सड़कों के सौंदर्यीकरण के नाम पर 100 करोड़ रुपये से अधिक फालतू खर्च किए हैं। रिपोर्ट में पीएमओ पर भी अनदेखी का आरोप लगा है। संसद में पेश सीएजी की 743 पन्नों की रिपोर्ट में दिल्ली सरकार पर तो धांधली के कई आरोप हैं।
इस्तीफे की मांग, संसद में हंगामा
येदियुरप्पा के इस्तीफे के बाद बीजेपी ने हमलावर रुख अपनाते हुए दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के इस्तीफे की मांग की है। सीएम के इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे कई भाजपाइयों को गिरफ्तार कर लिया गया (तस्वीर में)। पार्टी के प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने संसद में रिपोर्ट पेश होने से पहले पत्रकारों से बातचीत में कहा, 'मैं समझता हूं कि अब यह शीला दीक्षित की नैतिक जिम्मेदारी है कि वह इस्तीफा दें। अगर ऐसा नहीं होता है तो कांग्रेस आला कमान को दीक्षित को अपना पद छोड़ने के लिए कहना चाहिए और उन्हें अपना नया मुख्यमंत्री चुनना चाहिए।' वहीं, बीजेपी के नेता राजीव प्रताप रूडी ने इसी मुद्दे पर कहा कि कांग्रेस पर लगे भ्रष्टाचार के कई आरोपों में से यह एक है। दोपहर तक सीएजी की रिपोर्ट संसद में पेश न होने पर राज्यसभा में बीजेपी के नेता एसएस आहलूवालिया ने हंगामा किया। आहलूवालिया ने कहा कि सरकार इस मामले को दबाना चाहती है। उन्होंने संसदीय कार्यमंत्री राजीव शुक्ला पर भी जिम्मेदारी न निभाने का आरोप लगाया। सदन में हो हल्ले को देखते हुए उपसभापति के. रहमान खान ने सत्तापक्ष को सीएजी की रिपोर्ट २ बजे तक सदस्यों को उपलब्ध कराने को कहा।
लेकिन दूसरी तरफ, शीला दीक्षित के इस्तीफे पर अड़ी बीजेपी की मांग का कांग्रेस पर असर होता नहीं दिख रहा है। केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने शीला दीक्षित के बचाव में आते हुए संसद के बाहर मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि कॉमनवेल्थ गेम्स के संदर्भ में सीएजी की रिपोर्ट और कर्नाटक में खनन घोटाले पर वहां के पूर्व लोकायुक्त की रिपोर्ट में कोई तुलना नहीं है। खनन घोटाले में लोकायुक्त की रिपोर्ट आने के बाद बी. एस. येदियुरप्पा को इस्तीफा देना पड़ा था। उन्होंने यह भी कहा कि यह मामला संसद के सामने है, इसलिए देश की सर्वोच्च पंचायत के ऊपर मामले को छोड़ देना चाहिए। येदियुरप्पा की तरह दीक्षित के इस्तीफे की मांग को ठुकराते हुए खुर्शीद ने कहा कि सीएजी रिपोर्ट में की गई टिप्पणियों को गलत संदर्भ में नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने राज्यसभा में सीएजी रिपोर्ट के पेश होने में देरी होने पर विपक्ष द्वारा शोर शराबा किए जाने पर अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए।
संसद के दोनों सदनों में पेश सीएजी की रिपोर्ट को संसद की लोक लेखा समिति (पीएससी) के पास भेजा जाएगा जहां इस मामले की आगे की जांच की जाएगी। दिल्ली सरकार ने भी शीला दीक्षित का यह कहते हुए बचाव किया है कि इस रिपोर्ट में कहीं भी मुख्यमंत्री को दोषी नहीं माना गया है। दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव पी के त्रिपाठी ने इस रिपोर्ट का खंडन किया है।
केंद्रीय सतर्कता आयोग की एक्सपर्ट कमेटी व शुंगलु कमेटी भी कॉमनवेल्थ गेम्स से जुड़ी परियोजनाओं पर दिल्ली सरकार के कामकाज को लेकर उंगली उठा चुकी है। हालांकि दोनों ही मामलों में दिल्ली सरकार ने इन रिपोर्टों को तरजीह नहीं दी और प्रत्येक आरोप के जवाब में अपने तर्क सामने रखे थे।
दूसरी तरफ, इस तरह के भ्रष्टाचार से देश को बचाने का हवाला देकर जन लोकपाल के लिए आंदोलन करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे भी नेताओं के निशाने पर हैं। उन पर ताजा हमला राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने बोला है। उन्होंने जन लोकपाल के लिए अन्ना के आंदोलन को बकवास करार दिया है। लालू ने वाराणसी में कहा कि बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर ने इस देश के लिए आदर्श संविधान बनाया था, जिसे कोई चुनौती नहीं दे सकता। फिर अन्ना हजारे को पहले यह बताना चाहिए कि वह किस हैसियत से संसद से भी बड़ी ताकत बनना चाहते हैं? दिल्ली की सीएम शीला दीक्षित ने हालांकि यह कहा कि सरकार को सामाजिक महत्व के मुद्दों पर सिविल सोसायटी के साथ मिलकर काम करना चाहिए लेकिन यह भी कहा कि लोकतंत्र में किसी को जनता के प्रतिनिधियों की ताकत को नजरअंदाज नहीं करनी चाहिए।
शीला दीक्षित की सरकार पर लगे अहम आरोप -दिल्ली सरकार ने स्ट्रीट लाइट लगाने के लिए बाज़ार रेट से कहीं ऊंची दरों पर ठेका देकर सरकारी खजाने को 31 करोड़ का चूना लगाया।
-कई ऐसी कंपनियों को सौंदर्यीकरण का ठेका मिला जो 'काली सूची' में थीं।
-लो फ्लोर बसों, बस शेल्टर, स्ट्रीट लाइट, बसों में एलईडी लाइट पैनल लगाने में वित्तीय खामियां।
-स्ट्रीट लाइट का आयात करने से भी सरकारी खजाने को चूना लगा।
सीएजी की रिपोर्ट में कॉमनवेल्थ खेलों के आयोजन में पाई गईं खामियां और सिफारिशें-
-पीएमओ ने की कलमाड़ी के खिलाफ की गई चेतावनी की अनदेखी।
-दिल्ली सरकार पर खर्च बढ़ाने का आरोप।
-ठेका देने में अनियमितताएं।
-सलाहकारों का चयन मनमाने ढंग से किए गए।
-मेडिकल उपकरणों के रखरखाव में गंभीर अनियमितताएं।
-कई परियोजनाओं में देरी होने से खर्च बढ़ा।
-अधिकारियों की जवाबदेही तय होनी चाहिए।
-काम करने के लिए कमजोर सरकारी मॉडल अपनाया गया।
-फर्नीचर के दाम में बाज़ार भाव और खरीद में भारी अंतर।
-एएम फिल्म्स को जरूरी प्रक्रिया पूरी किए बिना काम दिया गया।
-वित्तीय भुगतान में देरी की गई।
-घड़ी बनाने वाली स्विस कंपनी ओमेगा को गलत ढंग से प्राथमिकता दी गई।
-ठेके देने में पक्षपात और भेदभाव भरा रवैया अपनाया गया।
-१०० करोड़ से ज़्यादा की फिजूलखर्ची।
-ब्रॉडकास्टिंग डील में भी अनियमितता।
सीएजी की रिपोर्ट में दिल्ली सरकार के अलावा आयोजन से जुड़े कई मंत्रालयों और डीडीए, एमसीडी, एनडीएमसी और पीडब्लूडी जैसी एजेंसियों पर कॉमनवेल्थ खेलों के दौरान फिजूलखर्ची का आरोप लगाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान दिल्ली सरकार ने स्ट्रीट लाइट और सड़कों के सौंदर्यीकरण के नाम पर 100 करोड़ रुपये से अधिक फालतू खर्च किए हैं। रिपोर्ट में पीएमओ पर भी अनदेखी का आरोप लगा है। संसद में पेश सीएजी की 743 पन्नों की रिपोर्ट में दिल्ली सरकार पर तो धांधली के कई आरोप हैं।
इस्तीफे की मांग, संसद में हंगामा
येदियुरप्पा के इस्तीफे के बाद बीजेपी ने हमलावर रुख अपनाते हुए दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के इस्तीफे की मांग की है। सीएम के इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे कई भाजपाइयों को गिरफ्तार कर लिया गया (तस्वीर में)। पार्टी के प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने संसद में रिपोर्ट पेश होने से पहले पत्रकारों से बातचीत में कहा, 'मैं समझता हूं कि अब यह शीला दीक्षित की नैतिक जिम्मेदारी है कि वह इस्तीफा दें। अगर ऐसा नहीं होता है तो कांग्रेस आला कमान को दीक्षित को अपना पद छोड़ने के लिए कहना चाहिए और उन्हें अपना नया मुख्यमंत्री चुनना चाहिए।' वहीं, बीजेपी के नेता राजीव प्रताप रूडी ने इसी मुद्दे पर कहा कि कांग्रेस पर लगे भ्रष्टाचार के कई आरोपों में से यह एक है। दोपहर तक सीएजी की रिपोर्ट संसद में पेश न होने पर राज्यसभा में बीजेपी के नेता एसएस आहलूवालिया ने हंगामा किया। आहलूवालिया ने कहा कि सरकार इस मामले को दबाना चाहती है। उन्होंने संसदीय कार्यमंत्री राजीव शुक्ला पर भी जिम्मेदारी न निभाने का आरोप लगाया। सदन में हो हल्ले को देखते हुए उपसभापति के. रहमान खान ने सत्तापक्ष को सीएजी की रिपोर्ट २ बजे तक सदस्यों को उपलब्ध कराने को कहा।
लेकिन दूसरी तरफ, शीला दीक्षित के इस्तीफे पर अड़ी बीजेपी की मांग का कांग्रेस पर असर होता नहीं दिख रहा है। केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने शीला दीक्षित के बचाव में आते हुए संसद के बाहर मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि कॉमनवेल्थ गेम्स के संदर्भ में सीएजी की रिपोर्ट और कर्नाटक में खनन घोटाले पर वहां के पूर्व लोकायुक्त की रिपोर्ट में कोई तुलना नहीं है। खनन घोटाले में लोकायुक्त की रिपोर्ट आने के बाद बी. एस. येदियुरप्पा को इस्तीफा देना पड़ा था। उन्होंने यह भी कहा कि यह मामला संसद के सामने है, इसलिए देश की सर्वोच्च पंचायत के ऊपर मामले को छोड़ देना चाहिए। येदियुरप्पा की तरह दीक्षित के इस्तीफे की मांग को ठुकराते हुए खुर्शीद ने कहा कि सीएजी रिपोर्ट में की गई टिप्पणियों को गलत संदर्भ में नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने राज्यसभा में सीएजी रिपोर्ट के पेश होने में देरी होने पर विपक्ष द्वारा शोर शराबा किए जाने पर अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए।
संसद के दोनों सदनों में पेश सीएजी की रिपोर्ट को संसद की लोक लेखा समिति (पीएससी) के पास भेजा जाएगा जहां इस मामले की आगे की जांच की जाएगी। दिल्ली सरकार ने भी शीला दीक्षित का यह कहते हुए बचाव किया है कि इस रिपोर्ट में कहीं भी मुख्यमंत्री को दोषी नहीं माना गया है। दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव पी के त्रिपाठी ने इस रिपोर्ट का खंडन किया है।
केंद्रीय सतर्कता आयोग की एक्सपर्ट कमेटी व शुंगलु कमेटी भी कॉमनवेल्थ गेम्स से जुड़ी परियोजनाओं पर दिल्ली सरकार के कामकाज को लेकर उंगली उठा चुकी है। हालांकि दोनों ही मामलों में दिल्ली सरकार ने इन रिपोर्टों को तरजीह नहीं दी और प्रत्येक आरोप के जवाब में अपने तर्क सामने रखे थे।
दूसरी तरफ, इस तरह के भ्रष्टाचार से देश को बचाने का हवाला देकर जन लोकपाल के लिए आंदोलन करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे भी नेताओं के निशाने पर हैं। उन पर ताजा हमला राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने बोला है। उन्होंने जन लोकपाल के लिए अन्ना के आंदोलन को बकवास करार दिया है। लालू ने वाराणसी में कहा कि बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर ने इस देश के लिए आदर्श संविधान बनाया था, जिसे कोई चुनौती नहीं दे सकता। फिर अन्ना हजारे को पहले यह बताना चाहिए कि वह किस हैसियत से संसद से भी बड़ी ताकत बनना चाहते हैं? दिल्ली की सीएम शीला दीक्षित ने हालांकि यह कहा कि सरकार को सामाजिक महत्व के मुद्दों पर सिविल सोसायटी के साथ मिलकर काम करना चाहिए लेकिन यह भी कहा कि लोकतंत्र में किसी को जनता के प्रतिनिधियों की ताकत को नजरअंदाज नहीं करनी चाहिए।
शीला दीक्षित की सरकार पर लगे अहम आरोप -दिल्ली सरकार ने स्ट्रीट लाइट लगाने के लिए बाज़ार रेट से कहीं ऊंची दरों पर ठेका देकर सरकारी खजाने को 31 करोड़ का चूना लगाया।
-कई ऐसी कंपनियों को सौंदर्यीकरण का ठेका मिला जो 'काली सूची' में थीं।
-लो फ्लोर बसों, बस शेल्टर, स्ट्रीट लाइट, बसों में एलईडी लाइट पैनल लगाने में वित्तीय खामियां।
-स्ट्रीट लाइट का आयात करने से भी सरकारी खजाने को चूना लगा।
सीएजी की रिपोर्ट में कॉमनवेल्थ खेलों के आयोजन में पाई गईं खामियां और सिफारिशें-
-पीएमओ ने की कलमाड़ी के खिलाफ की गई चेतावनी की अनदेखी।
-दिल्ली सरकार पर खर्च बढ़ाने का आरोप।
-ठेका देने में अनियमितताएं।
-सलाहकारों का चयन मनमाने ढंग से किए गए।
-मेडिकल उपकरणों के रखरखाव में गंभीर अनियमितताएं।
-कई परियोजनाओं में देरी होने से खर्च बढ़ा।
-अधिकारियों की जवाबदेही तय होनी चाहिए।
-काम करने के लिए कमजोर सरकारी मॉडल अपनाया गया।
-फर्नीचर के दाम में बाज़ार भाव और खरीद में भारी अंतर।
-एएम फिल्म्स को जरूरी प्रक्रिया पूरी किए बिना काम दिया गया।
-वित्तीय भुगतान में देरी की गई।
-घड़ी बनाने वाली स्विस कंपनी ओमेगा को गलत ढंग से प्राथमिकता दी गई।
-ठेके देने में पक्षपात और भेदभाव भरा रवैया अपनाया गया।
-१०० करोड़ से ज़्यादा की फिजूलखर्ची।
-ब्रॉडकास्टिंग डील में भी अनियमितता।