आयोग के निर्देश पर राज्य के निर्वाचन कार्यालय ने मुख्य सचिव और गृह सचिव से समय पर जवाब न देने का कारण पूछा है। इसकी पुष्टि मुख्य चुनाव अधिकारी कुसुमजीत सिद्दू ने की है। उधर, मुख्य सचिव एससी अग्रवाल ने कहा कि रिपोर्ट में अभी कुछ जरूरी तथ्यों को जांचा जाना बाकी है। आयोग ने गिल के मोगा और गुरु के बरनाला दौरों के संबंध में नजर रखने को कहा है। जिला प्रशासन अधिकारियों को कहा गया है कि उनके प्रत्येक समारोह की रिपोर्ट दी जाए।
अब एमपी, एमएलए फंड पर नजर
डीजीपी पंजाब परमदरप सिंह गिल और मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दरबारा सिंह गुरु पर नजर रखने के आदेशों के बाद अब चुनाव आयोग की नजर सांसदों, विधायकों आदि के ऐच्छिक कोटे पर है। चुनाव आयोग ने सांसदों और विधायकों द्वारा ऐच्छिक कोटे से खर्च की जा रही राशि का योजना विभाग से जिलावार ब्योरा मांगा है।
हालांकि पंजाब में विधायकों को कोई ऐच्छिक फंड नहीं मिलता, लेकिन मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और वित्तमंत्री के पास ऐच्छिक कोटा है और विधायक इन्हीं कोटों से अपने क्षेत्रों में काम करवाने के लिए पैसे लेते हैं। मुख्यमंत्री का ऐच्छिक कोटा 12.5 करोड़, उपमुख्यमंत्री का 5 करोड़ और वित्तमंत्री का चार करोड़ रुपए है। इसके अलावा आयोग ने पंजाब सरकार से अन्य ऐच्छिक कोटों को भी ब्योरा मांगा है।