Thursday, November 18, 2010

इसरो को चंद्रयान-1 में लगा खूब चंदा

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) का पहला मून मिशन चंद्रयान-1 का ग्राउंड स्टेशनों से रेडियो संपर्क क्या टूटा कि मिशन खत्म हो गया।

इसरो की जारी की गई विज्ञप्ति में कहा गया कि 12.25 बजे अंतिम डाटा मिला और दोपहर 1.30 बजे संपर्क टूट गया। चंद्रयान-1 को 22 अक्टूबर 2008 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से छोड़ा गया था। हालांकि कहा गया कि मिशन ने वैज्ञानिक दृष्टि से 90 से 95 प्रतिशत सफलता प्राप्त की थी।

पहले भी आई थी खराबी

अंतरिक्ष यान ने कक्षा में 312 दिन पूरे करते हुए चंद्रमा के 3400 से अधिक चक्कर लगाए थे। अगस्त 2009 में खराबी आने के एक माह पहले भी यान में इसी तरह की खराबी की खबर भी आई थी। जिसमें यान के स्टार सेंसर ने अधिक गर्म हो जाने के कारण काम करना बंद कर दिया था।

386 करोड़ रुपए हुए खर्च

इस पहले मून मिशन में कुल 386 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। 8 नवंबर 2008 को जब चंद्रयान ने चांद की कक्षा में प्रवेश किया तो एशिया में चीन और जापान के साथ भारत का नाम भी मून मिशन करने वाले तीसरे देश के तौर पर जुड़ गया।

इसी के साथ 14 नवंबर 2008 को रात 8 बजे मून इम्पैक्ट प्रोब नाम का उपकरण चंद्रयान से अलग होकर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतर गया। इसके साथ ही चां पर राष्ट्रीय ध्वज लहराने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन गया।

भेजीं चंद्रमा की तस्वीरें

चंद्रयान-1 ने चांद का चक्कर लगाते हुए उसके सबसे ठंडे और हमेशा अंधेरे में रहने वाले हिस्से या क्रेटर्स की तस्वीरें भेजी थीं। नासा ने इन तस्वीरों की जांच भी की थी। ये तस्वीरें 17 नवंबर 2008 को खींची गई थीं। उस समय चंद्रयान चांद से कुल 200 किलोमीटर की दूरी पर चक्कर काट रहा था। इस तरह कुल 70 हजार चांद की तस्वीरें मिली थीं।

मिशन की अवधि घोषित करने में हुई थी चूक

इसरो ने यह घोषणा की थी कि चंद्रयान-1 मिशन की अवधि दो वर्ष की होगी। जबकि पहले कभी भी ऐसे किसी मिशन की अवधि इतनी अधिक नहीं रही। बाद में बेंगलुरु स्थित अंतरिक्ष एजेंसी के अधिकारियों ने भी इस बात को स्वीकार किया कि अवधि का अनुमान लगाने में शायद उनसे भूल हुई है।

सवाल उठते हैं...

चंद्रयान-1 की सफलता को लेकर सवाल तो उठते ही हैं। आखिर इतने बड़े प्रोजेक्ट पर करीब 400 करोड़ रुपए खर्च हुए। जिससे 70 हजार तस्वीरें मिलीं पर क्या ये तस्वीरें हमारे लिए उपयोगी थीं? क्या उनसे किसी तरह की कोई खास जानकारी जुटाई जा सकी?

इसी तरह आने वाले समय में चंद्रयान-2 की तैयारी चल रही है, जाहिर है इसमें 400 करोड़ से ज्यादा ही खर्च किया जाएगा। तो यहां फंड का फंडा ये है कि हम अंतरिक्ष को जानने के लिए तो पैसा खर्च कर रहे हैं पर यहां धरती पर आम-आदमी दो जून की रोटी के लिए संघर्षरत है।

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