Tuesday, November 30, 2010

एनडीए की इमेज बदलते चार मुख्यमंत्री

एनडीए को नई दिशा देने का दारोमदार नीतीश कुमार, नरेंद्र मोदी, रमन सिंह, और शिवराज सिंह चौहान जैसे मुख्यमंत्रियों के कंधों पर आन पड़ा है। और क्यों न हो? इन मुख्यमंत्रियों ने अपने-अपने प्रदेशों में सुशासन, विकास और जनकल्याण को प्रमुखता देकर सभी आलोचकों को खामोश कर दिया है। बिहार के चुनाव नतीजों ने नीतीश कुमार को रातोरात एनडीए का सबसे सफल चेहरा बना डाला। आइए जानते हैं एनडीए के नए क्षत्रपों के बारे में...

नीतीश कुमार

बिहार में रिकॉर्ड सीटें हासिल करके सत्ता में लौटने वाले नीतीश कुमार राजनीतिक पंडितों के चहेते बने हुए हैं। कोई उनकी विकासपरक राजनीति का गुणगान कर रहा है तो कोई इसे सोशल इंजीनियरिंग के नए फंडे का बखान। कुछ भी हो, एक प्रदेश के मुख्यमंत्री होकर भी उनकी जीत ने देशभर के समीक्षकों को झकझोर दिया है। इसकी प्रमुख वजह यह है कि बिहार में गवनेर्ंस शून्य पर था और नीतीश ने इसे शून्य से निकाल कर पटरी पर लाने का काम किया। कानून-व्यवस्था कायम की, सड़कों को दुरुस्त किया और दफ्तरों में बाबुओं को अपनी मेज पर बैठने की आदत पड़ने लगी। अभी चुनौती और बड़ी है। स्वभाव से सौम्य और बड़े-बड़े दावों से परहेज करने वाले नीतीश अब तक खामोश परफॉमर के रूप में देखे जाते हैं। अल्पसंख्यकों को रिझाकर उन्होंने यह मिथक भी तोड़ दिया कि भाजपा के सहयोगियों को मुसलमान वोट नहीं दे सकते। लेकिन अपनी जीत से नीतीश कुमार ने यह सुनिश्चित कर लिया है कि आइंदा एनडीए के नेताओं की गिनती हुई तो उनका नाम सबसे आगे होगा।

गुजरात के मुख्यमंत्री

नरेंद्र मोदी भाजपा के सबसे लोकप्रिय नेता हैं। हिंदुत्व की विचारधारा के झंडाबरदार मोदी के साथ विवादों हमेशा जुड़े रहते हैं। मगर भाजपा के नेता चाहकर भी उनके प्रभाव को झुठला नहीं सकते। हालांकि उनका अंदाज नीतीश कुमार से जुदा है। दोनों नेताओं का वैर भी जगजाहिर है। अब तक गठबंधन राजनीति में मोदी की भूमिका शून्य है। सच तो यह है कि नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी के विवाद ने यह साबित कर दिया है कि मोदी को गठबंधन सहयोगियों में खुद को स्वीकार्य बनाने के लिए अभी काफी कसरत करनी होगी। लेकिन मुसलमानों को टिकट देकर उन्होंने इसकी शुरुआत कर दी है।

रमन सिंह

रमन सिंह भाजपा के छुपारुस्तम हैं। वह उन मुख्यमंत्रियों में हैं जिन्हें कोई भी नापसंद नहीं करता। फिर चाहे वह प्रदेश के नेता हों या भाजपा के केंद्रीय नेता। लो-प्रोफाइल रहने वाले चाउर
वाले बाबा ने हमेशा प्रदेश की जनता के कल्याण और सुरक्षा व्यवस्था पर फोकस किया है। लोगों ने उन्हें किसी विवाद में पड़ते या विचारधारा पर लंबे-चौड़े जुमले बोलते नहीं सुना। इसके बावजूद इस नवगठित प्रदेश ने विकास के पैमाने पर लगातार झंडे गाड़े हैं। बकौल रमन सिंह जनता काम चाहती है और केवल उसी पर वोट देती है।

शिवराज सिंह चौहान

पांच साल पहले भाजपा के केंद्रीय नेताओं के सहायक बनकर घूमने वाले शिवराज सिंह चौहान ने वह कर दिखाया जो मध्य प्रदेश में बड़े-बड़ों से न हुआ। चौहान पहले मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने गैर-कांग्रेसी होकर मध्य प्रदेश में पांच साल पूरे कर लिए। बालिकाओं, महिलाओं, शोषित पीड़ित वर्गो के लिए उनकी सरकार की योजनाओं को खूब सुर्खियां मिल रही हैं। विकास के मानदंडों पर भी मप्र कई पायदान ऊपर उछल चुका है। चौहान उन मुट्ठी भर नेताओं में शुमार हैं जिन्हें प्रदेश के सभी वर्गो का समर्थन मिलता है। प्रदेश में अपनी पैठ मजबूत करने के बाद अब वह धीरे-धीरे केंद्रीय भाजपा की नजर में भी एक अग्रणी नेता बनते जा रहे हैं।

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