Thursday, November 18, 2010

भारत की चिंता दरकिनार कर चीन ने शुरू किया ब्रह्मपुत्र पर बांध का काम

बीजिंग. चीन ने भारत की चिंता को दरकिनार करते हुए कहा है कि वह पनबिजली पैदा करने के लिए ब्रह्मपुत्र नदी पर विशाल बांध का निर्माण कर रहा है। चीन की सरकारी न्‍यूज एजेंसी शिन्‍हुआ ने रिपोर्ट जारी कर कहा है कि 510 मेगावाट क्षमता वाले झांगमु हाइडल प्रोजेक्‍ट का निर्माण कार्य 12 नवंबर से शुरू हो गया है।

तिब्‍बत स्‍वायत्‍तशासी क्षेत्र के गयाका काउंटी में बन रही यह यूनिट 2014 तक तैयार हो जाएगी। हालांकि चीन ने कहा है कि वह इस बांध का निर्माण बिजली पैदा करने, बाढ़ नियंत्रण और सिंचाई के कार्यों के लिए कर रहा है लेकिन भारत की चिंता यह है कि चीन इस नदी का रुख मोड़ सकता है या फिर युद्ध जैसे हालात होने पर चीन इसका इस्‍तेमाल भारत में बाढ़ जैसे हालात पैदा करने में भी कर सकता है। यह बांध जिस नदी पर बन रहा है वह पूर्वोत्‍तर भारत के कुछ इलाकों से होकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है।

भारत और चीन के बीच सामरिक वार्ता के दौरान भारतीय विदेश सचिव निरुपमा राव ने जब इस बांध का मुद्दा उठाया तो चीनी प्रतिनिधि ने उन्‍हें आश्‍वासन दिया कि इस बांध के निर्माण का मकसद बिजली पैदा करना है और इसका नदी के निचले इलाकों में कोई असर नहीं पड़ेगा। इस परियोजना पर 7.9 अरब युआन यानी 1.2 अरब डॉलर खर्च होने की उम्‍मीद है।

'पहले इनकार, अब इनकार'

चीन अब भले ही यह कहे वह बांध का निर्माण बिजली पैदा करने के लिए कह रहा है लेकिन भारत की चिंता इस बात को लेकर है कि पिछले साल सैटेलाइट चित्रों में जब ऐसी बात सामने आई थी तो चीन ने कहा कि उसकी ऐसी कोई योजना नहीं है। भारत ने इससे पहले इस मुद्दे को चीन के सामने कई बार उठाया है, लेकिन उसने हर बार इनकार किया है।

चीन ने झांगमु में मार्च में 116 मीटर ऊंचा बांध बनाने की परियोजना का उद्घाटन किया था। लेकिन पड़ोसी देश कहता आया है कि वह ब्रह्मपुत्र पर कोई बांध नहीं बना रहा है। लेकिन नेशनल रिमोट सेंसिंग एजेंसी (एनआरएसए) के सैटेलाइट द्वारा लिए गए चित्रों से पता चला कि झांगमु में बांध निर्माण कार्य जारी है। चित्र में झांगमु में मकान, निर्माण कार्य और ट्रकों की आवाजाही दिखाई देती है। यह चित्र इस मुद्दे पर गठित सचिवों की समिति को भी दिखाए गए।

इस बांध निर्माण से पानी के मामले में ब्रह्मपुत्र नदी के भरोसे देश के पूर्वोत्तर राज्यों में जल संकट हो सकता है। भारत की इस चिंता को पिछले साल थाईलैंड में आसियान सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और चीनी प्रधानमंत्री वेन जिआबाओ की मुलाकात में भी उठाया गया था। ऐसे पहले पहले इनकार फिर इकरार से ड्रैगन की मंशा पर सवाल उठने लाजमी हैं।

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