Monday, November 15, 2010

आतंकियों का नया एजेंडा, कश्‍मीर को 'मुस्लिम राज्य' बनाना?

नई दिल्ली. कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने के बाद अब राज्य को 'मुस्लिम सूबा' बनाए जाने की साजिश रची जा रही है। इसके लिए आतंकी संगठन अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए कश्मीर को 'मुस्लिम राज्य' बनाने की कोशिशों में जुट गए हैं। अपने मकसद में कामयाब होने के लिए आतंकी संगठन अल्पसंख्यकों खासकर सिखों को धमकी भरी चिट्ठियां लिख रहे हैं। आतंकियों के निशाने पर घाटी के अल्पसंख्यक समुदाय के सिख हैं। सिख समुदाय के कई सदस्यों को इन दिनों बेनामी चिट्ठियां मिल रही हैं, जिसमें उन्हें धमकी दी जा रही है कि वे 'इस्लाम' कबूल करके कश्मीर में हो रहे विरोध आंदोलन में शामिल हों।

इन चिट्ठियों में कहा गया है कि अगर वे इस्लाम नहीं मंजूर करते हैं और विरोधी आंदोलन में हिस्सा नहीं लेते हैं तो वे घाटी को तुरंत छोड़ दें। इन चिट्ठियों से अल्पसंख्यक सिख समुदाय खौफजदा है, जिनकी घाटी में करीब 60 हजार आबादी है। कश्‍मीर में सिख सबसे बड़ी अल्‍पसंख्‍यक कौम है।
घाटी में सिखों की सुरक्षा का मसला शुक्रवार को संसद में भी उठा। सांसदों ने इसे गंभीर मसला बताते हुए सरकार से हस्‍तक्षेप और सिखों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है।

ऑल पार्टी सिख कोऑर्डिनेशन कमेटी के को-ऑर्डिनेटर जगमोहन सिंह रैना के हवाले से मीडिया में आई खबरों में कहा गया है कि सिख आतंकियों के इस मंसूबे को पूरा नहीं होने देंगे। उन्होंने बताया कि एक मीटिंग में इस साजिश के खिलाफ एकजुट रह कर लड़ाई लड़ने का फैसला किया गया है। सिख समुदाय को मिली इन चिट्ठियों में कहा गया है, 'जब तुम यहां सुख भोग रहे हो तो फिर तुम कश्मीरियों की तकलीफ में साथ क्यों नहीं दे रहे हो? हमें पता है कि तुम गोलियों से डरते हो। गुरुद्वारों के बाहर प्रदर्शन करो या फिर कश्मीर को छोड़ दो।' रैना के मुताबिक कुछ चिट्ठियों में इस्लाम को कबूलने की धमकी भी दी गई है।

कश्‍मीरी पंडितों जैसा होगा हाल

जानकार मानते हैं कि ऐसे में कश्‍मीरी पंडितों के बाद अब घाटी से सिखों का पलायन भी शुरू हो सकता है। घाटी से कश्मीरी पंडितों का पलायन पिछले बीस सालों में बड़ी संख्या में हुआ है। एक अनुमान के मुताबिक 1990 से अब तक करीब तीन लाख कश्मीर पंडित घाटी छोड़ चुके हैं। इससे साफ है कि कश्मीर में अल्पसंख्यों के लिए हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। हालांकि, अब तक यह साफ नहीं हो पाया है कि ये चिट्ठियां किस आतंकी संगठन की ओर से जारी हुई हैं और उनकी वैधता क्या है।
डरेंगे नहीं

अकाली दल (बादल) की राज्य ईकाई के अध्यक्ष अजीत सिंह मस्ताना ने इन धमकियों को असामाजिक तत्वों की हरकत बताया है। उन्होंने अपने बयान में कहा है कि ऐसी धमकियां हमें न तो तोड़ सकती हैं और न ही मातृभूमि के लिए हमारे प्यार को कम कर सकती हैं। सिख नेताओं ने हुर्रियत के दोनों धड़ों- जेकेएलएफ और पीओके में सक्रिय यूनाइटेड जिहाद काउंसिल से इस मामले को गंभीरता से लेने को कहा है ताकि घाटी में भाईचारे और अमन का माहौल कायम रहे। कट्टर अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने सिख समुदाय को भरोसा दिया है कि वे डरें नहीं और ऐसी 'फर्जी चिट्ठियों' की परवाह न करें।

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