Tuesday, February 8, 2011

ये हैं एसआइटी के सवाल, जिनसे हिल गए मोदी 28 मार्च 2010 को जांच अधिकारी एके मल्होत्रा और नरेंद्र मोदी के बीच सवाल-जवाब का ब्योरा

सवाल : 28 फरवरी 2002 को आप कहां थे?

मोदी : 28 फरवरी 02 की दोपहर मैं शाहीबाग के सर्किट हाउस एनेक्सी में पत्रकारों से मिला था। इस मुलाकात में पत्रकारों को सरकार द्वारा मामले की जांच हेतु जांच आयोग गठित करने की जानकारी दी। साथ ही मीडिया के माध्यम से जनता से शांति-सद्भाव बनाए रखने की अपील भी की। यह बताना भी जरूरी है कि इसी दिन मैंने लोगों से शांति-सद्भाव बनाए रखने की अपील वाला संदेश रिकॉर्ड करवाया था, जो बाद में दूरदर्शन पर लगातार प्रसारित होता रहा।



सवाल : स्टेट इंटेलिजेंस ब्यूरो (एसआईबी) की ओर से सरकार को कोई खुफिया सूचना मिली थी ? यदि हां, तो कब-किसने दी?



मोदी: मुझे यह जानकारी थी कि गुजरात से कुछ रामसेवक राम महायज्ञ के लिए अयोध्या जा रहे हैं। हालांकि इनके कार्यक्रम के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं थी। क्योंकि इस संबंध में आवश्यक बंदोबस्त करने की जिम्मेदारी पुलिस और गृह मंत्रालय की थी।



सवाल : एसआईबी ने कारसेवकों की गतिविधियों के बारे में कोई सूचना दी थी? यदि हां तो कब और किसने दी?


मोदी: एसआईबी की ओर से ऐसी कोई सूचना मिलने की मुझे कोई जानकारी नहीं थी। सूचना दी होगी तो वह संबंधित विभाग के पास होगी।



सवाल : आपने गोधरा कांड की घटना को पूर्वनियोजित करार दिया था और इसके पीछे पाकिस्तान अथवा आईएसआई का हाथ होने की बात कही थी? यदि हां तो किस आधार पर?


मोदी: मैंने कभी भी विधानसभा में ऐसे शब्द नहीं कहे। हालांकि मीडिया ने मेरे समक्ष कुछ प्रश्न उठाए थे। मेरा जवाब था कि जांच पूरी न होने तक कुछ भी कहना संभव नहीं है।



सवाल : मृतकों के शव अहमदाबाद लाने का फैसला किसका था, किस आधार पर लिया गया?



मोदी: कलेक्टर कार्यालय में हुई बैठक में मौजूद सभी लोगों ने सामूहिक विचार-विमर्श के अंत में निर्णय लिया था कि पीड़ितों के शव अहमदाबाद लाए जाने चाहिए। मेरा विचार था कि शव अहमदाबाद शहर की सीमा (तत्कालीन) पर स्थित सोला सिविल अस्पताल में रखे जाने चाहिए ताकि तनाव न बढ़े। अधिकांश पीड़ित अहमदाबाद व अन्य गांवों के थे। इस तथ्य को ध्यान में रख कर फैसला किया गया था ताकि पीड़ितों के निकट परिजनों को गोधरा जाने की जरूरत न पड़े क्योंकि गोधरा में कफ्यरू लगाया जा चुका था।



सवाल : गोधरा (पंचमहाल ) की तत्कालीन कलेक्टर जयंती रवि ने शव अहमदाबाद ले जाने पर आपत्ति जताई थी?



मोदी: अहमदाबाद के सोला सिविल अस्पताल में शव लाने से संबंधित फैसला बैठक में सर्वसहमति से लिया गया था। क्योंकि अधिकांश मृतक अहमदाबाद व आसपास के इलाकों के थे। इतना ही नहीं जयंती रवि का कहना था कि शव तत्काल गोधरा से हटाए जाने चाहिए। क्योंकि उन्हें आशंका थी कि ऐसा नहीं हुआ तो गोधरा में तनाव पैदा हो सकता है।



सवाल : विहिप के तत्कालीन महामंत्री जयदीप पटेल को आप जानते हैं? वे आपको गोधरा में मिले थे? अहमदाबाद के लिए शव हटाए जाते वक्त उन्होंने शवों के साथ मौजूद रहने की अनुमति आपसे मांगी थी?



मोदी: मैं जयदीप पटेल को पहचानता हूं। वे गोधरा में मिले थे, मुझे याद नहीं। शव अहमदाबाद पहुंचाने का फैसला लिए जाने के बाद इन्हें किस तरह पहुंचाया जाए इसका फैसला जिला शासन को करना था। शव कब और किस तरह अहमदाबाद भेजे गए, मुझे इनका ब्योरा मालूम नहीं है। हां, शव जिला प्रशासन, पुलिस और अस्पताल के अधिकारियों के नियंत्रण में थे।



सवाल : 27 फरवरी 2002 को गोधरा से लौटते वक्त आपने गोधरा में ट्रेन को आग लगाए जाने की घटना की प्रतिक्रिया सहित कानून-व्यवस्था के हालात की पुन: समीक्षा की बात कही थी?

मोदी: घर लौटते वक्त मैंने कानून-व्यवस्था के बारे में बैठक बुलाने की बात कही थी। इस बैठक में प्रशासन, गृह मंत्रालय एवं पुलिस विभाग के आला अधिकारियों ने शिरकत की थी।


सवाल : 27 फरवरी 2002 के दिन बैठक कब और कहां हुई? इसमें कौन-कौन हाजिर रहा? बैठक में कौन से मंत्री-विधायक ने भाग लिया था?



मोदी: मेरे आवास पर यह बैठक करीब आधे घंटे की थी। बैठक में तत्कालीन कार्यकारी मुख्य सचिव स्वर्णकांता वर्मा, एसीएस (गृह) अशोक नारायण, डीजीपी के. चक्रवर्ती, अहमदाबाद शहर पुलिस आयुक्त पीसी पांडे, गृह सचिव के. नित्यानंदम, डॉ. पीके शर्मा एवं मेरे अतिरिक्त प्रिंसीपल सेक्रेटरी अनिल मुकीम ने भाग लिया। जहां तक मुझे याद है तत्कालीन एडीजी (इंटेलिजेंस) जी. सी. रायगर मौजूद नहीं थे। तत्कालीन डीसी (इंटेलिजेंस) संजीव भट्ट भी हाजिर नहीं थे। क्योंकि यह उच्च स्तरीय बैठक थी। इस बैठक में मेरी कैबिनेट का कोई साथी सदस्य नहीं था

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