Tuesday, February 15, 2011

मृत्यु के बाद पता चलता है यह शरीर महज पोशाक है

जीने की राह मृत्यु किसी के भी घर-परिवार में हो आदमी शोक में डूब ही जाता है, लेकिन एक अभ्यास हमें लगातार करना चाहिए। मृत्यु के बारे में कुछ नया दृष्टिकोण रखा जाए। मृत्यु हमको पाप से बचा लेती है। सोचिए यदि दुनिया में मृत्यु नहीं होती तो कितने पाप बढ़ जाते। रावण और कंस की यदि मौत नहीं होती तो दुनिया में पाप की क्या स्थिति होती। बिना मृत्यु पाप से मुक्ति दुनिया में किसी विशिष्ट व्यक्ति को ही मिलती है। मृत्यु जीवन की कई घटनाओं पर पर्दा डाल देती है। यदि मनुष्य को सब याद रहने लगे कि किससे क्या संबंध था तो सारी गड़बड़ी हो जाएगी। मृत्यु का एक और फायदा है यह एक ही ढंग से चल रहे जीवन में परिवर्तन लाती है।

मृत्यु के बाद यह शरीर चला जाता है और दूसरा मिल जाता है। जब हम शरीर छोड़ते हैं, एक जगह लोग रो रहे होते हैं तो दूसरी जगह नया शरीर मिलने पर लोग खुश भी होते हैं। मृत्यु का एक और लाभ यह है कि हम स्त्रीलिंग से पुल्लिंग, पुल्लिंग से स्त्रीलिंग में बदल जाते हैं। यह परिवर्तन हुए बिना जीवन अधूरा है। स्त्री में से जब तक पुरुष नहीं, पुरुष में से जब तक स्त्री नहीं जागे जीवन अधूरा है। शंकराचार्य से जब स्त्री के बारे में पूछा गया तो वे हार गए। बाद में उन्होंने योग साधना से स्त्री का रूप लिया और उसे जाना, तब वे विजयी हुए। देह और आत्मा अलग-अलग हैं। जब मौत आती है तभी पता चलता है कि यह शरीर महज पोशाक जैसा आवरण था जो उतार दिया गया। योगी लोग शरीर को पोशाक ही मानते हैं

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