Tuesday, February 22, 2011

गोधरा कांड: घटना होने से लेकर अब तक, कब क्या हुआ

27 फरवरी 2002 – साबरमती एक्सप्रेस सुबह 7.45 पर गोधरा पहुंची। ट्रेन में बड़ी संख्या में कार सेवक थे, जो रामजन्म भूमि आंदोलन में हिस्सा लेकर वापस लौट रहे थे। स्टेशन पर उनका अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ लोगों के साथ विवाद हुआ। इसके बाद जब ट्रेन चली तो उसे सिग्लन फालिया के पास चेन खींचकर रोक लिया गया। वहां बड़ी संख्या में मुस्लिम संप्रदाय के लोग जमा थे। उन्होंने ट्रेन पर हमला किया। भीड़ ने महिलाओं के लिए आरक्षित कोच एस-6 में भी आग लगा दी। घटना में 58 हिंदू, जिसमें 23 पुरुष. 15 महिलाएं और 20 बच्चे शामिल थे, मारे गए।28 फरवरी 2002 – वीएचपी और बीजेपी का भारत बंद का आह्वान, गुजरात में व्यापक हिंसा फैली1 मार्च 2002- नरोदा में 70 मुस्लिम जिंदा जलाए गए। कुल 118 लोगों की मौत।2 मार्च 2002 – मरने वालों की संख्या बढ़कर 250 पहुंची। सेना की मदद। बेस्ट बेकरी पर हमला, 12 लोग जिंदा फूंक दिए गए।4 मार्च – मरने वालों की संख्या बढ़कर 535 पहुंची। संप्रदाय विशेष की दुकानों में आग लगाना जारी।
6 मार्च 2002 - राज्य सरकार ने पूर्व न्यायाधीश जस्टिस केजी शाह के नेतृत्व में एक सदस्यीय जांच समिति बनाई।17 मार्च, 2002 – गुलबर्गा सोसायटी पर हमला।4 अप्रैल 2002- तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई ने मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को चेतावनी दी। तत्काल रोकें हिंसा।11 अप्रैल 2002 – गोधरा कांड के मुख्य आरोपी अनवर राशिद, मोहम्मद सैय्यद अब्दुल गिरफ्तार। 22 जनवरी 2003 – मामले का मुख्य आरोपी जाबिर बिन्यामिल बेहरा गिरफ्तार। उसने बताया कि घटना के एक दिन पहले एक स्थानीय पेट्रोल पंप से 140 लीटर पेट्रोल खरीदकर रखा गया। उसके अनुसार पूरा षडयंत्र मौलाना हुसैन उमरेजी ने रचा।6 फरवरी 2003 – बेहरा के बयान पर गोधरा के मुस्लिम धार्मिक नेता मौलाना हुसैन उमरेजी गिरफ्तार।
5 मार्च 2004 – सीबीआई ने इस मामले में पहला मामला दर्ज किया। सीबीआई ने जसवंत नाई, गोविंद नाई औऱ नरेश मोरिया की दंगो को लेकर गिरफ्तारी।4 सितंबर 2004, तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने एक समानांतर जांच समिति यूसी बनर्जी की अध्यक्षता में बनाई।17 जनवरी 2005 – समिति ने अपनी रिपोर्ट रेल मंत्री को सौंपी और पूरे मामले को दुर्घटना बताया। समिति ने पाया कि आग बाहर से नहीं लगाई गई और यह महज एक दुर्घटना थी।
21 फरवरी 2005 – बेस्ट बेकरी कांड की गवाह जाहिरा शेख ने अपना बयान फिर बदला। आरोप लगे कि उन्होंने पैसा लेकर. बयान बदला है।
14 अप्रैल 2005 – वरिष्ठ पुलिस अधिकारी आरबी श्रीकुमार ने कहा, सरकार ने मुस्लिमों को मारने की खुली छूट दी थी दंगों के दौरान।13 अक्टूबर 2006 – गुजरात हाई कोर्ट ने यूसी बनर्जी कमेटी को अवैध और असंवैधानिक बताया।
9 मार्च 2007 – मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को अमेरिका में गुजराती कांफ्रेंस में शामिल होने के लिए नहीं मिला वीसा।18 सितंबर 2008 – जस्टिस नानावती आयोग ने अपनी रिपोर्ट सौंपी। मुख्यमंत्री को दंगों के आरोप से दोषमुक्त करार दिया।20 फरवरी 2009 – वीएचपी नेता अतुल वैद्य और नाइक सिंह चौधरी ने एसआईटी के सामने आत्म समर्पण किया।25 जुलाई 2009 – गुजरात हाई कोर्ट ने मुख्यमंत्री द्वारा एसआईटी से पूछताछ करने की अनुमति दी। यह अनुमति गुलबर्गा सोसायटी कांड में मारे गए पूर्व सांसद अहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी की याचिका पर दी गई।
19 सितंबर 2009 – नानावटी आयोग ने मुख्यमंत्री सचिवालय के तीन अधिकारियों से एफिडेविट मांगा, जिसमें उन्हें दंगों के आरोपियों से फोन पर बात करने के बारे में स्पष्टीकरण देना था।
7 दिसंबर 2009 – सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व सीबीआई प्रमुख आरके राघवन की अध्यक्षता में बने विशेष जांच दल की प्रगति पर संतोष जताया।
28 मार्च 2010 – मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी एसआईटी के सामने पेश, कई घंटों तक चली पूछताछ। करीब 63 सवाल पूछे गए।19 अगस्त 2010 - सुप्रीम कोर्ट ने स्पेशल इंवेस्टीगेटिव टीम की रिपोर्ट पर जांच शुरू की।
3 दिसंबर 2010 - कोर्ट में खुलासा कि एसआईटी की रिपोर्ट में नरेंद्र मोदी को दोषमुक्त करार दिया।19 फरवरी 2011 – 22 फरवरी को हो सकता है गोधरा कांड का निर्णय। प्रशासन ने गोधरा कांड से संबंधित सभी विजुअल्स दिखाने पर अस्थाई रोक लगाई।

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