Tuesday, February 22, 2011

सरकार की अनदेखी का फायदा उठा रहे हैं भूमाफिया

अम्बाला। कालोनियां नियमित करने की प्रक्रिया 19 महीनों से फाइलों में ही अटकी है जबकि अगस्त 2009 में नोटिफिकेशन जारी करते हुए प्रदेश सरकार ने यह प्रक्रिया तीन महीने में पूरी करने की बात कही थी। करीब 14 महीने तो यह प्रक्रिया प्रशासन की फाइलों में ही उलझी रही। उसके बाद सरकार के पास गई मगर वहां भी मामला अटका पड़ा है। सरकार की यह देरी जहां लोगों पर भारी पड़ रही है वहीं इस स्थिति का फायदा भूमाफिया उठा रहा है। धड़ाधड़ अवैध कालोनियां काटी जा रही हैं। लोगों को यही भरोसा दिलाया जा रहा है कि यह कालोनियां वैध हो जाएंगी। प्रशासन की तरफ से तो इतना भी नहीं किया गया है कि कम से कम उन कालोनियों के नाम सार्वजनिक कर दें जिनको नियमित करने के केस भेजे गए हैं ताकि आम आदमी यूं भूमाफिया की बातों में न आए।

अगस्त 2009 में हुई थी नोटिफिकेशन
प्रदेश मंत्रिमंडल ने अगस्त 2009 की बैठक में निर्णय लिया था कि मानदंड पूरा करने वाली अवैध कालोनियों को वैध किया जाएगा। दरअसल सरकार को मकसद सालों पहले कट चुकी अवैध कालोनियों को नियमित करने का था। अगस्त 2009 में जारी नोटिफिकेशन में तीन महीने के भीतर ऐसी कालोनियों को नियमित करने की प्रक्रिया पूरी करने को कहा गया जो 50 फीसदी से ज्यादा विकसित हो चुकी हैं। ट्विन सिटी में 200 से ज्यादा अवैध कालोनियां चिहिंत की गई। दिल्ली की एक प्राइवेट कंपनी (टॉप कॉन सर्वे) द्वारा चार बार सर्वे किया गया मगर हर बार गड़बड़ी की गई। आखिर किसी तरह से फाइल सरकार के पास गई मगर अभी तक उस पर कोई फैसला नहीं हुआ।

ये था पैमाना
ऐसी अनाधिकृत कालोनियां जहां प्लाट के 50 प्रतिशत के अधिक भाग पर निर्माण हो चुका है। जहां अग्निशमन वाहनों समेत मोटर वाहनों की पहुंच के लिए पर्याप्त चौड़ाई वाली सड़के हैं। 30 जून 2009 की कट ऑफ डेट घोषित की गई थी। यानि जो कालोनियां इससे पहले बसी हैं उन्हीं को नियमित करने पर विचार होगा। जो कालोनियां उसके बाद कटी हैं या कट रही हैं, उनके नियमित होने का फिलहाल सवाल ही नहीं। सूत्र बताते हैं कि दोनों शहरों में चिंहित 200 कालोनियों में सर्वे हुआ था मगर इनमें से 100 के आसपास ही कालोनियां पैमाने पर खरी उतर रही थी। कालोनियों नियमित होने की दशा में इनमें सड़क, सीवरेज व स्ट्रीट लाइट समेत अन्य सुविधाएं मिलेंगी।

लोग खुद रहें सावधान
अकसर प्रापर्टी डीलर ग्राहकों को यह कहते हैं कि यह कालोनी नगर निगम की एक्सटेंड लिमिट में है, इसमें कोई दिक्कत नहीं। जबकि एक्सटेंड लिमिट में कालोनी का मतलब यह नहीं कि वो नियमित होगी ही। ऐसे में लोगों को सावधान होना जरूरी है। यदि आप प्लाट खरीदना चाह रहे हैं तो उस कालोनी की वैधता के बारे में नगर निगम या डीटीपी कार्यालय से पूरी जानकारी हासिल कर लें। जनरल पावर ऑफ अटार्नी के आधार पर कोई सौदा न करें। यदि कोई सेल एग्रीमेंट कर भी रहे हैं तो उसे तहसील में पंजीकृत अवश्य करवाएं। यदि एग्रीमेंट पंजीकृत होता तो विक्रेता के ऊपर कानूनी बाध्यता रहेगी। नहीं तो वह किसी भी वक्त सौदे से मुकर सकता है।

रातोंरात कर दिया निर्माण
हरियाणा अर्बन डवलपमेंट अथॉरिटी (हुडा) के कुछ नए सेक्टर जीटी रोड पर टांगरी नदी के आसपास बुहावा, घसीटपुर व शाहपुर के रकबे में प्रस्तावित हैं। 10 दिन पहले ही डिस्ट्रिक्ट टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग ने इस इलाके की वीडियोग्राफी करवाई थी। ताकि इस एरिया की वर्तमान स्थिति का पता चल सके।

इसी बीच पिछले चार दिनों में यहां करीब 500 गज के एरिया में धड़ल्ले से निर्माण कार्य चल रहा है। शुक्रवार को जहां रविदास जयंती का अवकाश था वहीं शनिवार व रविवार को सरकारी कार्यालयों में छुट्टी रहती है। इसी ‘अवसर’ का फायदा उठाते हुए एक व्यक्ति ने दर्जनों मजदूर लगाकर यहां रात दिन निर्माण कार्य करवाया गया। ताकि अधिग्रहण नोटिफिकेशन से पहले निर्माण पूरा हो जाए। इससे पहले वर्ष 2007 में भी इस क्षेत्र का सर्वे करवाया गया था। अब इस वीडियोग्राफी का मकसद यही थी कि जो जगह हुडा सेक्टरों के लिए प्रस्तावित है, क्या उसमें किसी तरह का निर्माण तो नहीं हुआ। यह वीडियोग्राफी एक रिकार्ड की तरह है कि वर्तमान में इस जमीन की क्या स्थिति है। क्योंकि अकसर अधिग्रहण के वक्त कई कानूनी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है। अकसर लोग यह दावा करते हैं कि उनका निर्माण अधिग्रहण की नोटिफिकेशन से पहले का है। दरअसल यहां हुडा के सेक्टर नंबर 41 व 42 प्रस्तावित हैं। जबकि घसीटपुर के पास पहले ही सेक्टर 32 व 33 को डवलप करने का काम चल रहा है

Uploads by drrakeshpunj

Popular Posts

Search This Blog

Popular Posts

followers

style="border:0px;" alt="web tracker"/>