Tuesday, February 15, 2011

सुप्रीम कोर्ट के जज ने बार लाइसेंस से बैन हटाने के लिए ली 36 लाख की रिश्‍वत’

नई दिल्‍ली. कांग्रेस सांसद के. सुधाकरन की ओर से सुप्रीम कोर्ट के एक जज पर भ्रष्‍टाचार के आरोप लगाने का मामला तूल पकड़ने लगा है। कन्‍नूर लोकसभा सीट से सांसद सुधाकरन ने एक सार्वजनिक सभा में आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट के एक जज ने केरल के बार मालिकों को लाइसेंस जारी रखने के एवज में रिश्‍वत के तौर पर 36 लाख रुपये लिए। मीडिया में यह आरोप प्रकाशित होने के बाद माकपा ने इस पूरे मामले की गहन जांच की मांग की है।

सुधाकरन ने कोट्टारकारा में एक सभा में कहा था कि 1994 में सुप्रीम कोर्ट के एक जज ने केरल में 21 बार लाइसेंसों पर लगी हाईकोर्ट की पाबंदी हटाने के लिए यह रिश्‍वत ली। कांग्रेसी सांसद का यह भी दावा है कि राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्‍ली स्थित केरला हाउस में हुई इस घटना को वह चुपचाप देखते रहे। हालांकि उन्‍होंने यह कहा कि इन आरोपों को साबित करने के लिए उनके पास कोई सबूत नहीं हैं लेकिन यदि उनसे पूछा गया तो वह अदालत में इस जज का नाम और अन्‍य ब्‍यौरा कबूल करने को तैयार हैं।

कांग्रेसी सांसद के इस आरोप के बाद केरल में सत्‍तारुढ माकपा ने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट को इस मामले का खुद संज्ञान लेते हुए मुकदमा दर्ज करते हुए जांच करानी चाहिए। पार्टी ने जारी बयान में कहा, ‘कांग्रेस नेता ने गंभीर आरोप लगाए हैं जिससे न्‍यायपालिका संदेह के दायरे में है। रिश्‍वत देने वाले लोगों और इसे कबूल करने वाले सुप्रीम कोर्ट के जज का नाम का खुलासा करना सुधाकरन की नैतिक जिम्‍मेदारी है।’

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