पटियाला. मुस्लिम समाज के शाही इमाम पटियाला में लगभग 35 हजार मुस्लिम आबादी को आने वाले विधानसभा चुनावों में शिरोमणि अकाली दल बादल के खिलाफ वोट न देने का फतवा जारी कर सकते हैं। यह धमकी मंगलवार को मुस्लिम नेशनल मूवमेंट के प्रतिनिधियों ने प्रेस कांफ्रेंस करके सरकार को दी है।
मूवमेंट से जुड़े जरनैल सिंह मनु, मोहसीन खान ने संयुक्त रूप से बताया कि सनौर रोड पर अराई माजरा गांव में बहुत पुराना कब्रिस्तान है। सन 1938/39 के रिकार्ड में भी 101 कनाल (लगभग 14 एकड़) जमीन कब्रिस्तान के नाम पर है। सुप्रीम कोर्ट एक फैसले में साफ कर चुकी है कि कब्रिस्तान की जगह सिर्फ कब्रिस्तान ही रहेगा।
इसके बावजूद इंप्रूवमेंट ट्रस्ट ने इस जमीन को प्राइवेट बिल्डर्स को बेच दिया। अब पटियाला के मुस्लिम समाज के पास कब्रिस्तान नहीं बचा है। इस्लाम का तयशुदा फैसला है कि कब्रिस्तान ही मुसलमानों का असली घर है, इसलिए अगर मौजूदा सरकार ने उन्हें कब्रिस्तान की दो गज जमीन न दी तो वो इस मामले को दिल्ली के शाही इमाम के पास लेजाकर अकाली दल के खिलाफ वोट न देने का फतवा जारी करने की मांग करेंगे।
कोर्ट का स्टे, फिर कैसे बेच दी जमीन
इस मौके पर 1938/39 का सरकारी रिकार्ड, पंजाब वक्फ बोर्ड का रिकार्ड, भारत सरकार के गजट का नोटिफिकेशन, 1990 का अराई माजरा गांव की फर्द भी पत्रकारों को दिखाई गई,जिसमें यह जगह कब्रिस्तान दर्शाई गई है, इसके बावजूद जब उनके बुजुर्गो की कब्रों पर सरकारी गंदगी गिरनी शुरू हुई तो पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में केस दायर कर दिया।
कोर्ट ने 22 जुलाई 2004 को इस जमीन पर स्टे कर दी जिसके तहत इस कब्रिस्तान वाली जमीन में किसी तरह की गंदगी गिराने, इसे बेचने खरीदने पर पाबंदी लगा दी गई। इसके बावजूद ट्रस्ट ने इसे आगे बेच दिया। हालांकि मुस्लिम समाज ने कोर्ट के आदेशों की अवहेलना का केस अदालत में दायर कर दिया है जिसकी अगली तारीख 2 दिसंबर है।
नकारा निगम का दिया कब्रिस्तान
नगर निगम की ओर से मुस्लिम समाज को बड़ी नदी पार कब्रिस्तान देने की योजना को भी नकार दिया गया है। मूवमेंट ने कहा कि जहां 2 एकड़ कब्रिस्तान के नाम पर जमीन दी गई है, वहां दो नदियां आकर गिरती है। बरसातों में जब नदी में पानी आया होगा तो मुस्लिम अपने बुजुर्गो को कहां दफन करेंगे? इसलिए मुस्लिम समाज की मांग है कि कब्रिस्तान के लिए उन्हें अराई माजरा वाली जमीन ही दी जाए। अगर आगामी 2 दिसंबर तक सरकार ने इस संबंधी कोई फैसला न किया तो राज्यव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा।
पटियाला में नहीं है कब्रिस्तान
अब पटियाला के मुस्लिम समाज के लिए कब्रिस्तान के लिए कोई जगह ही नहीं बची है। शहर का एकमात्र कब्रिस्तान बैंक कालोनी में है, लेकिन अब वहां अगर एक कब्र खोदो तो अंदर से दो खबरें निकलती है। मुस्लिम धर्म के अनुसार पहली कब्र में किसी दूसरे आदमी को दफनाया नहीं जा सकता, इसलिए अब मुस्लिम लोग मजबूरी में आस पास के गांवों में जाकर अपने मृतकों को दफन कर रहे है।
मूवमेंट से जुड़े जरनैल सिंह मनु, मोहसीन खान ने संयुक्त रूप से बताया कि सनौर रोड पर अराई माजरा गांव में बहुत पुराना कब्रिस्तान है। सन 1938/39 के रिकार्ड में भी 101 कनाल (लगभग 14 एकड़) जमीन कब्रिस्तान के नाम पर है। सुप्रीम कोर्ट एक फैसले में साफ कर चुकी है कि कब्रिस्तान की जगह सिर्फ कब्रिस्तान ही रहेगा।
इसके बावजूद इंप्रूवमेंट ट्रस्ट ने इस जमीन को प्राइवेट बिल्डर्स को बेच दिया। अब पटियाला के मुस्लिम समाज के पास कब्रिस्तान नहीं बचा है। इस्लाम का तयशुदा फैसला है कि कब्रिस्तान ही मुसलमानों का असली घर है, इसलिए अगर मौजूदा सरकार ने उन्हें कब्रिस्तान की दो गज जमीन न दी तो वो इस मामले को दिल्ली के शाही इमाम के पास लेजाकर अकाली दल के खिलाफ वोट न देने का फतवा जारी करने की मांग करेंगे।
कोर्ट का स्टे, फिर कैसे बेच दी जमीन
इस मौके पर 1938/39 का सरकारी रिकार्ड, पंजाब वक्फ बोर्ड का रिकार्ड, भारत सरकार के गजट का नोटिफिकेशन, 1990 का अराई माजरा गांव की फर्द भी पत्रकारों को दिखाई गई,जिसमें यह जगह कब्रिस्तान दर्शाई गई है, इसके बावजूद जब उनके बुजुर्गो की कब्रों पर सरकारी गंदगी गिरनी शुरू हुई तो पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में केस दायर कर दिया।
कोर्ट ने 22 जुलाई 2004 को इस जमीन पर स्टे कर दी जिसके तहत इस कब्रिस्तान वाली जमीन में किसी तरह की गंदगी गिराने, इसे बेचने खरीदने पर पाबंदी लगा दी गई। इसके बावजूद ट्रस्ट ने इसे आगे बेच दिया। हालांकि मुस्लिम समाज ने कोर्ट के आदेशों की अवहेलना का केस अदालत में दायर कर दिया है जिसकी अगली तारीख 2 दिसंबर है।
नकारा निगम का दिया कब्रिस्तान
नगर निगम की ओर से मुस्लिम समाज को बड़ी नदी पार कब्रिस्तान देने की योजना को भी नकार दिया गया है। मूवमेंट ने कहा कि जहां 2 एकड़ कब्रिस्तान के नाम पर जमीन दी गई है, वहां दो नदियां आकर गिरती है। बरसातों में जब नदी में पानी आया होगा तो मुस्लिम अपने बुजुर्गो को कहां दफन करेंगे? इसलिए मुस्लिम समाज की मांग है कि कब्रिस्तान के लिए उन्हें अराई माजरा वाली जमीन ही दी जाए। अगर आगामी 2 दिसंबर तक सरकार ने इस संबंधी कोई फैसला न किया तो राज्यव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा।
पटियाला में नहीं है कब्रिस्तान
अब पटियाला के मुस्लिम समाज के लिए कब्रिस्तान के लिए कोई जगह ही नहीं बची है। शहर का एकमात्र कब्रिस्तान बैंक कालोनी में है, लेकिन अब वहां अगर एक कब्र खोदो तो अंदर से दो खबरें निकलती है। मुस्लिम धर्म के अनुसार पहली कब्र में किसी दूसरे आदमी को दफनाया नहीं जा सकता, इसलिए अब मुस्लिम लोग मजबूरी में आस पास के गांवों में जाकर अपने मृतकों को दफन कर रहे है।