पणजी: बीजेपी के सपोर्ट को लकेर टीम अन्ना भले ही बेपरवाह दिखती हो लेकिन इस भगवा पार्टी का दावा है कि अगर उसने साथ नहीं दिया होता तो जनलोकपाल के आंदोलन का भी वही हश्र होता जो योगगुरु बाबा रामदेव के अनशन का हुआ।
बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने शुक्रवार को कहा कि अगर हमने अन्ना हजारे को समर्थन की चिट्ठी नहीं दी होती तो कांग्रेस उनके साथ भी वैसा ही व्यवहार करती जैसा रामलीला मैदान में रामदेव के अनशन के दौरान किया।
बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस की रणनीति अन्ना के आंदोलन को कुचलने की थी, फिर हमने देशहित में सबसे पहले उन्हें समर्थन दिया। अन्ना हजारे और आरएसएस के बीच गठजोड़ के सवाल पर उन्होंने कहा कि संघ पहले ही कह चुका है कि जो भी भ्रष्टाचार के खिलाफ है संगठन उसके साथ है।
अन्ना द्वारा बीजेपी से दूरी बनाए जाने का जिक्र किए जाने पर गडकरी ने कहा कि उन्हें इसका बुरा नहीं लगा। उन्होंने कहा कि पार्टी इससे अपसेट नहीं है, जो भी भ्रष्टाचार के खिलाफ देशहित में काम करेगा बीजेपी उसके साथ खड़ी होगी।
इस बीच, बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने विश्वास जताया कि लोकपाल विधेयक संसद के विंटर सेशन में पारित हो जाएगा। उन्होंने पुणे में कहा कि देश में फैले भ्रष्टाचार की वजह कानूनों की कमी नहीं है।
आडवाणी ने कहा, ' मैं समझ नहीं पा रहा कि इसे क्यों पारित नहीं किया जाना चाहिए। मैं मानता हूं कि यदि कांग्रेस और बीजेपी किसी बात पर राजी हो जाएं तो वह हो गया समझें। हमने उस प्रस्ताव को पारित कराने में मदद की है, जिसे टीम अन्ना पारित कराना चाहती थी। अगर हम साथ नहीं देते तो यह नहीं होता। '
यह पूछने पर कि क्या लोकपाल विधेयक देश से भ्रष्टाचार मिटाने में मदद करेगा उन्होंने कहा, ' मैं नहीं मानता कि देश में भ्रष्टाचार केवल कानूनों की कमी के कारण है। ' आडवाणी ने कहा कि अन्ना हजारे के जन लोकपाल विधेयक में चार प्रमुख्य कमियां हैं मगर उन्होंने पार्टी में भी अपने सहयोगियों से सार्वजनिक तौर पर उनका जिक्र नहीं करने के लिए कहा है।
उन्होंने कहा कि जब अन्ना की टीम हमसे इस मुद्दे पर विचार करने आई थी तो हमने उन्हें जन लोकपाल विधेयक की चार मुख्य कमियों के बारे में बताया था, वह भी इससे सहमत थे। आडवाणी ने इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में आना चाहिए।
बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने शुक्रवार को कहा कि अगर हमने अन्ना हजारे को समर्थन की चिट्ठी नहीं दी होती तो कांग्रेस उनके साथ भी वैसा ही व्यवहार करती जैसा रामलीला मैदान में रामदेव के अनशन के दौरान किया।
बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस की रणनीति अन्ना के आंदोलन को कुचलने की थी, फिर हमने देशहित में सबसे पहले उन्हें समर्थन दिया। अन्ना हजारे और आरएसएस के बीच गठजोड़ के सवाल पर उन्होंने कहा कि संघ पहले ही कह चुका है कि जो भी भ्रष्टाचार के खिलाफ है संगठन उसके साथ है।
अन्ना द्वारा बीजेपी से दूरी बनाए जाने का जिक्र किए जाने पर गडकरी ने कहा कि उन्हें इसका बुरा नहीं लगा। उन्होंने कहा कि पार्टी इससे अपसेट नहीं है, जो भी भ्रष्टाचार के खिलाफ देशहित में काम करेगा बीजेपी उसके साथ खड़ी होगी।
इस बीच, बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने विश्वास जताया कि लोकपाल विधेयक संसद के विंटर सेशन में पारित हो जाएगा। उन्होंने पुणे में कहा कि देश में फैले भ्रष्टाचार की वजह कानूनों की कमी नहीं है।
आडवाणी ने कहा, ' मैं समझ नहीं पा रहा कि इसे क्यों पारित नहीं किया जाना चाहिए। मैं मानता हूं कि यदि कांग्रेस और बीजेपी किसी बात पर राजी हो जाएं तो वह हो गया समझें। हमने उस प्रस्ताव को पारित कराने में मदद की है, जिसे टीम अन्ना पारित कराना चाहती थी। अगर हम साथ नहीं देते तो यह नहीं होता। '
यह पूछने पर कि क्या लोकपाल विधेयक देश से भ्रष्टाचार मिटाने में मदद करेगा उन्होंने कहा, ' मैं नहीं मानता कि देश में भ्रष्टाचार केवल कानूनों की कमी के कारण है। ' आडवाणी ने कहा कि अन्ना हजारे के जन लोकपाल विधेयक में चार प्रमुख्य कमियां हैं मगर उन्होंने पार्टी में भी अपने सहयोगियों से सार्वजनिक तौर पर उनका जिक्र नहीं करने के लिए कहा है।
उन्होंने कहा कि जब अन्ना की टीम हमसे इस मुद्दे पर विचार करने आई थी तो हमने उन्हें जन लोकपाल विधेयक की चार मुख्य कमियों के बारे में बताया था, वह भी इससे सहमत थे। आडवाणी ने इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में आना चाहिए।