नई दिल्ली।। केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार पर हुए हमले को लेकर तरह-तरह की चर्चा हो रही है। कुछ लोगों का कहना है कि पीछे  बीजेपी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा का कुछ दिन पहले दिया गया वह बयान है , जिसमें उन्होंने कहा था कि महंगाई पर सरकार का यही रवैया रहा तो यह मुद्दा हिंसा का कारण बन सकता है ? कांग्रेस का कुछ ऐसा ही मानना है , हालांकि दूसरे राजनीतिक दलों ने घटना की निंदा जरूर की , लेकिन साथ ही यह भी कह रहे हैं कि सरकार की नीतियां महंगाई बढ़ाने वाली हैं। वहीं गांधीवादी अन्ना हजारे की इस पर दो तरह के बयान आये। पहले उन्होंने इसेे लोकतंत्र पर हमला बताया लेकिन बाद में कहा कि कितने मारा, एक ही मारा।  शरद पवार पर हमले के ठीक बाद कांग्रेस की इस पर प्रतिक्रिया आई। कांग्रेस के प्रवक्ता राशिद अल्वी ने घटना के लिए सीधे - सीधे बीजेपी की तरफ से आए बयान को जिम्मेदार ठहराया। अल्वी ने कहा  कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता का बयान ही आज की घटना के लिए जिम्मेदार है। बीजेपी के प्रवक्ता रविशंकर ने घटना की निंदा करते हुए हमलावर को सजा देने की मांग की , लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार महंगाई को काबू करने के लिए कुछ नहीं कर रही है। गैस , पेट्रोल , और सब्जियों के दाम दिनोंदिन बढ़ रहे हैं। सीपीएम की तरफ से भी कुछ इसी अंदाज में बयान आया। सीपीएम ने कहा कि सरकार की नीतियों से लोग नाराज हैं , लेकिन वह इस हमले की निंदा करते हैं। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने कहा कि हमलावर को सजा मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को महंगाई के मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए। शिवसेना के संजय राउत ने कहा कि यशवंत सिन्हा के बयान और इस घटना को जोड़ा जाना सही नहीं है। बीएसपी ने कहा कि महंगाई पर लोग भड़क रहे हैं , लोगों को इसे समझना चाहिए। जेडीयू के शरद यादव ने कहा कि सरकार की नीतियां महंगाई बढ़ाने वाली हैं। विपक्ष इसके खिलाफ संसद में आवाज उठा रहा है। वह इस तरह के हमले की निंदा करते हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने थप्पड़ मारने की निंदा की और कहा कि यह गलत प्रवृत्ति है। वही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कहा कि महंगाई से हम चिंतित है लेकिन विरोध का यह तरीका जायज नहीं है। इधर, घटना को लेकर सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक और माइक्रो ब्लागिंग वेबसाइट ट्विटर पर जबर्दस्त चर्चा है और कुछ लोगों ने जहां इसकी निंदा की है वहीं कुछ ने इसकी वजह ढूंढ इसे रोकने के लिये कदम उठाने पर बल दिया है। टीम अन्ना की प्रमुख सदस्य किरण बेदी ने इस मुद्दे पर ट्विटर पर लिखा, ‘‘जनप्रतिनिधियों के साथ मारपीट की निंदा करते समय इस बात के विश्लेषण की जरूरत है कि यह क्यों हो रहा है और उसे रोकने के लिए क्या किया जाना चाहिए । जनप्रतिनिधियों पर इस तरह के हमले इस बात को रेखांकित करते हैं कि मीडिया समेत समाज के प्रत्येक वर्ग में इस बात पर गंभीर विचार हो ।’’  टीम अन्ना के ट्विटर अकांउट ‘जनलोकपाल’ ने अन्ना हजारे के हवाले से कहा कि लोग बहुत गुस्से में हैं इसलिए सरकार को इस बात को समझना चाहिए कि तुरंत मुद्रास्फीति, लोकपाल और अन्य मुद्दों पर ध्यान देने की जरूरत है । उन्होंने पवार पर किये गये हमले की निंदा की और कहा कि यह हमारी संस्कृति नहीं है । तुषार गांधी ने इस पर चिंता व्यक्त करते हुए ट्वीट किया, ‘‘थप्पड़ मारने की यह घटना एक दिन एक बड़ी त्रासदी का सबब बनेगा ।’’  ट्विटर के एक सदस्य राजेश कालरा ने कहा, ‘‘शरद पवार पर एक सिख युवक द्वारा किया गया हमला निदंनीय है लेकिन यह राजनीतिज्ञों के लिए एक चेतावनी है कि नागरिकों का धैर्य अब खत्म होता जा रहा है ।’’